जीवन में कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है ,जब हमें किसी से अपमान सहन करना पड़ता है, कई बार अपनी की गई गलतियों के कारण, तो कई बार बिना बात के अपमानित होना पड़ता है, हालांकि, अपनी गलतियों के लिए हुए अपमान को इंसान सह लेता है, लेकिन कई बार बिना किसी गलती सबके सामने अपमानित होना पड़े तो सहना मुश्किल हो जाता है, जरूरी नहीं कि हर बार लड़के गलत हो, कभी-कभी लड़कियां भी गलत हो सकती है , या उनकी सोच भी गलत हो सकती है, इसलिए कोई भी फैसला बिना सोचे समझे नहीं करना चाहिए।
ऐसा ही कुछ हुआ था हर्षिका के साथ भी, हर्षिका एक खुशमिजाज लड़की थी, कुछ ही दिनों में उसकी शादी होने वाली थी, शादी होने के बाद हर्षिका बहुत खुश थी, लेकिन विधाता को शायद कुछ और ही मंजूर था, शादी के महज दो महीनें बाद ही हर्षिका के पति की कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई, और हर्षिका विधवा हो गई, और उसके जीवन में अचानक पतझड़ आ गया ।
अब हर्षिका को ऐसा लगता था, जैसे वह संसार की सबसे बदनसीब लडकी हैं, उसकी आँखों के आगें उसका अँधेरे जैसा भविष्य हमेशा घूमता रहता था, हर्षिका के घर में सिर्फ उसकी बूढ़ी माँ थी, क्योंकि हर्षिका के पति के गुज़रने के बाद हर्षिका के पिता भी इस दुःख में गुजर जातें हैं, अब सिर्फ हर्षिका और उसकी बूढ़ी मां ही थी, इसलिए अब हर्षिका को लगता था कि जिंदगी में कभी भी खुशी उसके दरवाजे पर दस्तक नहीं देगी।
वहीं दूसरी और गर्वित भी अपनी शादी से बहुत खुश था, लेकिन गर्वित की पत्नी ने कभी गर्वित से प्यार ही नहीं किया, वह तो किसी और से प्यार करती थी, लेकिन घर वालों के दबाव में आकर उसने गर्वित से शादी कर ली थी, लेकिन वह अपने पुराने प्यार को भुला नहीं पाई थी, गर्वित की पत्नी अपने पुराने आशिक से मिलती, और वो उस दूसरे आदमी के साथ खुलें आम अय्याशी करनें लगी, फिर कुछ ही दिनों में उसनें गर्वित को तलाक देकर उसके पुराने प्रेमी से शादी कर ली।
गर्वित अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था, लेकिन तलाक होने के बाद वह अपनी पत्नी के बिना बिल्कुल ही अकेला सा हो गया, और अपनी सुनसान वीरान जिंदगी अकेला ही काटनें लगा, वह नहीं जानता था कि अब उसका भविष्य कैसा होगा??? कभी वह फिर किसी से शादी कर पायेगा या नहीं?????
तभी एक दिन हर्षिका और गर्वित दोनों ही किसी की पार्टी में जातें हैं, हर्षिका की एक सहेली गर्वित को जानती थीं, और उसी नें उन दोंनो को मिलवाया, गर्वित से मिलकर हर्षिका को अच्छा नहीं लगा , क्योकि गर्वित अपनीं पत्नी के बारे में नेगेटिव बातें कर रहा था, और यह सुनकर हर्षिका को गर्वित पर गुस्सा आ रहा था, कि वह औरत के बारें इतना गलत कैसे बोल सकता हैं????
लेकिन बाद में उसकी सहेली सीमा नें बताया कि गर्वित कितना दुःखी लड़का हैं, वह अच्छे खासे पैसे कमाता हैं, और उसके परिवार वालें भी बिल्कुल सीधे हैं, लेकिन फिर भी उसकी पत्नी ने अपने पुराने प्यार में पड़कर गर्वित को धोखा दिया, और अब गर्वित दिन रात रोता ही रहता हैं, यह सुनकर हर्षिका का दिल भर आया, और वह मन में सोचने लगी कि एक शरीफ लड़के को मैं बिना मतलब ही बुरा समझ रहीं थीं।
उसी दिन से हर्षिका के मन में गर्वित से मन ही मन में प्रेम हो गया, कुछ ही दिनों बाद हर्षिका ने अपनी सहेली सीमा से कहा कि, सीमा मैं पता नहीं क्यों गर्वित को चाहने लगी हूँ, और मैं उसे पसंद भी करती हूँ, अगर सीमा तुम कुछ उपाय करके मेरी दोस्ती गर्वित से करवा दे, तो शायद मेरी जिंदगी सवर जाएगी।
तब सीमा ने कहा कि ठीक है , तूम कहती हो, तो मैं किसी बहानें से गर्वित को अपने घर बुलाती हूँ, मैं उसे तुम्हारी लाइफ के बारे में पहले बता दूँगी फिर तुम भी आ जाना, आगे तुम दोनों की क़िस्मत।
तभी सीमा अपनें जन्मदिन का बहाना करके गर्वित को अपनें घर बुलाती हैं, और सीमा, गर्वित को हर्षिका की बीती हुई सारी बात बताती हैं, और वो उसे ये भी बताती हैं कि शादी के दो महीने में ही हर्षिका विधवा हो गयी थीं।
गर्वित को हर्षिका का ऐसा हाल देखकर उसे बहुत दुःख होता हैं, तभी गर्वित, हर्षिका से मिलता हैं, और उसे समझता हैं।
अब गर्वित ये तय कर लेता हैं, कि वो हर्षिका का सहारा बनेगा, हर्षिका को भी गर्वित दिल से बहुत ही पसंद था, और दोनों अब बाहर भी मिलनें लगे, ताकि वो एक दूसरे को सही से समझ सकें, वो दोनों एक दूसरें से बेहद प्यार करने लगें, और रात रात भर वो दोनों फोन पर चैटिंग करतें, गर्वित बहुत ही रोमांटिक लड़का था, वह अपनी बातों से हर्षिका का दिल जीत चुका था।
अब हर्षिका को भी गर्वित के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनना बहुत ही अच्छा लगता था, दोनों कभी कभी मिला करते थे, और कभी कभी होटल में डिनर करनें भी चलें जातें थें,
एक दिन हर्षिका, गर्वित को अपनें साथ अपनें घर ले गयी, और उसे अपनीं माँ से मिलवाया, गर्वित नें जब हर्षिका की माँ के पाँव छुए तो, हर्षिका की माँ रोनें लगी, और गर्वित का हाथ पकड़कर कहनें लगी कि बेटा, मेरी बेटी का सहारा जरूर बनना और उसका साथ कभी भी मत छोड़ना, मेरे सिवा इसका कोई भी नहीं, अब मेरा भी कोई पता नहीं कब उस भगवान का बुलावा आ जाएं, अगर मैं मर गईं तो मेरी बेटी का क्या होगा????
यह सुनकर गर्वित की भी आँखों में आँसू आ गए, और हर्षिका भी रोनें लगीं, तभी गर्वित नें कहा कि माँ जी आप बिलकुल चिंता न करें, हर्षिका का मैं मरते दम तक साथ नहीं छोडूंगा, और आपकों भी कुछ नहीं होगा,यह सुनकर हर्षिका की माँ और हर्षिका को बहुत ही अच्छा लगा।
एक दिन दोनों ही पार्क में बैठें थें, तो हर्षिका नें कहा, कि गर्वित, तुम अपने घरवालों से मुझकों कब मिलवाओगे???? गर्वित ने बात टाल दी, और उससे प्यार भरी बातें करनें लगा, और कहा हर्षिका मैं तुम्हारें बिल्कुल नजीदिक आना चाहता हूँ, बोलों तुम मुझें अपने करीब कब आनें दोगी????
लेकिन हर्षिका, गर्वित को अपनें करीब आने से मना करतीं हैं, मगर फिर भी थोड़ा बहुत वो दोनों प्यार कर ही लेते हैं।
तभी हर्षिका की सहेली सीमा, हर्षिका के कान भरना शुरू कर देती है,
सीमा, हर्षिका से कहती है, हर्षिका लड़को पर इतना जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए, तुम तो सीधी साधी हों, गर्वित को अपनी माँ से भी मिला दिया, लेकिन गर्वित ने तुझें किसी से मिलवाया????
कहीं ऐसा न हों कि वो तुझें इस्तेमाल करके न छोड़ दे, यह सुनकर हर्षिका के कान खड़े हो गए, और वह सोचने लगीं कि कहीं गर्वित उसे धोखा तो नहीं दे रहा,
लेकिन सच में गर्वित, हर्षिका को धोखा दे रहा था????
क्या सीमा, हर्षिका को गर्वित के बारे में और कुछ बताएंगी????
शेष अगले भाग में.......