भला ऐसे कैसे संभव है????? अनबिलीव़बल????? समझ नहीं आ रहा क्या दे रिपोर्ट में?????
किसकी बॉडी है यह?????
डॉक्टर चीखते हुए बोला........
सर नवनीत चटर्जी नाम बताया है इसका, पैर के अंगूठे में लगी हुई स्लिप को देखते हुए कंपाउंडर अरुण बोला,
हां, वह तो ठीक, लेकिन इसकी मौत हुई कैसे??????
एक मिनट रुको कहते हुए वे अपनी टेबल के पास जा रखे फोन से किसी अजनबी को फोन करने लगे, और कहने लगे, सर एक अजीब सी परेशानी में फंसा हूं, आज तक की मेडिकल की पढ़ाई और पिछले छब्बीस साल के अनुभव में मैंने इतने पोस्टमार्टम किए, लेकिन ऐसा कैसे???????
पहली बार देख रहा हूं, क्या ऐसा संभव है, कि कोई बॉडी इंटरनल तौर से जली हुई हो, और उसके शरीर के एक्सटर्नल त्वचा पर कोई भी निशान ना पाया जाए.... भला कोई क्या खुद के अंदर आग पैदा कर रहा होगा????
समझ नहीं आ रहा सर, इतना कहते हुए वह काफी देर तक उस बॉडी के विषय में चर्चा करता रहा, उनकी बातें सुनकर ऐसा लग रहा था, जैसे कोई उनसे भी सीनियर पर्सन उस तरफ फोन पर होगा, और अंत में सिर्फ इतना ही सुनने में आया ठीक है सर, मैं आपका इंतजार करता हूं, आपके आने के बाद ही मैं निर्णय लूंगा और यह कहते हुए उन्होंने फोन रख दिया।
कंपाउंडर अरुण को पास बुला सिर खुजाते हुए वह कहने लगे, अच्छा ठीक है यार...... अब तुम ही बताओ, चलो मेरी नौकरी तो कम है, लेकिन यहां पोस्टमार्टम रूम में तुम्हारी तो पूरी जिंदगी हो गई, क्या आज तक कभी ऐसा हुआ है?????? क्या वाकई कभी ऐसा भी संभव है???? आखिर कैसे हो सकता है, कि शरीर अंदर से किसी भट्टी की तरह जल जाए और बाहर की और कोई भी निशान ना मिले, और फिर इसने कोई पॉइजन भी नहीं खाया, तब तो केमिकल रिएक्शन की बात भी ना उठती....
छोड़ो........प्रोफेसर पॉल आ ही रहे है, तब तक तुम इसकी जानकारी निकालो कि आखिर इसकी मौत कैसे हुई???? और बॉडी को डिस्चार्ज करने से अभी मना कर दो,
ठीक है सर, मैं पता करता हूं और अगर कुछ पता चलता है तो मैं आपको बताता हूं, कहते हुए अरुण कंपाउंडर वहां से चला गया।
उधर प्रोफेसर पॉल पहुंचते हैं, और डॉक्टर तेजस के साथ बातें डिस्कस करते हैं, डॉक्टर तेजस प्रोफेसर पॉल से नवनीत चटर्जी के बारे में कहते है कि,
हाउ कैन पॉसिबल सर?????? मैंने अपने पूरे लाइफ में ऐसा केश कभी नहीं देखा, किसी इंसान की इंटरनल बॉडी पूरी तरह से जली हुई है, जबकि एक्सटर्नल उसे एक भी घाव नहीं है, ऐसा कैसे हो सकता है?????
इसलिए एक बार फिर उस बॉडी का पोस्टमार्टम किया जाएगा,
उधर कंपाउंडर अरुण, नवनीत चटर्जी के बारे में पता करने के लिए जाता है कि आखिर इसकी मौत कैसे हुई ???????
लेकिन उसे भी कुछ पता नहीं चल पा रहा था, जब अरुण ने आस पड़ोस वाले से पूछा तो पता चला कि वह एक बहुत ही निर्दयी इंसान था, अपनी पत्नी के साथ बहुत मारपीट, गाली-गलौज और बहुत ही अब अभद्र व्यवहार करता था, पहले पहले तो वह समाज में बड़ा ही शरीफ बंदा नजर आता था, लेकिन शादी के बाद तो जैसे उसका नजरिया ही बदल गया, उसमें अचानक इतना परिवर्तन तो सगे रिश्तेदारों ने भी नहीं सोचा, एकदम सा उसका ऐसा परिवर्तित रूप देख तो हैरानी तो सबको ही थी,
नवनीत चटर्जी दुनिया के सामने एक अलग शख्सियत था, लेकिन ठीक उसके विपरीत घर में उसका व्यवहार परिधि(नवनीत की पत्नी) के प्रति बिल्कुल अलग था, उसके घिनौने रूप को उसके आस पड़ोस में रहने वाली महिलाओं ने जब बताया, तो अरुण कंपाउंडर का मन एक दफा किया कि वह नवनीत चटर्जी की लाश को यदि जिंदा कर पाने में सक्षम होता, तो उसे जीवित कर ना जाने कितनी दर्दनाक मौत देता,
क्योंकि उसने जब सुना कि अपनी पत्नी परिधि के साथ जानवरों की तरह सलूक किया, परिधि के साथ अप्राकृतिक संभोग, मारपीट तक तो सामान्य था, लेकिन धीरे-धीरे उसने अपनी पत्नी को गर्म सलाखों से दागा, ठंड में हाथ पैर बांधकर खुला छोड़ दिया......
मौखिक, शारीरिक और भावनात्मक तौर पर उसका शोषण करता , उसे काटना, चोट पहुंचाना, तरह-तरह से दर्द देना उनकी आदत बन गई, हर रात उसके लिए उसकी पत्नी सिर्फ एक खिलौने की तरह थी, जिसे वो अलग-अलग तरह से इस्तेमाल करना चाहता था, हमेशा लड़ाई झगड़ा करना और सेक्स के दौरान उसे टॉर्चर करता, तबियत खराब होने पर अगर कभी उसने मना किया तो उन्हें वह बर्दाश्त नहीं होता था, और फिर परिधि के साथ जानवरों से भी बत्तर सलूक वह करता,
यहां तक कि पड़ोस की महिला ने यह भी बताया कि जालिम सिगरेट की जलती चिंगारी से परिधि के अंदरूनी अंगों को भी जख्म देने में ना चुकता, इतना मेंटल टॉर्चर के बाद धीरे-धीरे परिधि की तबीयत बिगड़ने लगी, और देखते ही देखते एक दिन उसने दम तोड़ दिया, लेकिन फिर भी नवनीत चटर्जी को इसका रत्ती भर भी अफसोस ना था, और यदि उसे ऐसी मौत मिले तो भी गलत ही क्या है।
लेकिन एक दिन अचानक नवनीत चटर्जी की डेड बॉडी मिलती, अरुण कंपाउंडर ने आस पड़ोस वालों से पूछा कि आखिर इसकी मृत्यु कैसे हुई????
तब उन लोगों ने कहा कि इसकी मृत्यु की जानकारी हमें भी नहीं थी,
यह सब बातें सुन अरुण अत्यंत क्रोध के साथ वापस लौट आया और एक ही सांस में सारी बातें प्रोफेसर पॉल और डॉक्टर तेजस को सुना गया, और एक दो झापड़ उसने उस डेड बॉडी पर जड़ दिए, जैसे यदि उसे मौका मिलता तो वह नवनीत चटर्जी को फिर मौत देने में नहीं चूकता, लेकिन प्रोफेसर पॉल किसी और दुनिया में खोए हुए थे, उन्होंने बॉडी को पहले अच्छे से देखा, फिर बाल और नाखून का परीक्षण किया, और फिर डॉक्टर तेजस से बोले.....डियर, दूसरी दुनिया के रहस्य भी जानना जरूरी है, आओ आज शाम तुम्हें इसकी सही कहानी बयां करता हूं।
अरुण कंपाउंडर बोला सर, यदि अनुमति हो तो जैसे वह पॉल साहब से कुछ सिफारिश मांग रहा था, प्रोफ़ेसर पॉल मुस्कुराते हुए बोले, चलो शाम अपने गुरु के साथ आ जाना, आज मिलवाता हूं, तुम गुरु चेलों को डॉक्टरी दुनिया से परे, एक अनोखी दुनिया से......
वेलकम बाय........बस दिल थाम के आना कहते हुए चल दिए।
आखिर प्रोफेसर पॉल उन्हें क्या बताना चाहते थे????? और डॉक्टर तेजस और अरुण कंपाउंडर को वह कहां लेकर गए??????
क्या परिधि को इंसाफ मिल पाएगा??????
शेष अगले भाग में........