अभी तक आपने पढ़ा -तारा शब्बो को ,सबके सामने से लेकर निकल जाती है ,जो व्यक्ति शब्बो को मिला था ,वो चिल्लाता रह जाता है। सभी लोग ,तारा नाम की महिला को जानने का प्रयत्न करते हैं ,किन्तु किसी को भी उसकी जानकारी नहीं मिलती है यहां तक कि बस के यात्रियों की ,सूची में भी इस नाम की कोई महिला नहीं थी। इस दुर्घटना में कोई अनजान महिला किसी बच्ची को लेकर निकल जाती है और किसी को भी पता नहीं चलता। पता चले भी कैसे ?सभी अपनी -अपनी परेशानियों में उलझे थे। उनके पास तो सिर्फ़ स्लेटी रंग की गाड़ी ही सबूत थी किन्तु तारा तो उनसे भी दस कदम आगे सोचती है और कुछ आगे जाकर गाड़ी छोड़ देती है। रात किसी होटल में व्यतीत करती है ,उसी रात को वो शब्बो को भी अपने झांसे में लेने का प्रयत्न करती है किन्तु शब्बो को उसी रात ,उसकी सारी योजना का पता चल जाता है और अपने बचाव के लिए ,सोचती है। इससे पहले कि वो कुछ कर पाती ,उससे पहले ही तारा उसे लेकर निकल जाती है। अब आगे -
पुलिस स्टेशन में ,पहले एक फोन आता है ,फिर दूसरा उसके पश्चात तीसरा कि एक लड़की को किसी ने अगवा किया है। तभी एक फोन और भी आता है और वो फोन ,उसी ''सरदारजी ''होटल का दरबान करता है जहाँ रात को तारा ,शब्बो को लेकर रुकी थी। तब इंस्पेक्टर गुरिंदर चढ्ढा अपने साथ दो पुलिस कर्मियों को लेकर ,उस होटल में पहुंचते हैं। तब वहाँ का दरबान ,उन्हें देखकर कहता है- कि मैंने तो कोई फोन नहीं किया। इंस्पेक्टर चढ्ढा को क्रोध आता है ,ये क्या मज़ाक चल रहा है ?सुबह से कई फोन हमारे थाने में आये किन्तु किसी ने भी पता नहीं बताया, किन्तु इस होटल के दरबान ने बताया था कि रात को वो यहां ठहरी थी। उनकी बातें सुनकर ,वो कहता है -महाशय मुझे ,क्षमा कीजिये ,वो मैं नहीं ,मुझसे पहले वाला दरबान होगा ,उसका समय समाप्त हो गया ,उसके स्थान पर ,अब मैं आ गया हूँ इसीलिए मुझे इस विषय में कुछ नहीं मालूम।
तभी पीछे से दूसरा वाला ,दरबान आ जाता है और ''जय हिन्द ''करके कहता है -साहब मैंने ही फोन किया था ,आप आ जाते इसीलिए मैं अभी गया ही नहीं। मैं ,आप लोगों की प्रतीक्षा कर रहा था। इंस्पेक्टर गुरिंदर चढ्ढा बोले -सभी बातें विस्तार से बताइये -जी.... वे लोग पांच थे ,जिनमें दो महिलाएं भी थीं, जो बुरखे में थीं। तीन आदमी थे। आज सुबह ही वो लोग होटल से निकले ,तब एक बुरखे वाली मुझसे टकराई ,मैंने उसे गिरने से बचने में सहायता की। जब वो लोग गाड़ी में बैठ गए तब मैंने अपने हाथ में कुछ महसूस किया,- देखा- तो एक पर्ची थी ,पहले तो मैंने ,उसे फ़ेंक दिया किन्तु उसमें कुछ ''गुरुमुखी ''में लिखा देखकर मैंने उसे उठा लिया और पढ़ने पर मालूम हुआ -कि वो लोग बदमाश थे ,वो उस लड़की को जो मुझसे टकराई थी ,अगुवा करके ले जा रहे थे। तभी मैंने आपको फ़ोन कर दिया ,कहते हुए -उसने वो पर्ची इंस्पेक्टर साहब को दिखाई। उन्होंने देखा -वो पर्ची एक ''टिशू पेपर ''था जिस पर काजल की पेन्सिल से लिखा था-'' ये लोग मुझे सीमा पार ले जा रहे हैं ,मुझे बचाइये।''
जब इंस्पेक्टर साहब ,उस दरबान से ये बातें कर रहे थे ,तब तेजेन्द्र और करतार दोनों उस होटल के कमरे की तलाशी भी ले रहे थे ताकि कुछ सबूत मिले। तभी तेजेन्द्र और करतार ,इंस्पेक्टर साहब के पास आकर बोले -साहब ,एक पर्ची और मिली है ,ये वहां रखे , बर्तनों के नीचे रखी थी और कुछ नहीं मिला। इंस्पेक्टर साहब ने देखा -इस पर्ची में भी ''गुरुमुखी ''में ऐसा ही लिखा था। तब वो बोले -अब हमें देरी नहीं करनी चाहिए ,चलो जीप में बैठो !और उन्होंने गाड़ी दूसरे रास्ते में मोड़ दी। ताकि उस रास्ते से उनसे पहले आगे निकल जाएँ। उन्होंने ''चैक पोस्ट ''पर भी सूचना भिजवा दी और विशेष हिदायत दी ,एक -एक गाड़ी का अच्छे से निरीक्षण किया जाये।उन्हें बताया गया -कुछ लोग एक बच्ची को सीमा पर अगुवा करके ले जा रहे हैं , वो पाँच लोग हैं ,जिनमें दो महिलायें बुरखे में हैं ,अब शायद हो भी न। जी... उधर से आवाज़ आई।
जब तारा की गाड़ी उधर से निकली तो देखा ,सभी गाड़ियां एक लाइन में लगी हैं ,और एक -एक गाड़ी का अच्छे से निरीक्षण हो रहा है ,शब्बो यह देखकर, मन ही मन प्रसन्न हुई।तब वाहन चालक बोला -दूसरे रास्ते से ले लूँ। तारा जानती थी -वो रास्ता बहुत ही ख़राब है ,और अब गाड़ी मोड़ी ,तो इन लोगों को शक़ न हो जाये ,बैठे बिठाये लेने के देने न पड़ जायें। तभी उनके साथ तीन व्यक्तियों में से एक उतर गया और बोला -तुम लोग ,चलो ! मैं ,आगे ढ़ाबे पर मिलता हूँ। तभी तारा ने ,अपना और शब्बो का बुरखा उतार दिया। जब उनकी गाड़ी के निरीक्षण का समय आया तो तारा ने झट से ,शब्बो का सिर अपनी गोद में रख लिया और बोली -कुछ भी ,चूँ चपड़ की, तो तुझे यहीं गोली मार दूंगी। पुलिस वालों ने देखा ,दो महिलायें और दो पुरुष हैं ,उधर से तो सूचना आई थी कि तीन पुरुष हैं ,तब उन्होंने ''अँधेरे में तीर मारा ''बोले -तीसरा कहाँ गया ?अभी शब्बो कुछ कहती ,तभी तारा ने उसका सिर अपने हाथ से दबा दिया। बोली -कौन तीसरा ?साहब ,हम तो इतने ही लोग हैं ,ये मेरा पति 'रहमत 'और ये उसका भाई। और ये बच्ची...... ये बच्ची कौन है ?और इसका इस तरह गोद में ,सिर क्यों दे रखा है ?वहां तैनात पुलिसकर्मी ने पूछा। साहब !ये तो हमारी बेटी है ,इसे सफ़र में उल्टियाँ लगती हैं ,इसी से मेरी गोद में ,आँखें मीचे लेटी है। उन्हें उस गाड़ी में कुछ भी संदिग्ध नहीं लगा। उन्होंने उस गाड़ी के कागज़ वगैरहा देखे और किस गाँव जा रहे हो ?पूछा और आगे जाने दिया।उनकी गाड़ी आगे बढ़ चली। शब्बो का दिल जोरों से धड़कने लगा ,ये पुलिसवाले भी नहीं पकड़ पाए तो अब मुझे कौन बचाएगा ?
आगे निकलकर तारा बोली -क्या ये लोग हमें ही ढूँढ रहे थे ?क्या किसी ने शिकायत कर दी ?देखा नहीं ,वो इंस्पेक्टर किस तरह से पूछ रहा था ?तीसरा वाला कहाँ गया ?रहमत बना शेरू बोला -अरे ,ऐसा कुछ नहीं होगा ,वैसे ही पूछ रहे होंगे। तारा तुनककर बोली -तू चुपकर !मेरा पति बनने की कोशिश न कर। ऐसे ही अंदाजे से कोई नहीं पूछता कि तीसरा कहाँ है ?कुछ तो हुआ है या किसी ने शिकायत की हो। तभी उसका ध्यान ,उस दुर्घटना स्थल के उस व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित हो गया। बोली -हो न हो ,ये उसी व्यक्ति के कारण हो रहा है किन्तु उसे कैसे पता चला ?कि कितने आदमी थे ?उसकी निगाहें हमीं पर टिकीं थीं ,शायद उसने ही बताया हो ,अब ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। चलो जल्दी ,उस तीसरे को भी तो लेना है ,कहकर इस परेशानी में भी अपनी चतुराई पर हंस दी।