अभी तक आपने पढ़ा -शब्बो अपने पति ,करतार के साथ ,अपने मैके ''गुरदास पुर '' जा रही है ,तभी उसे अपने बीते दिन स्मरण हो आते हैं -किस तरह वो बलविंदर के प्रेम में ,नदी में कूद जाती है और जब किसी तरह बचती -बचाती वो अपने घर पहुंच भी जाती है। तब गाँववाले तो उनका स्वागत करते हैं ,किन्तु उनकी पड़ोसन टोनी की मम्मीजी उसके चरित्र पर अँगुली उठाती हैं। उनकी इन बातों को शब्बो दिल पर ले लेती है और उदासियों में ,डूब जाती है। तभी एक दिन उसकी सहेली शिल्पा आती है और उससे पढ़ने के लिए कहती है और उसे समझाती भी है ,उसकी बातों से उत्साहित होकर ,शब्बो पढ़ती है और आगे बढ़ने का निर्णय लेती है।
अब तो वो कॉलिज में दाखिला लेती है ,बलविंदर की कुछ धुंधली स्मृतियाँ उसके मष्तिष्क में रह गयी हैं। एक दिन वो अपने कॉलिज जाती है ,कुछ लड़के लड़कियों की भीड़ ,उसे और उसकी सहेली शिल्पा को घेर लेते हैं। तभी उस भीड़ में से एक लड़की आगे आई और बोली -कौन सा साल ?
पहला ही वर्ष है ,शिल्पा बोली।
सभी ने आपस में ,मुँह सा बनाया और हँसे।
कौन सा विषय एक लड़का बोला।
विज्ञान ,शिल्पा ने फिर से जबाब दिया।
तभी पीछे से एक लड़का बाहर आया और बोला -ये तुम्हारे संग जो हैं ,क्या इसके मुँह में जबान नहीं ?इन्हें जबाब देना नहीं आता।
शब्बो तब तक उस तरफ से पीठ किये खड़ी थी और उसकी आवाज़ से उधर देखते हुए बोली -नहीं ,ज़बान है और चलती भी है । शब्बो ने कुछ इस तरह देखा ,वो तो उसे देखते ही रह गया।
उसके इस तरह देखने से उसके ,सभी दोस्त हँसने लगे और बोले -इसने तो तेरी ,बोलती बंद कर दी।
समीर सम्भलता हुआ बोला -ज़बान चलती है ,तो चलाकर दिखाओ ?उसके दोस्त उसके इस प्रश्न पर फिर से मुस्कुरा दिए और माथे में हाथ मारते हुए ,बोले -ये तो गया......
अभी वे सब ,यही सोच रहे थे ,तभी उन्होंने देखा -शब्बो अपनी ज़बान निकालकर ,चिढ़ाने जैसे जीभ को निकालकर ,दिखा रही थी। उसकी इस हरकत से सभी ठठाकर हँस दिये।
समीर भी झेंपते हुए बोला -मेरा मतलब ये नहीं ,कोई कविता ,या गाना सुनाओ !
समीर के इस तरह कहने से ,शब्बो चिढ़ गयी। शिल्पा से बोली -देखा कैसे आदेश दे रहा है ?जैसे इसका कुछ लेकर खा रखा हो। मैं अभी इसका मुँह तोड़ती हूँ ,कहकर आगे बढ़ी।
शिल्पा ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा -तू यहीं खड़ी रह ,जब देखो ,सबसे लड़ने लग जाती है। ये सभी हमसे बड़े हैं ,हमसे सीनियर हैं। इनसे बेकार में कोई पंगा न ले ,कभी हमें कॉलिज में ,ये लोग रहने ही न दें।
क्यों ?इनके बाप का कॉलिज है ,कहकर शब्बो ने उन सबको घूरा।
तभी एक बोला -यार..... तेरी वाली तो घूरती भी है।
शब्बो से रुका नहीं गया और बोली -ये कौन बोला ?तेरी वाली ,क्या मतलब है इसका ?मैं अभी ,प्रधानाचार्य जी से शिकायत करूंगी तो पता चल जायेगा।
शब्बो को इस तरह गरमाते देखकर ,एक बोला -आप ही बात को बढ़ा रही हैं ,हमने तो ऐसा कुछ भी नहीं कहा। बस एक कविता या फिर गाने की मांग की थी। आप गाना सुना देतीं और हम चले जाते।
शिल्पा को सही लगी और बोली -ये सही कह रहे हैं ,तू इन्हें एक गाना ही सुना दे और बात ख़त्म।
मैं क्यों सुनाऊँ ?तू इतनी भली बन रही है तो तू ही सुना दे कहकर वो आगे बढ़ी ,तभी उन लोगों ने उसका रास्ता रोक दिया और बोले -इस तरह नहीं।
समीर ,जो पीछे किसी कार्य से चला गया था ,अब आगे आकर नम्रता से बोला - आप इतना क्यों परेशान हैं ?हमने तो कोई ग़लत बात भी नहीं की ,बस एक छोटा सा गाना सुना दीजिये ,बात ख़त्म !
समीर के इस तरह कहने पर ,शब्बो एक दर्द भरा गीत गाती है ,सभी शान्तिपूर्वक सुनते हैं ,उसकी आवाज इतनी मधुर थी ,पास से गुज़र रहीं एक अध्यापिका भी सुनने लगीं।
गाना समाप्त होने के पश्चात ,अध्यापिका को देखकर सभी चुपचाप ख़िसक लिए ,शब्बो को बुरा लगा - किसी ने भी प्रशंसा के दो बोल नहीं बोले और चले गए वो ठगी खड़ी रह गयी। अभी वो कुछ कहती ,तभी एक मधुर सी आवाज़ उसके कानों में गूँजी।
बहुत अच्छा गाती हो ,तुम्हारे कंठ में तो ,सरस्वती विराजती है ,तुम्हारा क्या नाम है ?
जी शबनम !कुछ हकलाती सी बोली। उन्होंने उसके सिर पर हाथ फेरा और बोलीं -ये लोग शरारती अवश्य हैं किन्तु इससे बच्चों का हुनर निकल कर आता है ,वरना हमें कैसे पता चलता ? तुम इतना अच्छा गाती हो। कहकर वो मुस्कुराती हुई चली गयीं।
शब्बो उन्हें जाते देखती रही ,उसे लगा -जैसे वो उसे कोई मैडल दे गयीं हों ,और वे दोनों भी ,अपनी कक्षा की तरफ बढ़ चलीं।
कक्षा में जाकर देखा , वही लड़का जिसने गाना गाने की फ़रमाइश की थी ,वो उसी कक्षा में ,बैठा था। उसे देखकर ,शब्बो बोली -ये तो ,हमारी ही क्लास में है और वहां हमारा सीनियर बना हुआ था।