शब्बो के अपने घर आ जाने के कारण ,और उसके पश्चात शिल्पा से मिलना ,ये सब शिल्पा को पसंद नहीं आया । समीर उसके साथ रह तो रहा है किन्तु शिल्पा उसके मन को छू भी नहीं सकी। समीर जानता है ,कि उसका विवाह साजिश के तहत हुआ है किन्तु वो अभी भी उस रिश्ते को निभा रहा है किन्तु शब्बो के प्रति उसका व्यवहार और सोच उसे गलत लग रही है। वो तो उसकी पक्की दोस्त है फिर भी...... पहले तो उसने सोचा -हो सकता है ,उसके मन में हीनभावना हो ,शब्बो के सामने अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हो। किन्तु अब तो बात ही कुछ और लग रही है। उसे शब्बो की परेशानियों से कोई मतलब नहीं ,उससे मिलने गयी ,तब भी घर में किसी को भी नहीं बताया कि शब्बो आई है। जब मेरे ही घर पर आई तो भी बात को छुपा गयी। कल पापा के बताने पर कि किसी को फोन पर डांट रही थी। तब उस पर शक होना स्वाभाविक है।
आज तो दोपहर में ही समीर के घर से फोन आ गया और उसे शीघ्र ही घर जाना पड़ा क्योंकि उसके पापा की अचानक तबियत बिगड़ गयी। वो पापा को लेकर डॉक्टर के गया ,रास्ते में अपने पापा से बोला -अब आप उतरिये और मेरे कार्य स्थल पर चले जाइये। तब तक मैं एक कार्य करके आता हूँ। उसने अपना फोन निकाला और थाने की तरफ मुड़ गया। उसने थाने पहुंचकर देखा ,हां शायद यही थाना तो शब्बो ने बताया था। ''इंस्पेक्टर करतार सिंह जी'' से मिलना है,समीर ने एक हवलदार को पास बुलाकर पूछा।
क्यों ?उनसे क्या काम है ? हमें बताइये !
जी नहीं ,ये बात मैं उन्हीं को बताऊंगा ,कोई आवश्यक कार्य है।
उस व्यक्ति ने समीर को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए देखा और बोला -साहब बाहर गए थे ,अभी आते ही होंगे ,उनका इंतजार कर लीजिये।
समीर वहीं पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया और प्रतीक्षा करने लगा।
तभी एक व्यक्ति बोला -अरे तिवारी जी ! आज आप यहीं हैं ,साहब के साथ नहीं गए।
नहीं, अकेले ही गए हैं ,इस केस में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखला रहे हैं।
आप किस केस की बात कर रहे हैं ?अरे वो ही ,बलविंदर का, धोखा धड़ी वाला केस ! मदनलाल जी आप भी न जाने कहाँ रहते हैं ?
बलविंदर का नाम सुनते ही ,समीर के ''कान खड़े हो गए ''और वो भी उनकी बातें ध्यान से सुनने लगा।
मदनलाल बोला -दिखलाये भी क्यों न ?अपने ही गाँव की बेटी है ,उसका तो जीवन नर्क बना ही दिया उन दोनों बुआ -भतीजे ने ! सुना है ,पहले से ही विवाहित भी था। वो बुआ ,वो तो उनके घर के क़रीब ही रहती थी ,तब भी ,उसने उन लोगों को धोखा दिया। उनके साथ खेल खेल गयी ,सुना है -'इसी ग़म में बेचारी की माँ भी चल बसी।'
सच में आजकल किसी का भरोसा नहीं ,वैसे मैंने सुना है ,ये बंदी भी अपने साहब को पहले से ही जानती थी तिवारी ने रहस्यात्मक लहज़े में कहा।
कौन सी बंदी ?
अरे वो ही ,जिसका केस संभाल रहे हैं।
हैं..... मदनलाल ने दिलचस्पी दिखाते हुए पूछा ,तुम्हें कैसे पता चला ?
वो जब ,उस दिन....... हमारे दफ्तर आई थी तब साहब ही उसे स्मरण करा रहे थे ,वो बहुत पहले कभी साहब को बचपन में मिली थी।
चलो ,अच्छा ही है ,अपने साहब भी अभी कुंवारे हैं ,सुना है -माँ ने लड़कियों की इतनी तस्वीरें भेजीं कोई पसंद ही नहीं आई। तब शायद ये पसंद आ जाये। मुझे तो लगता है -शायद आपने साहब भी उसे मन ही मन पसंद करते हैं।
चलो देखते हैं ,क्या मालूम ? उसका केस सुलझाते -सुलझाते ,अपने साहब की ज़िंदगी का केस भी सुलझ ही जाये। तभी करतार की जीप को देखकर ,दोनों चुप हो गए।
कुछ समय पश्चात ही ,करतार सिंह अपनी जीप से उतरा ,समीर ने इससे पहले करतार सिंह को देखा नहीं था किन्तु उसके रुआब और उसके व्यक्तित्व से पहचान गया ,हो न हो यही 'इंस्पेक्टर करतार सिंह ''हो सकता है। उसके विश्वास पर तब मुहर लग गयी ,जब उस व्यक्ति ने भी जो तिवारी था उसने कहा -लो ,साहब आ गए।
करतार सीधे अपने स्थान पर गया ,तब उसके पीछे वो व्यक्ति भी ,कुछ समय पश्चात ही ,वो व्यक्ति भी वापस आया और बोला -साहब ने बुलाया है। समीर उसके पीछे ,करतार के पास पहुंचा ,करतार ने उसे एक नजर देखा और बोला -जी..... कहिये !
जी मैं समीर.....
करतार ने फिर से ,समीर की तरफ देखा ,मन में सोचा -शायद शब्बो ने ,अपने दोस्त का यही नाम तो बताया था। कहिये ,मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ?
जी ,मेरे पास एक नंबर है ,उस नंबर से मैं ये जानना चाहता हूँ ,कि ये किसका नंबर है ?और उसका मेरी बीवी से क्या ताल्लुक़ है ?
ये आप क्या कह रहे हैं ?ये तो आप स्वयं भी फोन करके पता लगा सकते हैं ,अब क्या मैं इसी कार्य के लिए यहाँ बैठा हूँ ?
जी..... मैं आपकी बात समझ सकता हूँ ,किन्तु मैं चाहता हूँ ,कि इस व्यक्ति का पता भी चल जाये ,गलत है, तो पकड़ा भी जाये और मेरी पत्नी को पता भी न चल सके , कहीं उसे ये न लगे कि मैं उसकी जासूसी कर रहा हूँ।
समीर की बात सुनकर ,करतार सिंह मुस्कुराया और तिवारी से कहता है -तुम कहते हो न..... साहब विवाह कर लीजिये ,विवाह के बाद ये हालत हो जाती है फिर मुस्कुराते हुए समीर से बोला - बुरा मत मानिये ,अचानक आपकी हालत देखकर ,शादीशुदा आदमियों पर तरस आ गया।
अजी ! तरस की क्या बात है ?बात ये है ,कि एक बार रिश्ते में ,अविश्वास की ख़टास पड़ जाये तो पुनः वो बात नहीं आती। यदि मैंने उस व्यक्ति को फोन किया और उसने मेरा नंबर मेरी पत्नी को बता दिया तब उसे वहम हो जायेगा कि मुझे उस पर विश्वास नहीं। हो सकता है ,वो मुझे सच्चाई भी न बताये।
करतार ने उसकी बात ,ध्यान से सुनी और बोला -आपकी पत्नी का उस व्यक्ति के साथ कब से चक्कर चल रहा है ?
जी नहीं ,अब आप गलत समझ रहे हैं। मेरी बीवी का उसके साथ कोई चक्कर नहीं हो सकता।
तो..... फिर आप इतनी छानबीन क्यों करवा रहे हैं ?
शब्बो के लिए.........
शब्बो का नाम आते ही ,तिवारी और मदनलाल के भी कान खड़े हो गए ,ये अब उसके विषय में क्या कहानी सुनाने वाला है ?
प्रिय पाठकों !आपका बहुत -बहुत धन्यवाद ,जो आप मेरा साथ देते हुए ,इस भाग तक पहुंच गए ,मुझे भी उम्मीद नहीं थी- कि मेरी ये कहानी इतनी लम्बी हो जाएगी अभी भी ,आप लोग इसी तरह अपना सहयोग बनाये रखिए। हमारी मेहनत की कमाई आप लोगों की समीक्षा और आप लोगों द्वारा दिए गए स्टिकर ही हैं। मेरा दूसरा धारावाहिक भी चल रहा है ''ऐसी भी ज़िंदगी '' जो नायिका प्रधान है ,उसमें भी अपना सहयोग बनाकर चलिए ,धन्यवाद !