अभी तक आपने पढ़ा -शब्बो को पता चलता है ,जिस ज़िंदगी को वो इतना आसान समझे बैठी थी ,वो इतनी आसान नहीं। उसमें तो उसके लिए ,जैसे कांटे ही भरे हैं। अभी उसे उन काँटों पर चलना है। उन काँटों की चुभन ,उसे अभी से ही हो रही थी। जब उसे पता चलता है -उसके पेट में जो बच्चा पल रहा है ,उसके पति का नहीं ,खन्ना का है ,जो पैसों के दम पर , कुछ भी खरीदने का दम रखता है। बस दूसरे व्यक्ति का लालच कितना बड़ा है ? ये उसकी पारखी नजर परख़ लेती है ,तभी तो वो इतना बड़ा व्यापारी बना। वो भी पक्का व्यापारी निकला और ये [बलविंदर की तरफ देखते हुए ]भी पूरा लालची। वो भी कितनी मूर्ख निकली ?[उसने अपने को भोली या मासूम नहीं कहा ] समय के साथ समझौता करने का सोचा। उसे किसी भी तरह इस इंसान पर विश्वास नहीं करना चाहिए था। किन्तु इसने ये कौन सी डील की बात की ?जब मेरे दामन से इतने कांटें लिपटे हैं कुछ और सही।
ये तुम कैसी डील की बात कर रहे थे ?कौन सी डील ,कैसी डील ?
कुछ नहीं ,बलविंदर झुंझलाकर बोला।
कुछ तो है ,जब तुम इतने बेशर्म हो सकते हो ,तो ये ही बात छुपाने से क्या लाभ ?ये भी कह क्यों नहीं देते। इससे ज्यादा भयानक और क्या बात हो सकती है ?
बलविंदर को भी उसकी ये बात ठीक लगी ,हाँ ,अब ये मेरा क्या बिगाड़ लेगी ?सुनना है तो ,सुनो !कान खोलकर सुनो !मेरी बुआ और हमारे बीच एक समझौता हुआ था। तेरे तो कोई भाई है नहीं ,सम्पूर्ण धन -सम्पदा तेरी ही हो जानी है ,तेरी होने का अर्थ है ,मेरी हो जाना। जब वो मेरी हो जाती ,तब बुआ को भी उसमें हिस्सा मिलता।
तू क्या ,मुझसे विवाह नहीं करना चाहता था ?मुझसे प्यार नहीं करता था। ये सब एक नाटक था मेरे पापा जी की जायदाद हड़पने के लिए ,इतना बड़ा स्वांग रचाया।
क्या करते ?वैसे तो तुम कुछ देते नहीं ,ये सब इसीलिए ही करना पड़ा। मेरी बुआ की नजर तो कबसे थी ?जब मैं बड़ा हो गया ,तब हमने ये सब करने का सोचा।
अच्छा ,एक बात बताओ ! जब तुमने इतना सब बता ही दिया तो ये और सही ,क्या तुम पहले से ही शादीशुदा हो ?हो तो ,तुम्हारी पत्नी कौन है ?
शब्बो के प्रश्न पूछने पर ,बलविंदर कुछ देर के लिए मौन रहा ,वो सोच रहा था कि इसको मैंने अपनी सभी योजना बताकर ,कहीं कोई गलती तो नहीं कर दी।
देखो! ये सब छुपाने से कोई लाभ नहीं क्योंकि मुझे ये सब पहले से ही पता था किन्तु तुम्हारे विरुद्ध कोई सबूत नहीं था। अब मैं बेचारी कर भी क्या सकती हूँ ?अब तो विवाह हो ही गया।
हां ,मैं पहले से ही शादीशुदा हूँ ,और अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता हूँ।
तब तुम्हें मुझसे क्या दुश्मनी थी ?तुमने मुझसे कौन से जन्म का बदला लिया ? तुम अपने जीवन में खुश रहते और मैं अपने जीवन में ,मेरी मम्मीजी तो तुम्हें अपने बेटे जैसा मानती थीं ,तुमने मेरे साथ ही नहीं ,उन लोगों के साथ भी विश्वासघात किया। जब उन लोगों को तुम्हारे और तुम्हारी बुआ के विषय में पता चलेगा तो उनका विश्वास टूट जायेगा।
ये जो तेरे बाप पर माया है ,उसी के कारण ,हमने ये सब करना पड़ा।
अरे !ये तो तुम वैसे भी मांग लेते ,मेरे पापा से भीख मांग लेते ,वो तब भी तुम्हें पैसे दे देते ,तुम मेरे दोस्त बनकर भी ,रह सकते थे और मैं अपने दोस्त की सहायता तो करती ,न ही मेरा जीवन बर्बाद होता ,न ही तुम्हें ये धोखेबाज़ी का चक्रव्यूह रचना पड़ता किन्तु तुम्हें तो सब समझाने वाली ,वो तुम्हारी बुआ होगी। जो शुरू से ही गलत रही है। उसकी सोच कभी भी ,सही नहीं रही किन्तु मैं मम्मीजी को समझा दिया करती , किन्तु ये नहीं मालूम था ,कि वो जहरीली नागिन इस तरह ज़हर उगलेगी।
गलत सोहबत में बैठोगे तो ,गलत रास्ते ही देखने को मिलेंगे। मैं समझ नहीं पा रही ,मैं अब क्या करूँ ,कहाँ जाऊँ ?पापा जी और मम्मीजी को पता चलेगा तो पता नहीं ,वो क्या कर बैठें ?
उन्हें पता तो, तब चलेगा जब हम चलने देंगे ,कहकर बलविंदर ने उसका फोन भी उसके पास से उठा लिया और कमरा बंद कर दिया।
शब्बो चिल्लाती रही -बलविंदर..... बलविंदर!!!!! मेरा फोन मुझे दे दे ,इस तरह दरवाज़ा बंद मत कर ,मेरा दम घुट जायेगा।
उसने शब्बो की एक बात भी नहीं सुनी और बाहर निकल गया। आज ये घर उसके लिए कैदखाना बन गया। ये ज़िंदगी भी न क्या -क्या नजारे दिखाने वाली है ?अब तो किसी को फोन भी नहीं कर सकती। बहुत देर तक इसी तरह बैठी रही और थककर सो गयी।
देर रात ,बिजली की रौशनी से उसकी आँखें खुली ,खन्ना ने दरवाजा खोला था। तुम..... कहकर शब्बो उठ गयी।
बैठी रहो ,अब तो तुमको सब मालूम हो ही गया है ,अब कुछ भी छुपाने से कोई लाभ नहीं ,और ये जो बच्चा तुम्हारी कोख़ में है इसे गिरा दो। माना कि, ये मेरा हो सकता है किन्तु मैंने तुम्हें पैसे बच्चा पैदा करने के लिए नहीं दिए ,मज़े करने के लिए दिए हैं। बच्चा ही पैदा करना होता ,तब मैं शादी न कर लेता।
शादी करके भी क्या हो जाता ?तुम जैसों की सोच ,इस शरीर से आगे नहीं जा सकती। आज बलविंदर ने मेरा सौदा तुझसे किया ,कल तू अपनी पत्नी का सौदा किसी और से कर रहा होता। तुम इंसान नहीं ,तुम तो रिश्तों को भी बेच डालो ,तुम जैसे पैसे और हवस के पुजारी अपनी माँ का भी सौदा कर डालो।
शब्बो की बात सुनकर ख्नन्ना को क्रोध आ गया और उसका मुँह अपने हाथों से दबाते हुए बोला -इस चेहरे को मैंने प्यार से देखा है ,अब कोई ऐसी हरकत न करना कि ये चेहरा ही सही -सलामत न रहे।
शब्बो विवश ,अकेली ,असहाय महसूस कर रही थी। इस अनजान शहर में किसका सहारा ले ?तब वो बोली -क्या तुम्हारे परिवार नहीं है ?क्या तुम्हारे बहन -बेटी नहीं है ?
हैं ,सभी हैं किन्तु सभी रिश्ते पैसों से जुड़े हैं ,पैसा है तो रिश्ते हैं और भी नए रिश्ते बन जाते हैं।
ऐसा तुम्हारा सोचना है ,जब तुम्हारी ही सोच ,इतनी गंदी है ,तब दूसरों से तुम कैसे उम्मीद रख सकते हो ?रिश्ते तो रिश्ते होते हैं ,जो प्यार से जुड़े होते हैं।तुमने सभी को अपने जैसा समझ लिया ,जैसे ये रिश्ता तुमने पैसे से खरीद लिया। क्या तुम्हारे पैसे के कारण ,मेरे लालची पति की वजह से ,मेरे शरीर को धोखे से तो पा सके किन्तु मेरे जज़्बात तुम चाहकर भी नहीं ,खरीद सकोगे। इस धोखेबाज इंसान ने ,मुझसे धोखे से विवाह किया। एक धोखा झेल भी लें किन्तु मेरी जिंदगी में तो जैसे धोखे खाना ही लिखा है कहकर रोते -रोते हिचकी बंध गयी। खन्ना तो उसकी हालत देखकर चला गया किन्तु वो रोती रही।पापा कहते थे -मेरी बेटी किन्नी सोहणी है ,चाँद सा रूप है। मुंडा तो इसे देख -देखकर ही ख़ुश हो जाना है ,अपनी तक़दीर को सराहेगा, किन्नी सोहणी वोटी मिली है ? ये पापा जी को कौन बताये ? कुड़ी सोहणी होने से कुछ नी होंदा। तक़दीर सोहणी होनी चाही दा।अपने पेट की तरफ देखते हुए - ये भी प्यार की नहीं धोखे और अँधेरे का गंदा बीज़ है ,इसको तो अब दुनिया में आना ही नहीं चाहिए ,जिसको जन्म से पहले ही इतने लांछन लग चुके हों ,वो जन्म लेकर क्या करेगा ?अब तुम्हे इस जीवन में नहीं आना चाहिए ,कहकर वो अपने पेट में मुक्के मा रने लगती है और कहती है -तुम इस दुनिया में नहीं आ सकते ,ये दुनिया धोखे और फ़रेब से भरी पड़ी है। तभी बाहर के कमरे से ,कामवाली बाई आकर उसका हाथ पकड़ती है।