आज सुबह ही ,घर के सभी कार्य निपटा कर शब्बो ने बहुत दिनों पश्चात ,अपनी स्कूटी को हाथ लगाया था। उसने अपनी स्कूटी को साफ किया और आज वो ,समीर के घर की तरफ चल दी। इन्हीं वजहों से ,उसकी पढ़ाई भी ,छूट गयी थी। अब तो अपनी ज़िंदगी की पढ़ाई ही कर रही है। उसमें भी कभी -कभी उसे लगता ,वो फेल हो जाएगी किन्तु हताश होकर ,फिर से दोगुने साहस से आगे बढ़ने का प्रयत्न करती। आज भी ,वो अपने पति यानि बलविंदर के विरुद्ध सबूत पाने के लिए ,उस अनजान अपहरणकर्ता की पहचान के लिए ,परिस्थिति अनुकूल न होने के बावजूद भी ,अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही है।
आज बहुत दिनों पश्चात ,उसका सामना समीर से होगा। क्या वो उससे शिकायतें करेगी ?या फिर अपने केस के सिलसिले में बातें करके आ जाएगी। वो नहीं जानती -कि समीर को देखकर ,वो क्या करेगी ?और समीर की क्या प्रतिक्रिया होगी ? क्या शिल्पा से विवाह के लिए ,मुझे कुछ भी सफाई देगा या फिर......... उसने अपने विचारों को झटका दिया और अपने आप से ही अपने केस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। वो शीघ्र ही ,समीर के घर पहुंच गयी उसने अपनी स्कूटी खड़ी की। बिना किसी रोक -टोक अंदर आ गयी, इससे पहले भी वो कई बार, इस घर में आ चुकी थी। उसने देखा -बाहर दालान में ,समीर के पापा चुपचाप बैठे ,अख़बार पढ़ रहे हैं। उसकी मम्मी कहीं भी दिखाई नहीं दीं। अंकल जी ,नमस्ते !सत श्री अकाल कहकर उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयत्न किया। उसकी आवाज से उन्होंने अपना ध्यान अख़बार से हटाया। और पहचानने का प्रयास करते हुए बोले - शब्बो.....
उनके पहचानते ही ,शब्बो ,जैसे अपना समय भूल गयी और मुस्कुराते हुए उनके समीप आई और बोली -यहाँ आप अकेले कैसे बैठे हैं ?फिर अख़बार की तरफ देखते हुए बोली -सॉरी ,आपके पास तो आपका साथी है जो सम्पूर्ण जानकारी आपको देता है।
वे बोले -ये क्या साथी...... ?ये तो जैसे मेरे जीवन से चिपक गया है या फिर मैं इसके जीवन से चिपक गया हूँ ,समय काटे नहीं कटता ,सुबह से इसे दो बार पढ़ चुका हूँ।
क्यों ,आंटी नहीं दिख रहीं ?
वो भी ,अपना समय बिताने के लिए कॉलिज चली जाती है ,उसका कुछ तो समय कट ही जाता है।
शब्बो ने घर में ,चारों तरफ नजरें दौड़ाई और बोली -घर में और कोई नहीं है ,क्या ?कोई नजर नहीं आ रहा। समीर तो ,अपने काम पर गया है। और शिल्पा...... उनकी बात बीच में ही काटते हुए बोली। उन्होंने अपना चश्मा ठीक किया और एक नजर उसे देखा और बोले -क्या तुम उसे जानती हो ?
ये आप क्या कह रहे हैं ?उसे मैं नहीं जानूँगी तो और कौन जानेगा ?वो ही तो मेरी पक्की सहेली है ,हम दोनों कॉलिज में साथ ही तो पढ़ते थे। हम दोनों एक ही गांव से हैं , क्या उसने या समीर ने मेरे विषय में कुछ नहीं बताया ?
उन्होंने हाथ के अंदाजे से मन ही मन सोचा -पता नहीं ,इन लोगों की ज़िंदगी में क्या घट रहा है ?कुछ बताते भी नहीं। प्रत्यक्ष बोले -तुम्हारा इतनी जल्दी विवाह हो गया ,तुमने हमें बताया भी नहीं।
क्या करती ?सोचा कुछ और था ,हो कुछ और गया कहकर शब्बो ने गहरी निःश्वास ली।
अच्छा ये बताइये !शिल्पा आपकी बहु कैसी है ?आपका ख्याल तो रखती है।
ह्म्म्मम्म !
कुछ शिकायत हो तो बताइयेगा ,मैं उसे समझा दूंगी।अच्छा अब ये तो बताइये ,वो कहाँ है ?उससे भी मिल लूँ। जब उसे पता था ,कि में आई हुई हूँ ,फिर भी वो मुझसे मिलने दुबारा नहीं आई ,एक बार आई तो पूछा भी नहीं।
क्या उसे मालूम था ?कि तुम आई हुई हो ,उन्होंने पूछा।
हाँ ,मुझसे मिलने भी आई थी।
उसने हमें तो नहीं बताया।
शायद उसे मालूम न हो, कि मैं आप लोगों को जानती हूँ।
समीर को तो बता सकती थी ,उनके लहज़े में शिकायत थी किन्तु स्पष्ट रूप से शायद ,अपनी बहु के विषय में कुछ भी कहने से हिचक रहे थे। हो सकता है ,उन्हें लगे- कि मैं अपनी सहेली की बुराई सुनकर बुरा न मान जाऊँ।
शब्बो ने उनके तेवर देखकर पूछा -अंकल क्या आप कुछ कहना चाहते हैं ?
नहीं.... मुझे कुछ नहीं कहना ,जाओ !अपनी दोस्त से मिल लो ! वो ऊपर के कमरे में होगी।
वो दौड़ती हुई ,ऊपर चली गयी ,वो पहले से ही इस घर के चप्पे -चप्पे से वाकिफ़ थी।शब्बो जब ऊपर पहुंची। शिल्पा किसी से फोन पर बातें कर रही थी। उसे देखते ही फोन रख दिया औरआश्चर्य से बोली -तू यहाँ.... कैसे ?
आ गयी ,अपनी सहेली से मिलने ,तू तो नहीं आई ,मैं ही आ गयी।
वो शब्बो को देखकर प्रसन्न नहीं हुई वरन परेशान हो गयी और बोली -तुझे यहाँ का पता किसने दिया ?
बस तेरा नाम लेकर ऐसे ही पूछते -पाछते आ गयी ,शब्बो उसके पास बैठ गयी उसका चेहरा देखकर बोली -क्या तू मेरे आने से प्रसन्न नहीं है ?
नहीं ,ऐसी कोई बात नहीं ,अच्छा तू बता कैसे आना हुआ ?
तुझसे शिकायत करने आई हूँ ,मेरी मम्मीजी नहीं रहीं ,तू मिलने भी नहीं आई। ख़ैर ! ये सब छोड़ ,तुझे पता है। पुलिस मेरे घर आई थी।
क्या ????तेरे घर क्यों ?शिल्पा का चेहरा सफेद पड़ गया ,वो बलविंदर और शब्बो के रिश्ते की सच्चाई नहीं जानती थी।
वो ही अपहरण के सिलसिले में ,किन्तु तू इतना क्यों ड़र रही है ?
मैं ड़र नहीं रही ,मेरे तो पुलिस के नाम से ही हाथ -पाँव फूलने लगते हैं , शिल्पा ने सफाई दी।