अभी तक आपने पढ़ा ,करतार शब्बो से प्यार का इजहार कर देता है ,शब्बो भी प्रसन्न है किन्तु बलविंदर के साथ उसने जो भी दिन बिताये थे। वो उसकी ज़िंदगी के ''काली स्याही ''से लिखे ,काले दिन थे ,जिन्हें वो भूलकर भी स्मरण करना नहीं चाहती किन्तु वो दिन भुलाये भी नहीं भूलते। करतार को तो सब बताना ही होगा ,मैं उसे धोखे में नहीं रख सकती। तभी उसका मन कहता है -क्यों ,अपनी ज़िंदगी में आई ख़ुशी को लोेटा देना चाहती है ,क्या आवश्यकता है ? उसे ये सब बताने की।
नहीं...... मैं उसे धोखा नहीं दे सकती किसी और से पता चला, तब क्या होगा ?उसके बाद उसने मुझे इस धोखे के लिए माफ नहीं किया ,छोड़ दिया ,तब क्या होगा ?
उसे कौन बताएगा ?वो तो अब बदली करके यहाँ से भी जा रहा है। उसे तो समीर के विषय में भी कुछ नहीं पता ,तब क्या ?तू उससे बता सकेगी कि समीर भी मेरा प्यार था। बताने ही जा रही है ,तब समीर के विषय में ही क्या छिपाना ?
समीर से तो मैंने प्यार किया था किन्तु हमारे बीच कुछ भी गलत नहीं था।
जब गलत नहीं था तो छुपाना कैसा ?तू उसे ये भी बता दे- कि समीर की पत्नी और तेरी सहेली शिल्पा ने जो भी कदम उठाये वो तुम्हारे प्यार की ईर्ष्या में उठाये ,तुम्हें अपने बीच से निकाल देना चाहती थी।
समीर उससे प्रेम करता ही नहीं था ,उसका तो एकतरफ़ा प्रेम था जिसको उसने छल से अपना बनाया। तभी तो आज उसकी सजा भुगत रही है ,अब मेरा उन दोनों से कोई मतलब नहीं है। न ही ,मैं उनकी ज़िंदगी में आना चाहती हूँ न ही ,उनको अपनी ज़िंदगी में चाहती हूँ।
पगली ! हो सकता है ,समीर तेरा ही इंतजार कर रहा हो ,इसीलिए उसने शिल्पा को छोड़ दिया हो।
नहीं ,अब मैं उस छल में पुनः वापस नहीं जाना चाहती ,तुम मेरे दिल को और मत बहलाओ ,चली जाओ !यहाँ से।
किसको कह रही हो ? यहाँ तो कोई भी नहीं ,उसके पापा अचानक आकर बोले।
अपने पापा की आवाज सुनकर वो अपने अंतर्दवंद से बाहर आ गयी और बोली -पापा आप कब आये ?शायद बैठे -बैठे मेरी आँख लग गयी , नींद में कह रही हूँगी।
अच्छा ,अब ये बताओ ! तुम चल रही हो ,दावत में !
किसकी दावत और कैसी ?
क्या तुम्हें पता नहीं चला ?मैं तो सोच रहा था -कि तुम्हें पता होगा ,करतार का तबादला हो गया है ,अब वो जा रहा है। कुछ लोगों ने उसके लिए ''विदाई समारोह ''रखा है। हमारे लिए भी निमंत्रण आया है , चलना है ,तो चार बजे तैयार रहना।
जी पापाजी !कहकर वो अंदर आ गयी ,उसके तबादले का मैंने सुना तो था किन्तु उसे लगा नहीं, कि वो इतनी जल्दी जायेगा। तभी वो जाने से पहले अपने प्रेम का इजहार कर रहा होगा। यदि वो जा रहा है ,तब मैं उससे विवाह करके ,अपने पापाजी को अकेला छोडकर केेसे जा सकती हूँ ?उसने शादी करने के लिए तो कहा किन्तु ,ये भी नहीं पूछा -मैं क्या चाहती हूँ ?मैंने भी कह तो दिया ,जैसे पापा जी कहें किन्तु वो तो मेरे बिना अकेले रह जायेंगे। अभी तो मुझे उससे बहुत सारी बातें करनी थी। इस तरह अचानक उसका जाना ,उससे पहले मुझसे पूछना। ये सब ,मैं क्या समझूँ ? सोच -सोचकर उसका सिर दुखने लगा उसने घड़ी में समय देखा। अभी तो दो ही बजे हैं ,थोड़ी देर सो लेती हूँ , सोचकर वो सोने का प्रयत्न करने लगी।पता नहीं , पापा जी से मेरे और अपने विषय में कुछ बात की भी है या नहीं।उफ्फ़.... ये सब उसने कितना उलझा दिया ?मेरी ज़िंदगी में उलझनों के सिवा बचा ही क्या है ?वो विचारों को झटका दे फिर से सोने का प्रयत्न करने लगी।
जब वो उठी ,तब पापा की आवाज आ रही थी ,शब्बो बेटा तैयार हो गयी।
जी पापा जी ,अभी हो गयी बस ,कहकर वो तेजी से मुँह धोने चली गयी।
जब तैयार होकर बाहर आई तो उसके पापा देखते ही रह गए और बोले -चलो !
करतार को विदाई देने सभी अपनी -अपनी पत्नियों के संग आये थे ,सब पुलिसवाले ही थे किन्तु शब्बो और उसके पापा ही अलग थे। शब्बो आज खूब चमक रही थी ,वो गुलाबी कपड़ों में खूब जाँच रही थी। बस ये समझो !उस पार्टी की जान थी। करतार जब आया ,लोगों ने उसे उपहार दिए ,जब उसने शब्बो को देखा ,तो कुछ देर के लिए शब्बो पर नजरें टिकीं किन्तु शब्बो ने नजरें झुका लीं। करतार अपने सवाल का जबाब उससे चाहता था, किन्तु शब्बो की तरफ से कोई इशारा भी उसे नहीं मिला। तब उसने सोचा ,अब पूछना ही बेहतर होगा किन्तु उसके क़रीब जा नहीं पा रहा था और वो थी ,कि अपने पापा से चिपकी हुई थी। तब वो थोड़ा निराश सा हुआ। तब उसने एक -दो पैग लगाये। तब शब्बो की तरफ देखा किन्तु उसका प्यार तो चुप था कोई जबाब नहीं मिला ,उसने फिर थोड़ी और पी। तब संगीत बज उठा ,सभी नाचने लगे। वो भी नाचने लगा और एक दर्द भरा गाना भी गाया ,जब उसका दर्द हद से ज्यादा बढ़ गया। तब वो सभी लोगों को सम्बोधित कर बोला -में....रे..... प्यारे..... दोस्तों....... आप सभी के स्नेह का बहुत -बहुत आभार !आ....ज... मैं ,आप लोगों को अपनी ज़िंदगी का एक राज बताने जा रहा हूँ। मदनलाल और तिवारी तो पहले ही समझ गए ,आज साहब अपने प्यार का इज़हार करके ही मानेंगे। वैसे तो स्वीकार नहीं कर पाते किन्तु ये शराब..... अपनी मनमर्जी कराके छोड़ेगी।
करतार बोले जा रहा था -मेरे प्यारे दोस्तों ! क्या आप जानते हैं ?मेरी जिंदगी में भी प्यार है ,मैं भी किसी से बरसों से प्रेम करता आया हूँ ,मेरी बेबे सोचती है -मैं ब्याह करना ही नहीं चाहता ,किन्तु ये नहीं जानना चाहती, कि मैं किससे प्यार करता हूँ ? पता भी.... कैसे चलेगा ?जब मैंने किसी को बताया ही नहीं। वो मेरे ख्वाबों की रानी है ,मेरे दिल का सुकून है।
तिवारी मदनलाल से कह रहा था -आज साहब पूरे मूड़ में आ गए हैं ,आज तो अवश्य ही कुछ न कुछ गुल खिलेगा।
पीछे से आवाज आई ,कुछ बताएगा भी या यूँ ही पहेलियाँ बुझाता रहेगा।
दोस्तों !क्या करतार ,सबके सामने अपने प्यार का इज़हार कर पायेगा ?क्या उसका प्यार शब्बो ही है ,या कोई और ! यदि उसने अपने प्यार का इजहार कर भी दिया तो शब्बो के पापा की क्या प्रतिक्रिया होगी ?जानने के लिए पढ़ते रहिये -''बदली का चाँद ''अपना प्रोत्साहन और अपनी टिप्पणी अवश्य दीजिये। धन्यवाद !