टोनी और खन्ना पकड़े जाते हैं ,उन्हें लेकर पुलिस चली जाती है ,तब उस कमरे में शब्बो आती है किन्तु सिम्मी नहीं आती ,शब्बो को अकेली देखकर ,मैक सिम्मी से पूछता है -भाभीजी ,मेरी बीवी कहाँ है ?
तुम्हें ,अब.... उसकी याद आई है ,जब तो उसे छोड़ गए थे ,उन गुंडों के हवाले और अब उसकी याद आ रही है। वो तुमसे नाराज है ,बात नहीं करेगी।
मैक करतार की तरफ देखता है ,देख लीजिये ,सर ! कैसे सता रही हैं ?आप तो जानते ही हैं ,ये सब आपके कहने पर ही तो किया।
क्या ,तुम्हें अपनी पत्नी पर इतना भी भरोसा नहीं था कि उसे बताते ,उसे विश्वास में लेकर ,उसे सब समझा देते ,उसे तो लग रहा था ,जैसे -वो इस अनजान शहर में अकेली पड़ गई है।
उसने भी तो अपनी स्वीकृति देकर ,मुझे बहुत दुःख पहुंचाया ,मैं तो बाद में भी उसे मनाने आया था और उससे इंकार करने के लिए भी कहा था किन्तु वो तो अड़ गयी। आप नहीं जानती ,मैं उसके इस तरह कहने से कितना तिल -तिलकर मरा हूँ ?मेरे लिए तो वो एक रात ही कई रातों के बराबर थी।
तुम्हारे इस तरह कहने पर ,क्या उसे दुःख नहीं हुआ होगा ? जो लड़की अपने' हनीमून ' पर अपने पति के साथ आती है और उसका पति ऐसी हरकतें करे ,तब तुम ही सोचो ! उस पर क्या बीती होगी ?वो तो मैंने उससे कहा था।
क्या कहा था ?मैक उत्सुकता से पूछता है।
जब तुम लोग कुछ भी योजना बना सकते हो ,तो क्या हम नहीं ?शब्बो मुस्कुराते हुए बोली।
अच्छा जी ,तो ये आपकी और उसकी चाल थी ,उसने मुझे कितना सताया ?अब उसे कुछ नहीं कहेंगी ,मुँह बनाते हुए मैक बोला -अभी भी कितनी चोट लगी है ? एक बार भी देखने नहीं आई ,अभी भी मुझे सता ही रही हैं । वैसे एक बात तो है ,उसके इस तरह करने से ,उसके बाहुबल का तो पता चल ही गया। अब तो उससे बचकर ही रहना होगा , सोचकर ही वो मुस्कुरा दिया।
रहोगे तो जब...... जब वो तुम्हारे साथ रहेगी।
मतलब !
मतलब ,ये कि अब वो तुम्हारे संग नहीं रहेगी।
ये आप क्या कह रही हैं ?,क्यों मेरी जान लेने पर तुली हैं ?अभी तो हमारी 'सुहागरात 'भी नहीं हुई।
तो हमारी कौन सा हुई है ? एकाएक करतार के मुँह से निकल गया।
शब्बो ने करतार की तरफ देखा और दूसरे कमरे में चली गयी। उसे इस तरह करतार के मुँह से सुनकर ,दुःख ,झिझक और शर्म ,सब एक साथ हुई , मैक भी क्या सोचेगा ? हमारा विवाह तो उससे पहले हुआ किन्तु अभी तक 'सुहागरात ' नहीं मनी। अभी तक हम साथ तो रह रहे हैं किन्तु एकदूजे के नहीं हुए। मैंने भी न...... अपने करतारे को कितना दुःख दिया ? किन्तु आज तक उसने कभी शिकायत नहीं की। मैं तो उसे सब बता देना चाहती थी किन्तु ऐसा समय ही नहीं आया ,जब यहाँ आये तो वो फिर किसी और केस में फंस गया। लगभग छह माह हो गए ,हमारे ब्याह को अभी तक मैं करतार के संग तो हूँ किन्तु.....आज मैं ग़म की बदली को हटा दूंगी। आज उससे ,सारी बातें बताकर रहूंगी और उससे दूरी का कारण समझा कर रहूंगी।
मैक को करतार डॉक्टर के पास ले गया ,डॉक्टर ने बताया ,हल्का जख़्म है ,शीघ्र ही ठीक हो जायेगा। दोनों वापस होटल में आ रहे थे। दोनों के ही मन में अनेक प्रश्न थे किन्तु दोनों ही ख़ामोश थे। किसी से क्या कहें ?दोनों एक ही कश्ती में सवार थे। बस परिस्थितियां थोड़ी भिन्न थीं। मैक ने आख़िर पूछ ही लिया -सर !पूछना ठीक नहीं लग रहा किन्तु ऐसा क्या हुआ ?
कुछ नहीं ,इन्होंने इतनी परेशानियाँ देखीं हैं ,कि इन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने से डर लग रहा था। शबनम की माँ का जाना ,पहले विवाह में धोखा खाना ,ये सभी बातें इन्हें आगे बढ़ने से रोक रही थीं। मैंने भी अपने रिश्ते को समय दिया। जब तक ये रिश्ते को दिल से नहीं स्वीकारतीं ,तब तक मैं प्रतीक्षा करूंगा। मैक ने उनके धैर्य और उनके पवित्र प्यार की मन ही मन सराहना की ,उसके मन में उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया। तब उसे अपनी सिम्मी की चिंता हुई ,सोचा मेरे चोट भी लग गयी किन्तु मुझे देखने आई नहीं। पता नहीं , वो मेरे साथ क्या करेगी ?
होटल में जाकर दोनों अपने - अपने कमरे की ओर बढ़ते हैं ,करतार जैसे ही कमरा खोलता है , उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। कमरा फूलों से सजा हुआ था ,धीमी रौशनी थी। खुशबू से महक रहा था। करतार को लगा ,शायद किसी अन्य कमरे में आ गया है ,वो पुनः बाहर आया कमरे का नंबर देखा ,कमरा तो उसी का है ,करतार अबकि बार कमरे में आया तो शब्बो जो पीठ किये नई -नवेली दुल्हन की तरह बिस्तर पर बैठी थी ,तब उसने अपनी पायल बजाकर इशारा किया ,जैसे करतार को बुला रही थी। करतार जब उसके समीप आया। शब्बो ने शर्माकर घूंघट खींच लिया।
मेरा चाँद !आज बदली में कैसे ?किन्तु शब्बो नहीं बोली। लगता है ,आज मेरा चाँद नाराज है , कहकर करतार मुस्कुराकर जैसे ही जाने लगा ,शब्बो ने उसका हाथ पकड़ लिया ,बोली -कुछ समझते ही नहीं।
करतार मुस्कुराकर बोला -समझाओगी तभी समझूँगा न.....
मैं क्या समझाऊं ? बस इतना कहना चाहती हूँ ,मुझे माफ़ कर देना ,कहते हुए उसने अपनी नजरें नीची कर लीं। तुम्हें इतना इंतजार करवाया किन्तु मैं भी क्या करती ? मेरे मन में जो इतनी बड़ी ग्रंथि पल रही थी। शायद तुम नहीं जानते।
तुम अपने मन की कोई भी ग्रंथि खोल सकती हो।
मैं क्या बताऊं ? कहते हुए ,उसे अपनी सम्पूर्ण पिछली बातें स्मरण हो आई , शब्बो की आँखों में आंसू भर आये , मैं अपने मन में एक दर्द लिए घूम रही थी ,तुम नहीं जानते ,जब मेरा बलविंदर से विवाह हुआ तब उसने कहते हुए ,शब्बो की हिचकी बंध गयी। उसने मुझे खन्ना..... को कहते हुए ,शब्बो तेज स्वर में रोने लगी।
मैं तो ये सब जानता हूँ ,अबकि बार इसीलिए तो तुम्हें यहाँ लेकर आया था ताकि तुम्हारे उस मुजरिम को सजा दे सकूं और तुम उसे सजा होते तुम देख सको। एक तो अभी भी जेल में है ,दूसरा आज चला गया।
करतार की बात सुनकर ,अब चौंकने की बारी शब्बो की थी। ये तुम क्या कह रहे हो ?किससे और कैसे पता चला ?
मुझे तो तभी सम्पूर्ण जानकारी हो गयी थी जब मैंने बलविंदर को सजा दिलवाई थी। पूरी तहक़ीकात की गयी थी ,जब उस पर डंडे पड़े कि वहां उसका कार्य क्या था ? इतना पैसा उसने कैसे कमाया ?तब उसने सब उगल दिया था। मैं तुमसे प्रेम करता हूँ ,जीवन में कुछ गलतियां हो भी जाती हैं ,जिसे तुम स्वीकार कर रहे हो ,उसके सुख -दुःख सभी साथ आते हैं। मैं समझ रहा था ,तुम अपने उसी दुःख से परेशान हो इसीलिए मैंने तुम्हें सम्भलने का मौका दिया जिससे तुम अपने उस दुःख से उबरकर ,मुझे पूरे दिल से स्वीकार कर सको। इस सबमें तो तुम्हारी कोई गलती भी नहीं थी। मैं उसी समय से ही नहीं ,वरन मैं तो तुम पर उसी पहली नजर में मर मिटा था ,जब तुम तारा के केस में मेरे सामने आई थीं।
क्या सच में ?शब्बो हैरान होते हुए पूछ रही थी।
प्रिय पाठकों !ये मेरी कहानी अपने अंतिम मोड़ पर है ,आप अपनी समीक्षा अवश्य दीजिये कि कहानी आपको कैसी लगी ?आपकी समीक्षा द्वारा ही हमें पता चलता है कि हमें कहानी को किस मोड़ पर ले जाना है ?उससे उत्सावर्धन होता है ,स्टार और स्टिकर देकर उत्साहवर्धन कीजिये। धन्यवाद !