सिम्मी जो टेबल नंबर बारह [मैक ]की पत्नी है ,जो अपनी पत्नी के साथ' हनीमून 'मनाने आता है और पैसों के लालच में आकर पत्नी का सौदा कर बैठता है। बाद में पछताता है किन्तु उसकी पत्नी न जाने क्यों ?अब उसकी बात नहीं मान रही। वो उस जगह से भाग जाना चाहता है किन्तु वो शायद उसे नीचा दिखाने या फिर उन लोगों से डरकर कहीं भी जाना नहीं चाहती। उसके कमरे में एक सभ्य दिखने वाला व्यक्ति आता है किन्तु वो तो ऐसे बैठ जाती है जैसे कोई मेहमान घर में आता है और उसे समझाने लग जाती है ,वो स्वयं ही नहीं समझ पाता कि ये क्या व्यवहार कर रही है ?
बातों ही बातों में उसके नज़दीक आ जाती है ,तभी वो हाथ पकड़कर उसे अपने समीप खींचता है। और उससे बताता है कि टोनी को उसने लाखों रूपये हैं ,इस तरह के और लोग भी हैं जो इस तरह से सौदा करते हैं। किन्तु सिम्मी तो जैसे पहले से ही सतर्क थी ,उसने उससे अपना हाथ छुड़ाया और बोली -टोनी को आपने पैसा दिया ,टोनी ने किसको दिया ?
तुम्हारे पति को दिया होगा और क्या ?
तब तुम मेरे पति से बात करिये ,मेरी बिना इच्छा के वो मुझे कैसे बेच सकता है ?आजकल तो पति भी अपनी इच्छा से चुना जाता है और तुम तो एक रात की बात कर रहे हो। जिस पर सम्पूर्ण ज़िंदगी और नारी का अस्तित्व टिका है ,तुमने ये कैसे मान लिया ?कि तुम चंद रुपल्ली फेंकोगे और मैं तुम्हारा बिस्तर गर्म करने के लिए तैयार हो जाऊँगी।
ऐ लड़की ,ज्यादा तेवर दिखाने की आवश्यकता नहीं ,चुपचाप मेरे समीप चली आओ !
ऐ अंकल !अभी मैं आपको समझा रही थी किन्तु अब आपको आपकी औकात भी दिखला सकती हूँ।
हमने तुम्हारी कीमत चुकाई है।
अपनी काली कमाई के पैसे वापस ले लेना।
हमें टोनी से बात करनी होगी ,उसने कैसा 'कस्टमर 'भेजा।
मैं कोई 'कस्टमर 'नहीं ,मैं जीती जागती एक महिला हूँ ,वो महिला जो किसी के घर की इज्ज़त होती है ,एक पत्नी और माँ होने के साथ-साथ अपने पापा की परी भी होती है जो अपने पिता के मान के लिए जान दे भी सकती है और ले भी सकती है।
यदि तुम ऐसी ही लड़की हो तो ,तुम्हारे पति ने तुम्हारा सौदा नहीं किया होता।
वो इंसान है ,कोई देवता नहीं ,पैसे की कमी ने एक पल को लालची बना दिया था किन्तु अब तो वो अपनी गलती मान रहा है। उसका दंड अब उसे सारी उम्र मिलेगा ,जब मैं एक रात्रि बिता इस कमरे से बाहर जाउंगी।
तब तो तुम मेरी हो जाओ ! आज के लिए।
नहीं आप गलत सोच रहे हैं ,सज़ा मैं उसे दूंगी अपने आपको नहीं ,और सज़ा आपको भी मिलेगी।
वो मुस्कुराया ,मुझे कौन सजा देगा ?यहाँ सब कुछ सहमति से होता है जबरदस्ती नहीं। तभी तो मैंने अभी तक कोई ज़बरदस्ती भी नहीं की। इससे तो बेहतर था , जो दवाई वो देता है वही ठीक थी किन्तु उसने तो बताया था कि तुम अपने आप ही मान गयी थीं।
जी ,अपने पति को सबक़ सीखाने के लिए ,मैंने ये सब किया और अब आप भी नींद आ रही है तो सो जाइये या फिर चुपचाप बैठे रहिये।
मैं यहाँ बैठने के लिए नहीं आया ,कहकर उसने किसी को फोन लगाया। कुछ देर पश्चात ही ,दो लोग वहाँ आते हैं ,जिनको देखने में लग रहा था कि गुंडे हों या फिर दादागिरी में रहते हों। आते ही ,बड़े सभ्य तरीक़े से उस व्यक्ति से बोले -यस सर.....
क्या है ?ये ! उसने सिम्मी की तरफ इशारा किया ,मैं तुम लोगों से अपने पैसे वापस लूंगा ,यहाँ कुछ देर की मस्ती के लिए आते हैं और ये जबसे भाषण दे रही है। कहती है ,मुझे नहीं आता।
तो आप सिखाइये न.... एक कहकर मुस्कुराया। अब क्या ये काम भी हमें करना होगा ?ऐ...... लड़की !तुम्हारे पति को हमने पैसे दिए हैं।
तो.... वो खुश करेगा। मेरा क्या मतलब ?तभी एक आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ता है ,तभी उसके गाल पर एक ज़ोरदार तमाचा आता है। तेरी हिम्मत कैसे हुई ?मुझे हाथ लगाने की ,क्या तूने भी पैसे दिए हैं ?उस गुंडे को तो बहुत ही क्रोध आया किन्तु 'दाँत पीसकर रह गया। ''
उधर जब मैक की पत्नी सिम्मी ने ,उसे किसी दरवाजे के अंदर धकेला था।तब वो ,किसी अन्य कमरे में पहुंच गया। उसने नजर उठाकर उस कमरे को देखा और सोच रहा था- कि मैं यहाँ कैसे आ गया ,ये कमरा किसका है ? क्या वो इस कमरे के विषय में जानती है ? क्या इस कमरे में भी कोई रहता है ?इस कमरे का दरवाजा मेरे कमरे से भी खुलता है और मुझे नहीं मालूम।
तभी हाथ में काफी लिए एक व्यक्ति आता है ,मैक उसे हैरत से देखता है।