समीर अपनी ही बनाई ,परेशानियों में उलझकर रह गया ,उसने अपनी बेवक़ूफी कहो या नादानी में ,अपने ही ''पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली ''शब्बो के कारण ही तो ,वो ये सब कर रहा था। उसका ही साथ उसे छूटता नजर आ रहा था। उसे अपनी इस स्थिति से कोफ़्त होने लगी ,उसे अपने आप पर और अपनी स्थिति पर क्रोध आ रहा था। इस दुनिया की तरफ से ,उसे इस ज़िंदगी का सबसे बड़ा झटका था ,जब उसने ,पहली बार किसी अनजान पर विश्वास किया और आज वो उस विश्वास के कारण ,यहाँ कैद होकर रह गया , स्वयं तो फंसा ही ,करन को भी मुसीबत में डाल दिया। इसके और मेरे घरवाले परेशान हो रहे होंगे ,उधर शब्बो मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी।
उन्हें उस बंद जगह पर कितनी देर हो गयी ?कुछ समझ नहीं ,आ रहा था ,चारों दीवारों से सर टकराकर देख लिया ,कहीं कोई ऐसी जगह भी नहीं दिखाई दी ताकि उन्हें निकलने का रास्ता मिल सके। कुछ समझ नहीं आ रहा था। बाहर से किसी के आने -जाने की आहट भी नहीं आ रही थी। अब तो भूख भी लगने लगी थी। करन बोला -मैंने तुझसे पहले ही कहा था-'' कि किसी अनजान पर विश्वास मत करना ,मेरे घरवाले भी परेशान हो रहे होंगे।
रातभर करन और समीर घर नहीं आये तब उसके घरवालों को चिंता होने लगी। उधर शब्बो भी परेशान थी कि समीर कहाँ गया ?और अभी तक नहीं आया। अब तो उसे शंका होने लगी -कि कहीं किसी मुसीबत में तो नहीं फंस गया ?उसने शिल्पा से भी पूछा ,किन्तु उसका जबाब भी न में ही मिला। अब तो वो स्वयं भी बाहर नहीं जा सकती थी ,उसकी हल्दी की रस्म जो हो गयी थी और उसकी पड़ोसन चाची ,उसके इर्द -गिर्द ही मंडराती रहती। जब समीर करन को लेने गया था ,तब उसके पिता वहीं थे ,उन्होंने आख़िरी बार समीर के साथ ही देखा था। तब वो चिंतिति थे ,तभी उन्हें समीर का स्मरण हुआ और वे समीर के घर जा पहुंचे। किन्तु उन्होंने देखा ,उसके पिता ,पहले ही समीर घर न आने से परेशान हैं ,कुछ कहकर भी तो नहीं गया।
उन लोगों ने मिलकर ,निर्णय लिया कि अब तो हमें पुलिस में रिपोर्ट कर देनी चाहिए और वो लोग पुलिस थाने चले जाते हैं बच्चों को गुम हुए तो ,चौबीस घंटे से ज्यादा हो गया था। अब पुलिस अपने काम पर लग गयी।
आज शब्बो का विवाह है ,किन्तु अभी तक समीर की कोई सूचना नहीं ,उसका दिल बैठा जा रहा था। मेहमान आ जा रहे थे। रस्में हो रही थीं ,एक पल के लिए भी ,शब्बो को समय नहीं था। उसके दिल में हुक सी उठने लगती और घबराहट सी होती है ,तो उसे रोना आ जाता है। कहाँ तो वो सपने देख रही थी कि समीर अपनी दुपहिया पर सारे सबूत लेकर आएगा और सबकी नजरों में हीरो बन जायेगा और तब सभी गांववालों के सामने मेरा हाथ थामकर ,मुझे ब्याहकर अपने घर ले जायेगा। किन्तु उसका तो अभी कुछ भी पता नहीं चल रहा है । उसने हिम्मत करके सोचा ,अपनी मम्मी जी से कुछ कहूँ ,किन्तु बिना सबूत के क्या वो मेरा यक़ीन करेंगी ?तभी चेतना भी आती दिखी और बोली -चलो जी ,कुड़ी नू पार्लर लेके चलो !
अभी इतनी जल्दी.... शब्बो बोली।
होर कब.... ?चेतना संदिग्ध नजरों से बोली। अपने तेवर बदलते हुए मुस्कुराकर बोली -शाम के छह बजे के फेरे हैं ,माना कि ,तू...... पहले से ही सुंदर है ,तुझे ज्यादा मेकअप की आवश्यकता नहीं, किन्तु बेटे.... दुल्हन को तो ''स्पेशल ''दिखना होता है, इसीलिए मेकअप तो करवाना होगा न ,ये दिन रोज -रोज तो नहीं आते हैं न.... चेहरे पर मुस्कुराहट और मन ही मन दाँत पिसते हुए ,चेतना बोली।
चाची एक बात पूछूं ......
हाँ पूछ.... एक नहीं ,चार बातें पूछ किन्तु अभी नहीं ,अभी तो मेकअप वाली तेरा इंतजार कर रही होगी। इक बार ब्याह हो जाये ,फिर तो तू ,हमारी हो जानी है ,बातें ही बातें करेंगे ,अभी तो मुझे अपने मायके जाकर, बुआ का फ़र्ज भी तो निभाना है। भई मेरी तो दोनों ही तरफ ज़िम्मेदारियाँ बनती हैं ,जो भी न निभाऊंगी ,वहीं से बुराई आ जानी है।पम्मी... ओ पम्मी.. पता नहीं ,कहाँ मग्न रहती है ?अरे अब अपनी कुड़ी नू ,''पार्लर भेज। अब तो मैं बारात संग वहीं मिलूंगी। टाइम से मंडप में पहुंच जाना ,कहते हुए - टोनी को आवाज़ लगाते हुए बाहर निकल गयी।
टोनी सामने ही दिख जाता है ,जी... मम्मीजी !
सब ठीक है ,टोनी ने हाँ में गर्दन हिलाई और उससे बोली -मैं तेरे मामा के घर जा रही हूँ ,तू जरा इधर ध्यान रखियो ,कहकर चली जाती है।
कल रात्रि को ,जब करन और समीर की कुछ देरी के लिए ,आँख लग गयी थी ,तब कोई दरवाजे के नीचे से ढ़ेर सारा खाना और शराब की बोतल रख गया। पहले तो ,दोनों ने ही ,कुछ नहीं खाया किन्तु उन्हें बंद हुए ,दो रात्रि बीत चुकी थी ,इसीलिए भूख ने अपना असर दिखाया ,दोनों ने जमकर खाया। आज तो शब्बो की शादी है ,उन्होंने अंदाजा लगाया। अपनी निराशा पर हताश होकर ,समीर ने खूब शराब पी। वो रो रहा था ,उसका दिल रो रहा था। बाहर से, बादलों के गरजने की भी आवाज़ आ रही थी। शायद ऊपरवाला कुछ न कर पाने के कारण ,बेबसी से गर्जना ही कर रहा था। रोने का कार्य तो समीर कर रहा था ,वो तब तक पीता रहा ,जब तक कि बेसुध न हो गया। तब भी वो बड़बड़ा रहा था -शब्बो हमारे सपनों को ,किसी की नज़र लग गयी। मैं तुझे क्या बचाऊंगा ?मैं तो खुद ही यहाँ बेबसी की हालत में पड़ा हूँ ,मुझे तो ये भी नहीं पता कि मैं कहाँ हूँ ?शब्बो आज किसी ओर की हो जाएगी ,गलती तो मेरी ही है, मैंने ही उसमें विश्वास जगाया था। मैं जानते हुए भी ,उसे न बचा सका।
उधर शब्बो भी रो रही थी ,दो दिन में ,उसकी ज़िंदगी इतनी बदल जाएगी ,ये तो उसने सोचा ही नहीं था। सब सोच रहे थे ,अपने माँ -बाप की इकलौती औलाद है ,इसीलिए उनसे बिछड़ने के ग़म में रो रही है। इधर शब्बो ,बलविंदर की हो गयी। उधर किसी ने उन दोनों बेसुध लड़कों को बाहर निकाला ,कुछ देर पहले बारिश भी हुई थी ,मिटटी गीली थी इस कारण ,उनको खींचने के कारण उनके कपड़े भी ,गंदे हो गए थे। कपड़े तो पहले से ही ,दो दिन से उस बदबूदार कमरे में ,पड़े -पड़े गंदे हो गए थे। वो लोग उन्हें ,ऐसे ही खेतों में फेंककर ,चले गए।
शब्बो की विदाई के पश्चात ,किसी का फोन ,पुलिस थाने में ,आता है। जी ,हमने दो लड़के नशे की हालत में ,खेतों में पड़े देखे हैं। कुछ समय पश्चात ,उसी सड़क पर पुलिस आती है ,और उसी सड़क से शब्बो बलविंदर संग निकल जाती है। उन दोनों लड़कों को ,होश में लाया गया। तब पता चला ,वो दोनों लड़के ,करन और समीर हैं। उन्होंने अपनी कहानी ,उन्हें बताई किन्तु उन शराबियों पर किसी ने यक़ीन नहीं किया। जब उनसे पूछा गया कि वो लोग उस ट्यूबवेल पर क्या करने गए थे ,किसने उन्हें बुलाया था ?उनके पास कोई जबाब नहीं था।