अभी तक आपने पढ़ा ,शब्बो और करतार एक -दूसरे को पसंद तो करने लगे हैं किन्तु अभी तक स्वीकार नहीं कर पाए ,कि - दूसरे को चाहने लगे हैं। शब्बो तो अपनी पिछली ज़िंदगी के बोझ को लेकर ,ये बात स्वीकार नहीं कर पाती। करतार भी ,शब्बो के मन की बात को न समझ पाने के कारण कुछ नहीं कह पाता। अचानक उसके साथ दुर्घटना हो जाती है और वो हस्पताल में पहुंच जाता है ,एक दिन अपने पापा के संग शब्बो भी उससे मिलने जाती है। किन्तु अब वो करतार से बचने लगी है, इसीलिए उसने मन ही मन निश्चय किया है ,अब आगे से ,उससे मिलने नहीं जाएगी। अभी तो दो दिन ही हुए हैं किन्तु उसकी बेचैनी बढ़ने लगी। तब वो थाने में फोन करती है ,फोन तो तिवारी ने ही उठाया किन्तु अब शब्बो उससे क्या कहे ?तब पूछा -तिवारी जी ,क्या वो लोग पकड़े गए जिन्होंने इस दुर्घटना को अंजाम दिया।
जी नहीं ,अभी प्रक्रिया चल रही है ,ऐसे ही किसी पर हाथ तो नहीं डाल सकते न।
इंस्पेक्टर साहब कैसे हैं ?
तिवारी ने मन ही मन सोचा ,अब आईं सीधे मुद्दे पर ,अब तो साहब पहले से बेहतर हैं किन्तु आपको स्मरण कर रहे थे। कह रहे थे -हमसे क्या नाराज़गी है ?एक बार भी मिलने नहीं आईं ।
क्या उन्होंने ऐसा कहा ? पापा के साथ तो ,दो दिन पहले गयी थी।
प्यार में तो ,एक मिनट भी बहुत बड़ा लगता है ,कहकर बोला। सॉरी जी ,कहीं कुछ ग़लत मुँह से निकल गया हो। किन्तु जो कहना चाहता था ,उसने कह ही दिया।
नहीं ,मुझे बुरा तो नहीं लगा किन्तु ये सब तुमसे किसने कहा ?कि वो मुझसे प्रेम करते हैं।
ये भी कोई कहने की बात है जी !उनकी आँखों में ही दिख जाता है ,जब हस्पताल में पड़े -पड़े राह निहारते रहते हैं ,प्रतीक्षा करते हैं और हमें देखकर ठंडी साँस लेकर कहते हैं -ओह !तुम हो ,तब हमें पता चल जाता है कि वो किसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। तिवारी की बातें सुनकर ,शब्बो का दिल तेजी से धड़कने लगा और उसने फोन रख दिया। तिवारी हैलो.... हैलो ! करता रह गया और मुस्कुराया ,मन ही मन बुदबुदाया -तीर तो निशाने पर ही लगा है।
उसकी इन हरकतों को ,मदनलाल देख रहा था ,उससे बोला -तिवारी जी ,ये आप सही नहीं कर रहे हैं। कहीं ये पासा उल्टा ही न पड़ जाये।
क्यों इसमें बुरा ही क्या है ?बेचारे दोनों का घर बस जायेगा ,मैंने महसूस किया है ,दोनों एक दूसरे को पसंद तो करते हैं किन्तु समझ नहीं पा रहे ,कह नहीं पा रहे हैं ,तब हमें उन्हें आगे बढ़ाना होगा।
तुम ये हवलदार की नौकरी छोड़कर ,रिश्ते जोड़ने का कोई काम -धंधा क्यों नहीं कर लेते ?
सोच तो रहा हूँ ,और शुरुआत भी कर दी है , मुहूर्त सबसे पहले अपने साहब से ही करना है। तुम मेरा सहयोग कर सकते हो तो करो !वरना अपनी टाँग तो मत अड़ाओ।
अगले दिन शब्बो खाना बनाती है और अपने पापा जी से कहकर हस्पताल आ जाती है ,उसे देखकर करतार प्रसन्न होता है और एकाएक कह उठता है -अब याद आई , हमारी।
जी मैं तो प्रतिदिन आपका हालचाल जानने के लिए ,थाने में फोन करती रहती थी। कल तिवारी जी ने बताया।
क्या बताया ? यही कि..... आपको घर के खाने की इच्छा हो रही है ,कहकर शब्बो अपने साथ लाई खाना प्लेट में सजाने लगी। अब वो करतार से क्या कहती ? कि दिल के हाथों मजबूर होकर यहाँ आई है। अब तो शब्बो ने ,सब कुछ संभाल लिया ,जब तक करतार हस्पताल में रहा ,वहां आती रही ,उनके घर जाने पर भी किसी न किसी बहाने पहुंच ही जाती।
जब भी शब्बो बाहर निकलती ,एक महिला उसे घूरती रहती ,एक दिन पूछ ही लिया -शब्बो ,आजकल प्रतिदिन किधर जाती है ?
चाची जी !वो अपने इंस्पेक्टर साहब हैं न ,उनके साथ दुर्घटना हो गयी।
तो...... तू क्यों जा रही है ?तेरा उनसे क्या रिश्ता है ?
रिश्ता तो कुछ नहीं है ,किन्तु इंसानियत के नाते ,तो उनकी देखभाल कर ही सकती हूँ।
क्यों तुझमें ही इतनी इंसानियत उमड़ रही है ?क्या उसके माँ और पत्नी नहीं ?ये बातें मुझे मत बता बच्ची !मैंने दुनिया देखी है।
शब्बो , फिर भी अपनी बात रखते हुए ,बोली -चाची जी ,उन्होंने मेरे केस में बहुत सहायता की है ,इसी नाते चली जाती हूँ।
क्यों न करेगा ?ये उसका काम है ,किन्तु तू ''बिन माँ की बच्ची ,अभी एक धोखा खा चुकी है ।'' तू जानती है ,मौहल्ले वाले चर्चा करते हैं।
उनके ये आख़िरी शब्द ,शब्बो के पिता ने सुन लिए ,उन्हें बहुत ही दुःख हुआ ,चुपचाप अपने घर आ गए ,घर में रौशनी भी नहीं की ,अँधेरे में ही बैठ गए। उन्हें उस मौहल्ले की चाची की बातों का बुरा भी नहीं लगा। सही तो कह रही है ,वो ! शब्बो की इतनी लम्बी उम्र पड़ी है ,कैसे ये अकेली बच्ची अपने दिन काटेगी ? किसी तरह दिन काट भी ले तो, मौहल्ले वाले ताना मारे बग़ैर नहीं छोड़ेंगे। मेरा तो पता नहीं ,कब तक की ज़िंदगी है ?आज नहीं तो कल जाना ही है।
तभी घर में एकाएक उजाला हो गया। शब्बो आई थी ,अपने पापा को देखकर बोली -पापा आप कब आये ?अँधेरे में क्यों बैठे हैं ?
अब इंस्पेक्टर साहब कैसे हैं ?उन्होंने सीधे -सीधे प्रश्न किया।
अब ठीक हैं ,और अपने घर भी आ गए शब्बो ने भी बिना झिझके उत्तर दिया।
वैसे ये इंस्पेक्टर साहब कैसे आदमी हैं ?उन्होंने बेटी के मन को टटोलने का प्रयास किया।
अच्छे -भले आदमी हैं ,और सच्चे लोगों के दुश्मन भी बहुत होते हैं ,आपको पता है -किसी ने उन पर ये हमला करवाया है।