शब्बो के पिता ,बुआ और बलविंदर के परिवार के ख़िलाफ़ ''धोखाधड़ी ''का केस कर देते हैं। थाने में ,शब्बो भी आ जाती है और बलविंदर को देख उसके मुँह पर थूकती है और बुआ को भी ,घृणा की दृष्टि से देखती है और उसे उसके व्यवहार के लिए लानत भेजती है , उसे धिक्कारती है ,उसने उनके साथ ऐसा व्यवहार किया। जब उसके माता -पिता इंस्पेक्टर से बातें करने में व्यस्त थे ,तब शब्बो ने बुआ से पूछा ,क्या इससे पूछा नहीं- कि इसने मेरा गर्भपात क्यों करवाया ?उस बेगाने शहर में रहकर कौन सा व्यापार कर रहा था ? क्या जानना नहीं चाहेंगी ?यदि इसकी सारी सच्चाई बता दी न ,तो ये लम्बा ही जायेगा। ऐसे भतीजे का साथ दे रहीं थीं ,जो स्वयं ही एक चोर और चालबाज़ है।
तू कहना क्या चाहती है ?ऐसा इसने क्या कर दिया ?
क्यों बतलाया नहीं ? तुम्हारे भतीजे ने !!!!! तुमसे भी दो कदम आगे निकला। बलविंदर गर्दन नीची किये खड़ा था। होशियारी ,चालबाज़ी और धोखा रच -बस गया है ,इसके खून में ,इससे पूछो -कैसे इसने मेरी रातों की क़ीमत लगाई है ? मैंने अपनी ज़िंदगी को एक मौका दिया था किन्तु ये तो कभी मेरा था ही नहीं ,तुम लोगों के स्वार्थ ने......... कहकर वो रोने लगी। यदि ये बात भी मैं ,इन लोगों को बता दूँ ,तो सोचो जरा........ कितनी धाराएँ लगेंगी ?तुम लोगों का कोई भी जुर्म क्षमा योग्य नहीं है ,जिस तरह तुम लोगों ने मेरी ज़िंदगी बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी ,उसी तरह तुम्हें अधिक से अधिक सज़ा दिलवाने में ,मैं भी कोई कसर नहीं छोडूंगी ,ये मेरा वादा है। मन की भड़ास तो निकाली किन्तु अभी उसकी जलन बाक़ी है ,वो थाने से वापस आ गयी। उसके साथ ही पम्मी भी आ गयी।
घर आकर पम्मी ने पहले पानी पीया और शब्बो से बोली -तुझे मेरी कसम है ,तू मुझसे कुछ भी नहीं छिपायेगी ,मुझे एक बात...... इससे पहले की वो ,अपनी बात पूरी कर पाती ,उसने घर के अंदर आते हुए शिल्पा को देख लिया। उसे देखकर शब्बो भी अचम्भित हो गयी क्योंकि शिल्पा ने तो चूड़ा पहना हुआ था।दोनों सहेलियाँ एक -दूसरे को देखकर प्रसन्न हुईं और गले लगीं।
तेरा ब्याह क्या हुआ ? तू तो जैसे हमें भूल ही गयी शिल्पा ने ताना मारते हुए कहा।
अच्छा...... तू तो जैसे मेरी याद में सब कुछ ही भूल गयी ,अपना विवाह कर लिया और अपनी प्यारी सखी को बुलाना ही भूल गयी ,शब्बो ने उसके खिलते रंग को देखते हुए कहा -और कैसे हैं ?हमारे जीजू !!!!
अब क्या बताऊँ ?सब कुछ इतनी जल्दी में हुआ ,तू तो हमारी हालत जानती ही है ,पापा -मम्मी तो इसी चिंता में घुले जा रहे थे ,कब और कैसा लड़का मिलेगा ?दहेज़ देना तो हमारे बस में था ,ही नहीं। बस परिस्थिति ऐसी बनी कि मेरे घरवालों ने उससे पूछा ,उसने हाँ कर दी। तभी पम्मी दोनों सहेलियों को बातें करते देख चाय बनाकर ले आई। शब्बो समीर के विषय में ,शिल्पा से जानकारी लेना चाहती थी किन्तु पम्मी अभी वहीं बैठी थी। पम्मी भी ,अपनी ही उधेड़बुन में लगी थी। तब शब्बो बोली -मम्मीजी ,शायद छत पर कपड़े सूख रहे हैं ,अभी तक उतारे नहीं ।
अरे........ हाँ !तुने अच्छा याद दिलाया ,मैं अभी कपड़े उतारकर लाती हूँ।
पम्मी के जाने के पश्चात ,शब्बो बोली -और बता......... हमारे जीजू क्या करते हैं ?वो समीर के विषय में जानने के लिए भूमिका बना रही थी।
अभी तो ,नई -नई नौकरी लगी है ,उसके पापा का व्यापार है ,उसी में सहयोग करते थे किन्तु मैंने कहा -अभी तो पापा इस काम को संभाल रहे हैं ,दोनों इसी में लगे रहोगे तब भी वो ही आय होनी है ,तब तक क्यों न आप अपना कोई अलग कार्य या नौकरी क्यों नहीं कर लेते ?उन्हें मेरी बात सही लगी और नौकरी कर रहे हैं। शिल्पा ने बताया।
तू तो पहले से ही होशियार है ,ऊपर से कहना मानने वाला पति मिल गया और क्या चाहिए ?
कहना मानने वाला ही नहीं ,प्यार करने वाला भी।
अब तू उनकी प्रशंसा ही करती रहेगी या ये भी बताएगी तेरी ससुराल कहाँ है ?और अपने पति से कब मिलवा रही है ?तेरी बातें सुनकर तो मुझे जलन हो रही है।
मिलवा दूंगी ,पहले तू अपने इस केस से तो उबर जा ,मुझे मेरी मम्मी ने सब बताया। और उनसे मिलवाना कैसा ???तू तो उन्हें अच्छे से जानती है।
क्या कह रही है ???मैं ...... जानती हूँ ,तेरे पति को ,क्या बात कर रही है ?तेरे विवाह में नहीं आई ,कभी हम मिले नहीं ,तो कैसे जानती हूँ ????ये तू क्या कह रही है ?तेरा पति कौन है ?जिसे मैं जानती हूँ ,क्या नाम है ?आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी में बोली।
समीर!!!!!!!
एक पल को तो, शब्बो की आँखों के आगे अँधेरा छ गया उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। क्या!!!!!बोली ?
समीर ही मेरा पति है ,जब तूने कहा -कि इसका ख़्याल रखना वो थोड़ा अपहरण वाले हादसे से परेशान था। मैंने उसे बहुत समझाया ,एक दिन ऐसे ही किसी कार्य से मेरे घर आया ,मेरी मम्मी जी ने उससे रिश्ते की बात छेड़ दी। उसने कुछ दिन सोचने का समय माँगा और फिर हाँ कर दी।
शब्बो के तो जैसे ,पैरों तले से ज़मीन ही ख़िसक चुकी थी ,उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया था ,वो समझ नहीं पा रही थी -कि क्या करे ,क्या कहे ? कहकर तो वो ही गयी थी कि इसका ख़्याल रखना किन्तु ये थोड़े ही कहा था कि इससे विवाह कर लेना। ज़िंदगी भी न जाने कौन -कौन से रंग दिखा रही है ?जिसे रक्षक या हमदर्द समझते हैं ,वो ही धोखा दे जाता है।शब्बो तो बलविंदर से पिंड छुड़ाकर ,समीर के सपने सजा रही थी ,वो तो मुझसे प्यार करता था फिर इससे कैसे विवाह कर लिया ? ये ज़िंदगी इतनी टेढ़ी -मेढ़ी क्यों है ?सीधी और सच्ची राह पर चलने ही नहीं देती। उसका शरीर तो जैसे सुन्न पड़ गया ,ये क्या ????मेरी ख़ैर -खबर लेने आई थी या मेरे प्राण लेने। तब तक पम्मी भी छत से नीचे आ चुकी थी। पम्मी शब्बो की हालत देख कर बोली -इसे क्या हुआ ?
हम तो बातें कर रहे थे ,अचानक ही, इसकी ऐसी हालत हो गयी शिल्पी बोली।
पम्मी जल्दी से दौड़कर पानी लाई ,उसने सोचा -ये अपनी ही परेशानियों में उलझी है ,शायद शिल्पा को देखकर ,और परेशान हो उठी ,उसने शब्बो को पानी पिलाया और पास ही पड़े सोफे पर लिटा दिया।