शब्बो करतार के संग एक होटल में जाती है ,वहां नवविवाहित जोडों के लिए अच्छी दावत का आयोजन था। उसी होटल में उसका भी स्वागत होता है किन्तु दुनिया इतनी छोटी है ,कभी -कभी न चाहते हुए भी ,वो लोग टकरा जाते हैं जिनसे हम मिलना नहीं चाहते या उनसे जुडी बुरी बातों को भुला देना चाहते हैं। जिनसे मिलना चाहते हैं ,समीप रहते हुए भी ,वर्षों तक मिल नहीं पाते। जिनसे मिलना तो दूर ,उन्हें देखना भी नहीं चाहते ,वही आगे आ जाते हैं। कभी -कभी भूत वर्तमान में आकर डराने लगता है। ऐसा ही कुछ शब्बो के साथ भी हुआ ,जिन चीजों को वो भूलकर आगे बढ़ना चाहती थी ,वही बात उसके सामने आ गयी। उसके सामने वही ''खन्ना ''खड़ा था। उसे देखते ही ,शब्बो को जैसे चक्कर आ गया , किन्तु करतार जैसे पहले से ही तैयार था ,उसने शब्बो को संभाल लिया।
क्या हुआ ? चलो उस 'टेबल ' के पास बैठते हैं,कहते हुए ,वो शब्बो को लेकर चला गया, वहां बैठकर पूछा -क्या हुआ ?
कुछ नहीं ,पता नहीं ,ऐसे ही चक्कर सा आ गया था।
करतार ने उसे जूस दिया ,बोला -''अब केेसा लग रहा है ?''
अब ठीक हूँ ,किन्तु करतार से नजरें बचाकर ,खन्ना को देखने का प्रयत्न कर रही थी जब वो कहीं नहीं दिखा ,तब शब्बो ने चैन की साँस ली।अभी वो अपने को काफी सुकून में महसूस कर रही थी। तब दोनों ने खाना खाया अभी वो खाना खाकर, उस होटल की रंगीन शाम का मजा ले ही रहे थे। धीमे -धीमे संगीत बज रहा था तभी एकाएक संगीत की धुन तेज हो गयी। कुछ जोड़े तो उठकर थिरकने लगे ,करतार ने शब्बो से भी 'डांस 'के लिए कहा , किन्तु शब्बो ने इंकार कर दिया।
कुछ देर पश्चात ,शब्बो के पीछे से आवाज़ आई - ''मे आई ''
शब्बो ने पलटकर देखा ,वो नीचे तक हिल गयी। सामने खन्ना खड़ा था। शब्बो ने करतार की तरफ देखा और अपने को संभालकर बोली -जी नहीं ,मुझे 'डांस 'नहीं आता।
कोई बात नहीं ,हम सिखा देंगे कहकर उसने करतार से नजर बचाकर ,शब्बो को आँख मारी और पास रखा पानी नीचे गिरा दिया। जिससे शब्बो के कपड़े गीले हो गए। सॉरी -सॉरी कहते हुए ,उसके कपड़े साफ करने का अभिनय करने लगा और बोला -नया मुर्गा ! हमें छोड़कर कहाँ चली गयीं थीं ? वो जानता था -कि शब्बो जिसके भी साथ आई है ,अपना तमाशा बनाना तो नहीं चाहेगी। इसी बात को लाभ उठाना चाहता था।
तभी शब्बो ने ,हाथ उठाकर उसे रोका और बोली -आप रहने दीजिये ,ये अपने आप सूख जायेगा।
तभी करतार खड़ा हुआ और बोला -क्या आप जानते हैं ? कि इनका पति इनके साथ है ,आप ऐसे ही क्यों ख्वामहखां चिपकने का प्रयत्न कर रहे हैं ,क्या आपको इतनी भी तहज़ीब नही ?
जी..... वो तो मैंने इनसे ''डांस 'की रिक्वेस्ट की ,
उसकी बात पूर्ण होने से पहले ही करतार उससे डपटते हुए बोला - इन्हें 'डांस 'नहीं आता ,आता भी तो वो मेरे साथ करतीं , आप किसी ओर को तलाशिये कहकर करतार शब्बो का हाथ पकड़कर बोला -चलो इस शोर -शराबे से दूर ,कहीं बाहर घूम आते हैं। खन्ना उन्हें जाते हुए देखता रहा।
शब्बो अब इस कशमश में थी ,कि क्या खन्ना की पहचान ,करतार को बता दूँ या नहीं। तभी उसके मन ने पुकारा ,नहीं पगली !कोई भी पति सुनेगा तो 'आग -बबूला हो उठेगा 'फिर ये तो एक पुलिसवाला है। पता नहीं क्रोध में ,क्या कर बैठे ?
क्या सोच रही हो ?
कुछ नहीं ,बस ऐसे ही ,
उस व्यक्ति के विषय में सोच रही हो ,कुछ लोग ,इस तरह के ढीठ होते हैं। मैं इसे यहीं सीधा कर देता किन्तु मैं अन्य लोगों की ख़ुशी में खलल नहीं डालना चाहता था।
जी....... कुछ सोचते हुए ,शब्बो बोली -मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ ,मेरी बात को ध्यान से सुनना।
कहो !क्या कहना चाहती हो ?हम तो तुम्हारी बात हमेशा से ही ध्यान से सुनते हैं। तुम्हें कैसे लगा ?कि हमने कभी तुम्हारी बात को अनदेखा किया है।
शब्बो समझ नहीं पा रही थी ,कहाँ से शुरुआत करे ?बोली -बलविंदर तो अभी भी जेल में ही है ,न......
हाँ ,लेकिन तुम मुझसे पूछ रही हो या बता रही हो। या कुछ और बात है।
शब्बो आँख बंद करके अपने मन को समझा रही थी ,कह डाल....... सब कुछ बता दे ,जो होगा देखा जायेगा। तभी पीछे के गेट पर कुछ लोगों को देखा करतार उस तरफ बढ़ा ,बोला -मैं अभी देखकर आता हूँ क्या मामला है ?शब्बो उसके जाने पर फिर से आँखें बंद करके पास ही बेंच पर बैठ गयी। तभी किसी ने उसकी आँखें बंद की।
शब्बो मुस्कुराकर बोली - आँखें बंद करने से क्या लाभ ? मैंने तो पहले से ही बंद की हुई हैं।
उसके कान के पास किसी की गर्म साँसें उसे महसूस हुई ,एक आवाज़ आई -मेरी जान...... आज बहुत दिनों पश्चात मिली हो , क्या मेरी रातें अब भी रंगीन होंगी ? जो बात तुममें है ,वो किसी और में नहीं।
शब्बो झटके से ,अपनी आँखें छुड़ाकर खड़ी हो गयी और बोली -तुम्हारी यहाँ आने की हिम्मत कैसे हुई ?
मैं तो यहीं रहता हूँ ,तुम्हीं मुझसे मिलने अपने नये यार को लेकर आई हो।
बकवास बंद करो !वो मेरे पति हैं।
पहला वाला भी तो तुम्हारा पति था ,उसने ही तुम्हें मेरे बिस्तर पर भेजा था। मैं चाहूँ तो......
तभी शब्बो को करतार आता दिखा ,वो उस समय बहुत घबरा गयी उसने खन्ना की तरफ देखा किन्तु वो वहां नहीं था। फिर भी शब्बो की घबराहट समाप्त नहीं हुई ,और वो वहीं बैठ गयी। और अपने को संभालने का प्रयत्न करने लगी। वो मन ही मन उस समय को कोस रही थी जब उसने करतार के संग इस होटल में प्रवेश किया। ये आदमी भी क्या यहीं होटलों में घूमता रहता है ?घूमेगा क्यों नहीं ?यहीं तो उसे फ़साने के लिए मुर्गे मिलते होंगे। इसी तरह बैठे -बैठे ,बिना करतार की तरफ देखे ,उससे पूछा - वहाँ ,क्या हुआ था ?
अरे....... कुछ नहीं ,एक महिला ने कुछ ज्यादा ही पी ली थी और वो नशे में ,मारपीट और अजीब हरकतें कर रही थी।
तभी शब्बो को स्मरण हुआ ,मुझे भी तो इसी तरह नशे की कुछ चीज खिलाई थी जिस कारण मुझे पता ही नहीं चल पाया था कि क्या हुआ ?शब्बो हड़बड़ाकर उठी और बोली -कहाँ है ?वो औरत !