बदली का चाँद ''में अभी तक ,आपने पढ़ा -समीर बलविंदरके विरूद्ध ,प्रमाण ढूंढता है किन्तु उसे कुछ भी हाथ नहीं लगता। उधर विवाह होने में दो दिन ही शेष हैं ,तब उससे शब्बो कहती है - जो भी करना है ,अति शीघ्र ही करो ! वरना दो दिन के पश्चात ,मेरा विवाह ,उस बलविंदर से हो जायेगा। एक दिन समीर ,शब्बो को सूचना देता है कि एक व्यक्ति ने मुझे बुलाया है और उसने कहा है -मैं बलविंदर से संबंधित सभी सूचनाएं तुम्हें दूंगा। इसी प्रसन्नता में दोनों ,अपने भविष्य के सपने सजाने लगते हैं ,अब आगे -
समीर ,शब्बो को सांत्वना देता है ,कि उसके विवाह से पहले ,वह सब ठीक कर देगा। समीर करन के पास जाता है ,और उसे बताता है -सभी समस्याओं का हल मिल गया। कोई है ,जो उसे बलविंदर के विरुद्ध प्रमाण देगा कि उसने पहले भी विवाह किया हुआ है और जो भी सबूत उसके पास होंगे देगा।
करन कहता है -अभी तो मुझे समय नहीं , कल चलते हैं।
समीर ज़िद करता है -उसने आज ही बुलाया है ,दो दिन पश्चात तो विवाह ही है ,अब तो वो मिलकर हमें सबूत देने के लिए तैयार है। उसके पश्चात ,उसका मन बदल गया तो.....
समीर की ज़िद और उसकी परेशानी देखकर ,करन उसके साथ चलने के लिए तैयार हो जाता है। क्या तू उसे जानता है ?करन ने समीर से पूछा।
नहीं... !
फिर तू उसे पहचानेगा कैसे ,किसने तुझे संदेश दिया ?
एक छोटा सा लड़का था ,उसने बताया था -सड़क के पार ,एक व्यक्ति खड़ा था उस ओर इशारा करके कहा था ,जो तुम ढूंढ़ रहे हो ,मेरे पास है ,उस व्यक्ति ने संदेश भेजा है। यदि तुम्हें सबूत चाहिए तो रामचरण की ट्यूबवेल के पीछे मिलो।
ये क्या बात हुई ?किसी मॉल में बुलाता या किसी रेस्टोरेंट में ,ये 'रामचरण की ट्यूबवेल 'कहाँ है ?क्या तू जा नता है ?
नहीं ...... जानता तो नहीं था ,तब किसी से पूछा।
फिर क्या पता चला ?
क्या पता चलना है ?वो कोई ऐसा प्रसिद्ध इमारत या जगह तो है नहीं , कि हर कोई जानता होगा ,तब एक व्यक्ति मिला ,उसने बताया -ये तो उसी ,बलविंदर के शहर के आस -पास है।
करन को शक़ हुआ , कहीं , ये किसी की चाल तो नहीं ?
इसमें क्या चाल हो सकती है ?और किसी को क्या लालच हो सकता है ?
मुझे तो इसमें ,अवश्य ही घपला लग रहा है। किसी को क्या मालूम ?कि हम क्या ख़ोज रहे हैं ?और फिर उसने बुलाया भी तो ,उसी के गांव के नज़दीक।
नहीं -नहीं ,वो शहर है ,समीर बोला -शब्बो ऐसा ही कहती है ,कहकर हँस दिया।
तुझे हँसी सूझ रही है, मुझे तो...... षड्यंत्र की बदबू आ रही है।
समीर बोला -अब चल ही तो रहे हैं ,पता भी चल जायेगा ,क्या सही है ,क्या ग़लत ?
जब वो लोग रामचरण की ट्यूबवेल पर पहुंचे ,वहां कोई नहीं था। अरे...!कोई है ,कोई है किन्तु कोई नहीं मिला ,शायद किसी ने बेवकूफ़ बनाया ,चल अब घर चल नाराज होते हुए ,करन बोला।
जैसे ही वो दोनों वापस जाने के लिए मुड़े ,तभी पीछे से किसी ने उनके ऊपर काला कंबल या काला कपड़ा ढक दिया और कुछ देर इसी तरह रखा क्योंकि उस कपड़े से उन्हें कोई महक सी आ रही थी और धीरे -धीरे वे लोग बेहोश हो गए। जब उनकी चेतना लौटी ,तो वे किसी बदबूदार अँधेरे कमरे में थे ,उस कमरे में ऊंचाई पर रौशनी के लिए एक गोल सा रौशनदान था।
अपनी हालत पर करन झल्लाया और बोला -मैंने तुझसे पहले ही कहा था- कि ये धोखा भी हो सकता है, किसी भी अनजान व्यक्ति पर ऐसे ही विश्वास कर लिया। हो न हो ,मुझे तो ये भी लग रहा है ,शायद ये बलविंदर की ही चाल हो ,उसे पता चल गया हो ,कि हम लोग ,उसके विषय में जानकारी जुटा रहे हैं। तब उसने ये चाल चली हो।
समीर तो जैसे सदमे में आ गया था ,वो तो बस चुप बैठा ,दीवार को ताक रहा था ,उन्हें तो ये भी नहीं पता वो कब से इस स्थान पर बंद हैं ? अब तो ,सोचने के लिए ,उनके पास समय ही समय था। वो चाहरदीवारी उन्हें ,कैद कर ,उन्हें मुँह चिढ़ा रही थीं। वहां मेरा शब्बो मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी ,मैं समय पर नहीं पहुंचा तब मुझे झूठा और धोख़ेबाज़ समझेगी। यही विचार आते ही ,समीर जोर -जोर से चीख़ने लगा। ये मैंने क्या कर दिया अपने सपनों के घर में ,स्वयं ही आग लगा ली। कहते हुए ,वो जोर -जोर से दरवाजा पीटने लगा।
उसे अंदर ही अंदर दिल में घबराहट हो रही थी ,कुछ देर इसी तरह परेशान रहा ,फिर से शब्बो का ख़्याल आते ही परेशान हो उठा और वो दीवारों में ,दरवाजे की झिरकियों में से बाहर देखने का प्रयत्न करने लगा। कोई तो दिख जाए ,ताकि वो अपनी आवाज़ उस तक पहुंचा दे।