अभी तक आपने पढ़ा -शब्बो बलविंदर को डायरी में ही एक प्रेम -पत्र लिखती है ,उसके अंदर एक ड़र है ,क्या बलविंदर भी उसे प्यार करेगा अथवा उसका प्रेम ,इकतरफा ही रह जायेगा। मन ही मन उसकी मम्मी ,पम्मी भी चाहती है कि ये रिश्ता हो जाये और इस रिश्ते को ,आगे बढ़ाने के लिए वो अपनी तरफ से प्रयास जारी रखती है। इसी प्रयास के चलते वो शब्बो के हाथ ''टोनी के घर ''यानि चेतना चाची के लिए ''गोभी का अचार'' भेजती है ,जहाँ बलविंदर उससे कहता है कि ये सारा दिन घूमती रहती है ,पढ़ाई नहीं करती। तभी पम्मी भी आ जाती है और बलविंदर से कहती है -तू इसका इम्तिहान ले ले। वो चाहती है ,-बलविंदर के मन में किसी तरह प्रेम का अंकुर फूट जाये।
बलविंदर बोला -अभी ,मैं अपनी तैयारी कर लूँ ,फिर इसे दे
खता हूँ। बलविंदर के व्यवहार से, तनिक भी नहीं लगता कि वो उसे तनिक भी पसंद करता है। शब्बो परेशान सी उठकर चल दी ,चलते समय बल्लू ने पीछे से आवाज लगाते हुए कहा -जरा ,अपनी तैयारी रखना। शब्बो ने कोई उत्तर नहीं दिया ,किन्तु उसकी मम्मीजी की आवाज अवश्य आई -आहो जी आहो ,मैं कहूंगी न ,इसे पढ़ने के लिए। बलविंदर के इम्तिहान हो गए अब वो छत पर भी आने लगा और शब्बो से लड़ाई -झगड़ा भी होता रहता ।उसे एक घंटा पढ़ाता भी। कहता-तू नहीं पढ़ेगी, तो तेरा विवाह कैसे होगा ?शब्बो बोली -तुझे कितनी पढ़ी -लिखी लड़की चाहिए ?या फिर नौकरी वाली। बलविंदर बड़े घमंड से बोला -मेरी वोट्टी तो बहुत पढ़ी -लिखी होगी ,तेरी तरह लापरवाह नहीं। उसकी बात सुनकर ,शब्बो को लगा -शायद ये अप्रत्यक्ष रूप से ,मुझे आगे बढ़ने के लिए कह रहा है ताकि आगे चलकर ये मेरा हाथ मांग सके। एक दिन शब्बो बोली -सारा दिन पढ़ाई ,और इससे संबंधित बातें ,मैं तो बोर हो गयी ,चलो आज कहीं घूमने चलते हैं। बलविंदर बोला -इस पिंड में ऐसा क्या है ?घूमने और देखने लायक।
तुम चलो तो सही ,शब्बो बोली। सुरेंद्र को भी साथ ले लेते हैं ,बलविंदर बोला। हाँ ,एक -दो को ओर साथ में ले लेते हैं शब्बो ने तो चिढ़कर कहा किन्तु बलविंदर ने समझा या नहीं या फिर समझकर भी ,न समझने का प्रयत्न कर रहा था। बोला ठीक है -सब मिलकर तय करेंगे ,कहाँ जाना है ?शब्बो की सहेली ,सुरेंद्र और उसका दोस्त और बलविंदर ये पांचों ने तय किया- पहले तो ''सुखविंदर के बाग़ में जाकर ,आम खाएंगे उसके पश्चात नहर पर जायेंगे।
अगले दिन ,तय समय पर निकलते हैं और आम खाते हुए ,मस्ती करते बातें करते ,नहर की तरफ निकल जाते हैं। बलविंदर बोला -नहर का बहाव तो बहुत तेज है ,मुझे तैरना भी नहीं आता ,मैं तो बाहर ही बैठूंगा ,तुम लोग नहा लो ,तैर लो ,जो भी करना है करो। शब्बो बोली -तुम लड़के होकर भी तैरना नहीं जानते ,आओ चलो मैं सीखा दूंगी। नहीं -नहीं मुझे नहीं सीखना कहकर ,वो नहर के करीब पानी में पैर लटकाकर बैठ जाता है। बोला -कभी ऐसा मौका ही नहीं मिला ,हमारे आस -पास कोई नहर भी नहीं ,इसी कारण अभी पानी से ड़र भी लगता है। सभी मज़े कर रहे थे ,पानी का बहाव वास्तव में ही तेज़ था। तभी पता नहीं ,शब्बो की सहेली को क्या सुझा ?उसने पीछे से आकर बल्लू को धक्का दे दिया और वो अपने को संभाल नहीं पाया और पानी के साथ बहने लगा। तभी टोनी की नजर उधर गयी और वो चिल्लाया -बलविंदर पानी में डूब रहा है ,उसे बचाओ ,उसे बचाओ।
शब्बो ने देखा तो, झट से पानी में छलांग लगा दी और उसे पकड़ने का प्रयास करने लगी। किन्तु वो तो काफी आगे जा चुका था। इस समय उसकी सहेली चुप थी ,उसने किसी को भी नहीं बताया कि धक्का उसी ने दिया है। शब्बो पानी के बहाव के साथ आगे बढ़ती रही बलविंदर भी हाथ -पाँव चला रहा था किन्तु अपने को संभाल नहीं पा रहा था ,धीरे -धीरे वो थकने लगा ,वो काफी सारा पानी पी चुका था। सुरेंद्र तो नहर से बाहर निकलकर ,उसके किनारे दौड़ रहा था ,बाकि दोनों उनके दोस्त गांववालों को बताने के लिए ,गांव की तरफ दौड़े। शब्बो उसके पीछे थी किन्तु अब बलविंदर उसे नहीं दिख रहा था और नहर भी दो हिस्सों में बंट चुकी थी। वो बुरी तरह थक गयी थी ,अब वो किनारे की तरफ बढ़ रही थी ,सुरेंद्र भी नहीं दिख रहा था। किनारे पर जाकर ,उसने लंबी -लंबी साँसें लीं और वो खड़ी होकर देखने लगी कि बल्लू बहकर किधर गया होगा ?
अपने अंदाजे से वो फिर से पानी में कूदी और उसने कोई हाथ -पांव नहीं चलाये ,पानी के बहाव के साथ बहने लगी। वो ऊंचाई से गिरने ही वाली थी कि टोनी की नज़र उस पर पड़ी और वो चिल्लाया -शब्बो पानी से बाहर आ जाओ !नीचे गिर जाओगी किन्तु उसने उसकी आवाज पर कोई ध्यान नहीं दिया। तब तक गांववाले भी आ गए थे। सभी शोर मचा रहे थे किन्तु वो तो पानी के बहाव के साथ उसने अपने शरीर को छोड़ दिया ,जैसे उसे तैरना आता ही नहीं। नीचे गिरते समय ,उसका सिर किसी चीज से टकराया उसे एक बड़ा झटका सा लगा और वो बेहोश हो गयी।
एक -दो घंटे ,या पता नहीं ,कितनी देर या दिन वो बेहोश रही ?भूख और थकान से उसकी हालत पस्त थी। तभी उसे कुछ सिपाही दिखे ,शायद वो उन्हीं लोगों के लिए थे। वो उनके समीप गयी और बोली -क्या आप लोगों को बल्लू मिला ?वे बोले -कौन बल्लू ?हम तो उन व्यक्तियों को ढूंढ़ रहे हैं जो उस पुल के टूटने पर दुर्घटना का शिकार हुए हैं। तब शब्बो ने उन्हें अपने गांव और और बल्लू के विषय में बताया।उन्हें लगा इसी हादसे की शिकार कोई लड़की है जो शायद अपनी स्मृतियाँ भुला चुकी है। उन्होंने उसकी बातों पर किसी भी तरह का ध्यान न देते हुए कहा -वहाँ शिविर लगा है ,पहले जाकर अपनी चोट पर दवाई लगवा लो ,तब उसके पश्चात बल्लू को ढूंढेंगे। उधर जो लोगों की लाशें हैं उनमें उसको ढूंढ़ सकती हो। वो वहां के लोगों में भी बल्लू को ही ढूँढ रही थी। उसे स्वयं ही नहीं पता चला कि वो अपने गांव से कितनी दूर निकल आई है ?
उधर उसके गांव के लोगों ने ,नहर के दूसरे कटाव की तरफ एक हाथ को देखा और वो उसी तरफ दौड़ पड़े ,वो बलविंदर ही था। उसने पानी के बहाव के साथ बहते हुए ,दूसरी तरफ आया और एक बहते तख्ते को उसने पकड़ लिया और उसी तख़्ते के सहारे वो बहता रहा ,एक स्थान पर आकर वो अटक गया जो गांव के लोगो ने देख लिया और उसे ले आये किन्तु उन्हें शब्बो का दुःख था पता नहीं ,पानी में बहते हुए वो कहाँ तक निकल गयी ?पम्मी का तो रो -रोकर बुरा हाल था ,आस -पास ढूंढा फिर भी वो नहीं मिली।