अभी तक आपने पढ़ा -शब्बो के कारण समीर के घर में खुशियां आती हैं ,उनके घर ख़ुशहाली करके ,न जाने शब्बो कहाँ चली गयी ?समीर कई दिनों से उसे खोज रहा था। उसे क्या पता ?शब्बो कैसी दुविधा में फंस गयी है ?एक तरफ तो समीर उसका दोस्त ,दूसरी तरफ उसका 'पहला प्यार 'जो पुनः उसकी ज़िंदगी में प्रवेश करना चाहता है किन्तु शब्बो स्वयं ही कुछ समझ नहीं पा रही कि वो क्या करे ? बलविंदर को पुनः अपने जीवन में प्रवेश करने दे या फिर समीर को उसकी ज़िंदगी में आने की इज़ाजत दे दे। वो समीर जो उसकी उदास ज़िंदगी में एक झोंके की तरह आया। आज टोनी की मम्मीजी ,उसके लिए बलविंदर का रिश्ता लेकर आई हैं ,ऐसे में वो समझ नहीं पा रही कि उसे प्रसन्न होना चाहिए या फिर दुःखी ,इन्हीं उलझनों में फंसी शब्बो अपनी मम्मीजी और टोनी की मम्मी की बातें सुन रही है। अब आगे -
पम्मी की और उसकी पड़ोसन की बातें चल ही रही थीं ,तभी शब्बो तैयार होकर बाहर आती है और मम्मीजी से कहती है -मैं कॉलिज जा रही हूँ।
अरे !ये लो ,अपनी शब्बो भी यहीं है ,तू बता पुत्तर ! तेरे को तो बलविंदर पसंद है न ,उससे तेरे रिश्ते की बात की तो मान गया ,अब तेरी रजामंदी होनी बाक़ी है। अब तू ही बता दे ,अपनी मम्मीजी को ,उन्होंने पम्मी की तरफ इशारा करते हुए कहा।
अब मैं क्या कहूँ ?चाचीजी !मुझे तो कॉलिज के लिए देरी हो रही है।
अब तू कहीं मत जा ,अपने घर में बैठकर ,बलविंदर के सपने देख , देख रोज़ाना इधर -उधर आने -जाने से रंगत भी फ़ीकी पड़ गयी।
पम्मी मन ही मन सोच रही थी -लड़का तो सोहणा है मेरी कुड़ी नाल जोड़ी भी जंचेगी किन्तु ये टोनी की माँ पर कैसे भरोसा कर लूँ ?
मैंने तो यहां आने से पहले ही ,अपने भाई को फोन कर दिया था ,उससे कहा था -भला तुम लोगों को इस रिश्ते से क्या परेशानी हो सकती है ?तुम लोग कल ही आ जाना।
क्या.... उनकी बात सुनकर पम्मी उछल पड़ीं कल ही..... ,ये आप क्या कह रही हैं ? इतनी जल्दी ! सब कैसे होगा ?अभी तो इसके पापाजी को भी नहीं पता।
ओह.... जी तुस्सी परेशान न हों ,सब हो जायेगा। कल वे लोग आएंगे ,बात बन जाये ,तो तुम उसका टीका कर देना ,वे भी इसे अंगूठी पहना जायेंगे।
अभी चाचीजी ,इतनी जल्दी भी क्या है ?मेरा तो पढ़ाई का भी आखिरी साल है ,तसल्ली से सभी काम होते हैं ,कहीं भागे तो नहीं जा रहे।
मैं कब कह रही हूँ ? कि पढ़ाई नहीं करनी है ,पढ़ लेना.... पढ़नेवाले तो ब्याह के बाद भी पढ़ते हैं।
क्या... ?विवाह ..... इतनी जल्दी !ये सब क्यों ?शब्बो विचलित होते हुए बोली।
तू क्यों इतनी परेशान हो रही है ?तुझे तो बलविंदर पसंद है न.... उन्होंने शंकित होकर कहा।
उनका प्रश्न सुनकर ,शब्बो की नजरें झुक गयीं ,अब इस विषय में उनसे क्या कहें ?वो अपने आप को ही कोई जबाब नहीं दे पा रही है।
देखा !कैसे शर्म से नजरें झुका लीं ,मैं न कहती थी - हमारी शब्बो भी मन ही मन ,बलविंदर को पसंद करती है। अब मैं चलती हूँ ,बहुत देर हो गयी ,मुझे अपने घर के काम भी तो निपटाने हैं ,कल भाई आ गया तो उसकी तैयारियाँ भी करनी हैं ,कहते हुए वो चली गयीं।
जैसे आई थीं ,वैसे ही चली गयी किन्तु इस घर के लोगों के दिलों में कुछ प्रश्न ,कुछ बेचैनी छोड़कर चली गयी। पम्मी ने मुँह बनाया - अपने घर में क्या तैयारियाँ करेगी ?उसे तो तैयार होकर इथ्थे ही आना है। अपना सूट संभालते हुए आ जाएगी। शब्बो देख !तेरे पापा जी भी अभी नहीं आये।
अभी कैसे आ जायेंगे ?अभी तो उनका आने का समय भी नहीं हुआ।
मैं भी न घबराहट में ,न जाने क्या -क्या सोचने लगी ?वो तो हमारे ऊपर बम फोड़कर चली गयी। सब कुछ आज और कल में कैसे हो जायेगा ?
मम्मीजी तुस्सी परेशान न हों ,सब हो जायेगा ,बस एक बात पूछनी थी....
क्या... ?
यदि मैं बलविंदर से ब्याह न करूं ,मेरा मतलब है ,अब मुझे वो पसंद न आया तो....
तो क्या.... ? क्या तुझे कोई और पसंद आ गया। तुझे तो खुश होना चाहिए ,इतने लांछन लगने पर भी वो , तुझसे ब्याह करने को तैयार है।
इस बात से ,शब्बो चिढ़ गयी और बोली - ब्याह करके ,मुझ पर कोई एहसान नहीं कर रहा। मैंने कोई ग़लत कार्य नहीं किया ,जो उसका एहसान लूँ। रही बात लांछन की.... वो लगाने वाली भी उसकी बुआ ही थी। अब वो ही ,रिश्ता भी लेकर आई ,हम तो नहीं गए।
शब्बो की घुटन को महसूस कर पम्मी बोली -अब कल लोगों को आने तो दे ,उसके बाद ही कोई फैसला होगा।
कॉलिज में ,समीर अपनी नई दुपहिया से आया ,सोच रहा था -नई गाड़ी पर सबसे पहले, शब्बो को ही बैठायेगा ,दोनों दूर कहीं ग़ुम हो जायेंगे ,घनी वादियों में खो जायेंगे। कॉलिज पहुंचकर ,पहले तो उसे ढूँढ़ा ,वो उसे कहीं नहीं दिखी ,आज भी नहीं आई ,आखिर ये कॉलिज क्यों नहीं आ रही ?तभी उसे तेजी से बाहर की तरफ जाती शिल्पा दिखी। समीर ने उसे आवाज़ दी -शिल्पा... वो शायद जल्दी में थी ,उसने सुना नहीं। बाहर आकर वो रिक्शे में बैठकर ,चली गयी।
समीर बेहद ,परेशान हुआ ,शब्बो की कुछ खबर नहीं ,घर भी नहीं आई ,अब शिल्पा से कुछ पता चल पाता तो वो भी शीघ्रता में चली गयी। इन लड़कियों को ,हो क्या गया है ?वो अपनी दुपहिया पर बैठा यही सोच रहा था। तभी उसकी दृष्टि ,अपनी गाड़ी पर गयी और अचानक ही उसके मुँह से निकला -ओ.... तेरी.... इसका तो मुझे स्मरण ही नहीं रहा ,और उसने चाबी घुमाई और कॉलिज से बाहर सड़क पर आ गया। और उसने गाड़ी दौड़ा दी ,कुछ दूरी पर ही उसे शिल्पा का रिक्शा जाते दिख गया। फिर से शिल्पा को आवाज़ लगाई। अबकि बार वो विफ़ल नहीं हुआ ,शिल्पा ने घूमकर देखा ,समीर उसके पीछे चला आ रहा था।
शिल्पा ने ,रिक्शा रोका और समीर से पूछा -तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो ?हमारे गांव के लोग भी यहां घूमते रहते हैं ,तुम्हें इस तरह पीछा करते देख गलत समझेंगे।
मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा ,मैं तो बस ये जानना चाहता हूँ कि अब कई दिनों से शबनम नहीं दिख रही , अब उसने सीधे मुद्दे की बात की। आजकल कहाँ है वो... ?
ओ.... तो ये कहो न ,शबनम का प्यार तुम्हें यहाँ खींच लाया ,हँसते हुए शिल्पा बोली।
ये बेकार की बातें मत करो ,मुझे बताओ !आजकल कहाँ हैं ,वो ?
तुमने आने में जरा देर कर दी।
क्या मतलब ?
मतलब ये कि आज उसे देखने वाले ,आ रहे हैं ,मैं भी वहीं जा रही हूँ ,वो तो मुझे कुछ जरूरी नोट्स लेने थे इसलिए आ गयी , शिल्पा ने बताया।
अब आगे क्या होगा ? समीर अब कौन सा कदम उठाएगा ?क्या वो उसके गांव जाकर शब्बो के कार्य में विघ्न डाल देगा ?या फिर बलविंदर की सच्चाई बाहर निकालकर लाएगा ,क्या है ?बलविंदर की सच्चाई। जानने के लिए पढ़ते रहिये -बदली का चाँद