सिम्मी का पति अपने ग़म में कमरे से बाहर आ गया ,वो जानता था -उसने जो गलती की है ,अब उसका कोई हल नहीं है। वो पूरी तरह से फंस चुका है , निकलना मुमकिन नहीं ,अब जो भी होगा, देखा जायेगा किन्तु उसे सिम्मी के व्यंग्य और उसका व्यवहार बहुत चुभ रहा था। वो समझ नहीं पा रहा था ,कि सिम्मी परेशान अथवा दुःखी है ,यदि वो दुःखी है ,तब इस सब के लिए तैयार क्यों हो गयी ?दुखी नहीं है ,तब उसे ताने देकर उसकी गलतियों का एहसास क्यों करा रही है ? वो तो पहले से ही ,अपनी गलतियों का बोझ ढ़ो रहा है।उसने वेटर से पीने के लिए कुछ मंगाया।
इसका इधर पीने का दौर आरम्भ हुआ ,उधर सिम्मी अपने कमरे में बैठी थी ,कुछ देर पश्चात लेट गयी। उसके मन में अनगिनत प्रश्न उठ रहे थे ,वे कौन लोग हैं ?जो इस तरह पैसे के बल पर ,लोगों का ईमान ख़रीद रहे हैं। ऐसे में ही तो इंसान की सच्चाई की परख होती है ,पैसा ऐसी चीज़ है किसी भी जरूरतमंद का ईमान डोला सकता है। उस परीक्षा में मेरा पति तो फेल हो ही गया ,अब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ भी ,तो अब देर हो चुकी है। सोचकर ही उसकी आँखें नम हो गयीं।
सिम्मी को अपने कंधे पर किसी का स्पर्श महसूस हुआ , वो फुर्ती से उठ बैठी ,उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसका पति ही था। उसके मन में एक आशा की किरण जागी ,दिल में एकदम से उमंग उठी ,जो भी वो सोच रही थी ,शायद इसी ने कुछ अभिनय किया होगा किन्तु जब उसका चेहरा देखा ,उससे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा। इससे पहले कुछ समझती अथवा कहती।
वो बोला - सिम्मी चलो !हम यहाँ से भाग जाते हैं ,तुम अपना सामान बाँधो ,धीरे से पीछे के रास्ते से निकल चलते हैं। मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ ,जब तो अचानक पता नहीं ,मुझे क्या हो गया था ?किन्तु अब मैं पूरे होशो -हवास में हूँ ,मैं तुम्हें इस तरह अकेले नहीं छोड़ सकता।
तुमने ,जो उससे पैसा लिया है।
मुझे उनके पैसों का कोई लालच नहीं है ,मांगेंगे तो वापस कर दूंगा। तुम बस अब यहाँ से निकल चलो !
वो लोग बहुत ही ख़तरनाक हैं ,न ही तुम्हें छोड़ेंगे ,न ही मुझे ,अब तुम यहाँ से जाओ !
तुम डर गयीं ,क्या ?
हाँ ,मैं ड़र रही हूँ ,वे लोग तुम्हारी और मेरी जान ले लेंगे किन्तु अपना नुकसान नहीं होने देंगे ,मुझे तो बचा भी लेंगे किन्तु तुम्हें मारकर तो उन्हें लाभ ही होगा।
वाह जी ! ऐसे कैसे मार सकते हैं ?कानून नाम की भी कोई चीज होती है, कि नहीं।
नहीं ,कानून ऐसो की जेब में रहता है।
नहीं ,ऐसा नहीं है ,वरना इस तरह चोरी -छिपे काम न करते।हम दोनों भाग जाते हैं ,उन्हें पता भी नहीं चलेगा हम कहाँ से आये थे ,और कहाँ गए ?
अच्छी योजना है ,अब तुम शीघ्र ही बाहर निकल जाओ ! कोई न कोई तो आता ही होगा ,यदि तुम्हें अपनी गलती का दिल से पछतावा है तो तुम्हारी सिम्मी को कुछ नहीं होगा।
वो चिढ़ते हुए बोला -अरे ,ऐसे कैसे नहीं होगा ? मैं तुम्हें लेकर ही जाऊँगा ,मेरी पत्नी है ,देखें भला !मुझे ऐसे कैसे, कौन रोक सकता है ?
यही बहादुरी तुमने पहले दिखाई होती ,कहते हुए ,उसने अपने बराबर के कमरे की ओर धकेल दिया ,जो पहले से ही खुला था ,उसके अंदर जाते ही वो दरवाजा बंद हो गया।
लगभग आधा घंटा बाद कोई चालीस -पैंतालीस की उम्र का व्यक्ति उसके कमरे में दाख़िल हुआ। देखने में बहुत ही पैसे वाला रईस इंसान लग रहा था। रंग एकदम गोरा -चिट्टा ,क़ीमती कपड़ों से सुसज्जित था। उसके मुख से शराब की गंध आ रही थी ,शायद बाहर से पीकर आया था। किसी ग़ैर स्त्री पर हाथ डालने के लिए हिम्मत भी तो चाहिए ,इसीलिए बाहर से ही पीकर आया होगा ,सिम्मी ने उसे देखकर सोचा।
उसने आते ही लड़खड़ाते शब्दों में पूछा ,क्या तुम ही ''सिम्मी '' हो ?
जी..... कहते हुए, सिम्मी पास ही पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी।
वो अपना कोट उतारने का प्रयास कर रहा था ,सिम्मी को उसकी कोई सहायता न करते देखकर बोला - ये क्या तहज़ीब है ? मेरी सहायता करो !
इसमें तहज़ीब क्या करेगी ?मैंने ऐसे कभी नहीं किया ,मुझे क्या मालूम ?आपको कोट उतारना है या नहीं। सहायता के लिए आगे बढ़ी।
तब तक वो कोट उतारकर ,आराम से बिस्तर पर बैठ चुका था ,सिम्मी वापस जाकर फिर से उसी कुर्सी पर बैठ गयी।
सिम्मी की हरकतें देखकर ,उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ और बोला - इधर आओ !
जी , मैं यहीं ठीक हूँ।
क्या तुम्हें कुछ भी नहीं मालूम ,किसी को कैसे खुश किया जाता है ?
आप तो मुझे भले -चंगे लग रहे हैं ,क्या आप दुःखी हैं ? बताइये ! आप कैसे खुश होते हैं ?
तुम्हारे नज़दीक आने से।
अच्छा ,एक बात पूछूं !
पूछो !
आप तो बहुत पैसेवाले लग रहे हैं , आपका अपना परिवार भी होगा।
हाँ , है न .......
मेरी पत्नी है ,एक बेटा है ,बेटी लंदन में रहती है।
तब आप ये सब...... क्यों ऐसा करते हैं ?
ये तो अमीरों के शौक़ हैं ,मन बहलाने के लिए इधर आ जाते हैं।
और जरूरतमंद के जज्बातों के साथ खेलते हैं , इतना अधिक पैसा है ,तो किसी ग़रीब की सहायता क्यों नहीं करते ?अपने परिवार के साथ क्यों नहीं बैठते ?
ऐ लड़की ! झटपट से अपने कपड़े उतारो और मुझे ख़ुश करो !
किसी के जज्बातों ,अरमानों को कुचलने से आप खुश हो जायेंगे , आपकी ये ख़ुशी शाश्वत रहेगी ,तो मैं एक बार नहीं ,कई बार कपड़े उतारने के लिए तैयार हूँ। आप दिल से सोचिये -ये हवस की प्यास ,क्या आपको वो ख़ुशी दे पायेगी ? जिसकी आप तलाश में है। मैं आपकी बेटी की उम्र की हूँ ,मेरी सम्पूर्ण ज़िंदगी वीरान हो जाएगी। मेरी ही क्या ,न जाने कितनी लड़कियों की ज़िंदगी इस दलदल में आकर ग़ुम हो गयी होगी ?
यहाँ क्या मैं तुम्हारा भाषण सुनने आया हूँ ?कहकर वो सिम्मी की तरफ आगे बढ़ा ,तुम भी अजीब लड़की हो , ग्राहक के आने पर लड़कियां स्वयं ही तैयार रहती हैं और तुम दूर बैठी ,मेरी बीवी की तरह भाषण दे रही हो।
उसे अपनी ओर आता देखकर ,सिम्मी बोली -आप क्यों कष्ट कर रहे हैं ? मैं ही आती हूँ। वैसे ये बताइए ,इस काम के लिए ,आप लोग किससे सम्पर्क करते हैं ?कहते हुए ,वहां रखी बोतल से उसके लिए शराब निका लने लगी।
तुम्हें तो पैग भी बनाना नहीं आता , कहकर वो झल्लाया।
नहीं आता ,न ही मेरे पिता या भाई पीते थे ,न ही मेरा पति पिता है किन्तु तुम लोगों के झांसे में आ गया कहकर वो रोने लगी।
सिम्मी का रोना देखकर ,वो स्वयं ही बनाने लगा और मन ही मन बुदबुदाने लगा - कहाँ फँस गया ?
आप नहीं फंसे ,फंस तो मैं गयी ,एक निक्क्में पति से बंधकर ,क्या मुँह लेकर जाऊँगी ?अपने घरवालों के पास ,क्या बतलाऊँगीं ?अपनी सहेलियों को ! वो निक्क्मा पति मुझे छोड़कर न जाने कहाँ भाग निकला ?अच्छा ,ये बताइये ! आपसे उसने कितने पैसे लिए ?
क्यों ? तुम ये सब क्यों पूछ रही हो ?
नहीं ,मैं इसीलिए पूछ रही थी ,कहीं आपसे ज्यादा पैसे लिए हों और आपकी रात्रि भी बेकार जाये तो आपको तो नुकसान हो जायेगा न....
उसकी बात सुनकर वो हँस दिया।
इसमें हंसने की क्या बात है ? आपके लिए तो इतना पैसा मस्ती की चीज है किन्तु किसी के लिए रोजी -रोटी कहते हुए ,उसके पास आ गयी। यदि इतना पैसा अपनी कम्पनी के लोगों को दो। कम्पनी तो है ,न तुम्हारी। पूछते हुए बोली -तब आपको कितनी दुआएँ मिलेंगी ?
सिम्मी को अपने पास देखकर उसने उसका पल्लू खींचा ,अब और बातों में समय मत गँवाओं आ जाओ ! टोनी को मैंने आठ लाख रुपया दिया है ,मैं ही नहीं ,न जाने कितने लोग यहाँ आते हैं ? और अपनी ही इच्छा से आते हैं , इसीलिए तुमसे मैं कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा।