बदली के चाँद में ''अभी तक आपने पढ़ा ,शब्बो अब अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ रही थी वो समीर के क़रीब आने लगी तो उसकी ज़िंदगी ने ,एक नई करवट ली और उसकी ज़िंदगी में एक नया मोड़ आया। अब उसके लिए बलविंदर का रिश्ता आया।जब वो अपने बीते समय को भुलाने का प्रयत्न करने लगी ,तो बीता समय ,ख़ुद बख़ुद उसके सामने आकर खड़ा हो गया। टोनी की मम्मी स्वयं ही उसके लिए रिश्ता लेकर आई ,अब वो दोराहे पर खड़ी थी कि क्या करे ?तभी उसकी मम्मीजी समझाती हैं -कल वो आने वाला है ही ,तब उन परिस्थितियों को देखते हुए ,सोचते हैं -कि क्या करना है ? शब्बो को उनकी बात उचित लगती है।
उधर समीर को भी पता चल जाता है ,कि आज शब्बो को देखने आने वाले हैं। अब आगे -
शिल्पा समीर से बताती है -आज शब्बो को देखने लड़के वाले आने वाले हैं ,उसकी बात सुनकर ,वो एकदम सकते में आ जाता है ,बस इतना ही कह पाया -क्या........ इतनी जल्दी सब ,कैसे ?
मैं क्या जानूँ ?ये तो उसके घरवालों और शब्बो का निर्णय है ,इसमें मैं क्या कर सकती हूँ ?कहकर शिल्पा ने अपने रिक्शे से आगे बढ़ने के लिए कहा।
समीर कुछ देर इसी तरह खड़ा रहा फिर अपनी दुपहिया लेकर वापस हो लिया। अब वो कॉलिज नहीं गया सीधे घर गया और जाकर अपने कमरे में लेट गया। उसके पापा ने एक -दो आवाज के पश्चात ,उसे सोने दिया। उन्होंने सोचा -शायद ये थक गया है ,या रात में नींद पूरी नहीं होगी तो आकर सो गया।
किन्तु उनका ये अनुमान गलत था ,वो अपने कमरे में बैठा -शून्य में तक रहा था ,उसने न कभी शब्बो से प्रेम से बात की ,न ही कभी उसके विषय में इतनी गहराई से सोचा। फिर भी पता नहीं क्यों ?उसके लड़के देखने आने वाली बात को सुनकर ,उसे कुछ अच्छा नहीं लगा। उसके परिवार के लिए करती ,उसके विषय में सोचती तब उसे अच्छा लगता। अब वो इतनी जल्दी ,कैसे अपना विवाह कर सकती है ?
अब उसे बेचैनी होने लगी और वो बाहर आया उसके पापा ने उसे देखा और बोले - समीर इधर आओ !वो उनके करीब गया ,उसका चेहरा देखकर बोले-तुम्हारी तबियत तो ठीक है ,
जी पापा..
मुझे तो नहीं लग रहा ,क्या हुआ है तुम्हें ?क्या कोई बात है ?जो तुम मुझे बता सकते हो !
तब समीर बोला -पापा क्या आपको मालूम है ?शब्बो को लड़केवाले देखने आ रहे हैं।
नहीं..... कुछ सोचते हुए बोले -शायद ,इसीलिए कई दिनों से नहीं आई।
और अब आएगी भी नहीं।
क्यों..... ?
क्योंकि ,अब तो वो विवाह करके चली जाएगी।
बेटा ! उसे देखने वाले आ रहे हैं ,कोई ब्याह करके नहीं ले जा रहे। ऐसा भी हो सकता ,उसे लड़का ही पसंद न आये अथवा लड़के को वो पसंद न आये।
ऐसा हो ही नहीं सकता ,कि वो किसी को पसंद न आये ,वो इतनी सुंदर है कि कोई मूर्ख या अँधा ही होगा जो उससे विवाह को इंकार करे।
चलो !आ भी जाये ,तो अभी उसकी पढ़ाई भी बाक़ी है और अन्य रस्में भी होती हैं ,ख़ाली लड़का देखने आने से ही विवाह नहीं हो जाता।
उनकी इन बातों से समीर का चेहरा खिल गया और बोला -पापा आप कितने अच्छे से समझाते हैं ?
तभी पीछे साधना जी आकर बोलीं -और समझते भी हैं।
क्या मतलब ?मैं कुछ समझा नहीं.......
तुमने एक बात भी कही ,कोई मूर्ख या अँधा ही होगा जो उसे पसंद न करे। इस विषय में तुम्हारा अपने लिए क्या विचार है... ?
उनकी बात का आशय समझकर ,समीर झेंप गया और बाहर आ गया।
इधर शब्बो के घर में , बलविंदर उसके माता -पिता उनकी पड़ोसन ,बलविंदर की बुआ दो -चार लोग और भी थे। शब्बो के तो कोई भाई था नहीं ,वो तो अपने परिवार की इकलौती बिटिया है ,इस लिए सुरेंद्र ही उनके घर में ,भाई की तरह सभी कार्यों में बढ़ -चढ़कर हिस्सा ले रहा था।
सुंदरता को तो सजाने की आवश्यकता होती ही नहीं ,किन्तु शब्बो को तैयार करने के लिए,उसकी सहेलियाँ तैयार कर रही थीं। शब्बो तो अपनी ज़िंदगी में आये ,नए बदलाव के लिए ,मन ही मन अपने को तैयार कर रही थी।
तब एक छोटी लड़की बोली -दीदी ,अब तो आप हम सबको छोड़कर अपने घर चले जाओगे।
शब्बो का तो जैसे , दिल ही हिल गया किन्तु वो फिर भी चुपचाप बैठी रही ,एक बूँद उस अश्क़ की उसके गालों पर लुढ़ककर आ गयी ,जिसे सिर्फ़ उसने देखा और महसूस किया जो उसके गालों को सजा रही थी। तब वो धीरे से बोली -क्या तुम ?खुश हो .......
शब्बो बोली -हाँ..... वो तो मुझे लगा ,मेरे बिन मम्मी-पापा कैसे रहेंगे ?
हाँ..... वो तो है ,बेटी चली जाये तो ,बेटा घर में रहता है किन्तु यहां तो तेरे जाते ही ,घर सूना हो जायेगा।
तभी एक लड़की दौड़ती हुई आई और बोली -जल्दी चलो ! बाहर बुला रहे हैं कहकर वो बाहर ही भाग गई।
बस हो गया ,अब अपनी चुन्नी ओढ़ ले ,कहकर उसने शब्बो का दुपट्टा उसे दिया।
तैयार होकर ,जब शब्बो बाहर आई तो सभी की निगाहें उसी पर आकर टिक गयीं ,हो भी क्यों न ?आज तो वो इस कार्यक्रम की जान है।