अभी तक आपने पढ़ा ,शब्बो और सिम्मी की ज़िंदगी में आये गुनहगारों को 'करतार 'और 'मैक ',उन्हें सजा दिलवाते हैं। मैक के सामने आज करतार के मुँह से भी ऐसा ही कुछ निकल गया ,जो नहीं निकलना चाहिए था किन्तु उस बात ने ,शब्बो को सोचने पर मजबूर कर दिया। आज शब्बो की ज़िंदगी में जो काले बादल छाये हुए थे ,वो धीरे -धीरे छंट रहे थे। जब करतार अपने होटल के कमरे में आता है तो वहां का वातावरण देखकर अचम्भित रह जाता है। और तब वो शब्बो से बताता है ,मैं तो तुम्हीं पर उसी समय मर मिटा था ,जब तुम्हें पहली बार देखा था।
क्या सच में ?शब्बो हैरान होते हुए पूछ रही थी।
और नहीं तो क्या ? तुम मेरे प्रेम को अभी समझी ही कहाँ हो ?किन्तु अब समझ जाओगी ,मैंने अब तुम्हारे मन की वो गांठ भी खोल दी।
शब्बो सोच रही थी ,इसके प्यार की गहराई को, मैं कैसे ?इतने दिनों तक समझ नहीं सकी। मैं अपनी ही परेशानियों में उलझी रही।
होटल के दूसरे कमरे में ,जिसमें सिम्मी और मैक थे। मैक को तो मालूम था ,आज उसकी क्लास लगेगी और सिम्मी उसे नहीं छोड़ेगी। पहले तो वो कुछ देर बाहर बैठा रहा ,उसने एक पैग लिया ताकि अपने दर्द को कम करने के साथ -साथ ,सिम्मी के शब्दों की कड़वाहट भी वो झेल सके ,जब उसने गलती की है तो झेलेगा भी वही , मैक अपने कमरे की तरफ धीरे -धीरे कदम बढ़ा रहा था। उसके कमरे से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। पहले उसने धीरे से अंदर झाँका ,थोड़ा आश्वस्त हुआ ,तब थोड़ा कदम और आगे बढ़ाये। उसने देखा ,बिस्तर पर गुलाब के पत्तों से दिल बना हुआ था। कमरे का वातावरण देखकर वो समझ नहीं पा रहा था कि इसे मैं क्या समझूं ? सिम्मी कहीं दिख नहीं रही थी। वो पलंग पर लेट गया किन्तु उसका दिल अभी भी घबरा रहा था ,उसे लग रहा था -जैसे अभी कोई बम फटेगा। तभी सिम्मी बाथरूम से बाहर आई ,मैक की बंद आँखें एकाएक खुली और आश्चर्य से खुली की खुली रह गयीं।
वो लाल जोड़े में बाहर आई ,किन्तु वो मैक को देखकर शरमाई नहीं वरन उसे घूरा। मैक ने उसकी आँखे देखकर ,फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं। तभी सिम्मी बोली -ये क्या किया ?सारी सजावट खराब कर दी ,आते ही लेट गए। मैक हड़बड़ाकर उठ बैठा ,वो तो पहले ही सोचे बैठा था- कि बम फूटेगा। सिम्मी तेजी से उसके क़रीब आई ,अरे -अरे ये क्या कर रहे हो ? देखो !तुम्हें कितनी चोट लगी है ?अपना बिल्कुल भी ख़्याल नहीं रखते ,कहकर उसकी चोट देखने लगी। सिम्मी के शरीर की खुशबू मैक के नथुनों में भर रही थी किन्तु वो फिर भी सहमा सा उसे देख रहा था। अपने मन को नियंत्रित करने के लिए ,उसने अपने आँखें बंद कर लीं। सिम्मी ने बड़े प्यार से उसके सिरहाने दूसरा तकिया लगाया , उसके पैर ऊपर पलंग पर रखे। उसे इस तरह अपने करीब देख मैक को सिरहन सी हो रही थी। आँखें बंद किये भी वो सिम्मी को महसूस कर पा रहा था। वो सिम्मी को समझने का प्रयत्न कर रहा था ,वो थी कि किसी न किसी बहाने ,उससे स्पर्श कर जाती ,अब तो अति ही हो गयी ,जब उसने उसका तकिया ठीक करने के उद्देश्य से ,उसके चेहरे के बिल्कुल क़रीब आ गयी। यहाँ तक कि उसकी धड़कने तक वो महसूस कर पा रहा था।
उसका गला सूखने लगा ,उसने थूक सटकते हुए सिम्मी से पूछा -तुम अब कैसी हो ?
क्यों ,मुझे क्या हुआ है ,मैं तो पहले भी ठीक थी ,अब भी ठीक हूँ।
आँखें खोलकर मैक बोला -यानि अब तुम मुझे नाराज नहीं हो।
थी...... किन्तु अब नहीं ,
यानि तुमने मुझे माफ़ कर दिया।
माफ तो नहीं करती ,किन्तु तुम्हारी चोटों ने मुझे ,सोचने पर मजबूर कर दिया कि तुम्हें एक मौक़ा और देना चाहिए।
ऐसा क्या ?कहकर अपनी भावनाओं पर बंधे बांध को मैक ने खोल दिया और तुरंत ही सिम्मी को खेंचकर अपने ऊपर गिरा लिया। जब तुमने मुझे माफ कर ही दिया तो फिर ये दूरी कैसी ? कहकर उसके अधरों पर अपने अधर रख दिए ।
सिम्मी थोड़ा कसमसाई और बोली -जरा ध्यान से ,तुम्हें चोट लगी है।
हाँ -हाँ कहकर उसने मन ही मन करतार को धन्यवाद दिया ,सच में ही ,सर तो बस सर ही हैं ,क्या युक्ति सुझाई ? चोट तो थोड़ी सी पैर में ही लगी थी किन्तु हाथों की पट्टियों ने अपना कमाल दिखाया ,भगवान करे ,उनका भी घर ठीक से बस जाये ,जो भी उनकी परेशानी है सुलझ जाये ,सोचते हुए ,उसने सिम्मी को बिस्तर पर ही खींच लिया।
करतार ने शब्बो के माथे को चूमा और उसके करीब बैठ गया ,शब्बो को सोचते देखकर बोला -क्या सोच रही हो ?
कुछ नहीं ,मुझे पहले पता होता तो तुम्हें इतना इंतजार न करना पड़ता।
अभी भी तो बैठा ,मैं इंतजार ही कर रहा हूँ ,कहकर उसकी आँखों में देखा ,शब्बो शरमा गयी। करतार उसकी गोद में लेटकर उसके चेहरे को देख रहा था ,शब्बो शरम से लाल हुए जा रही थी ,तब उसने अपने सीने में उसका चेहरा छुपा लिया। दोनों की धड़कने एक -दूसरे को महसूस कर रही थीं। शब्बो आज वो तन -मन से अपने करतार के होने जा रही थी। उस पर जो दुःख ,क्लेश के बादल छाये थे ,वो कहीं दूर निकल गए थे। आज तो उसके चाँद की रौशनी उस पर पड़ रही थी ,जिस रौशनी में नहाकर वो भी चमक रही थी। अपने करतार के संग ज़िंदगी की नई शुरुआत करने को तैयार थी।
प्रिय दोस्तों !आपको शब्बो की कहानी ''बदली का चाँद ''कैसी लगी ?बताइयेगा अवश्य ! धन्यवाद🙏