बदली का चाँद में अभी तक आपने पढ़ा -शब्बो और शिल्पा कॉलिज में पढ़ने जाती हैं। वहां उनकी ''रैंगिग ''होती है। शब्बो एक गाना सुनाती है ,इससे पहले की गाना समाप्त हो ,वहाँ उपस्थित लड़के- लड़की सभी भाग जाते हैं ,कारण -अध्यापिका वहां आ जाती है। तब एक लड़का उसकी कक्षा में ही ,उसे धन्यवाद देने जाता है और चलते समय उसे चिढ़ा भी जाता है। शब्बो उससे बदला लेने की योजना बनाती है किन्तु वो कई दिनों तक कॉलिज ही नहीं आया। वे दोनों ,उसके कॉलिज न आने का कारण जानना चाहती हैं किन्तु उन्हें तो उसके नाम का भी नहीं पता। तब वो ,उससे उसका नाम जानना चाहती हैं किन्तु वो तो उन्हें ,अजब पहेली में फंसा गया। अंत में दोनों को दो नाम सूझते हैं -पवन और समीर। अब ये कैसे पता लगाया जाये ?कि उसका असली नाम क्या है ?अब आगे -
शिल्पा बोली -जब वो अपनी क्लास से बाहर आये तू समीर पुकारना और मैं पवन पुकारूंगी। इस तरह हमें उसके नाम के विषय में पता चल जायेगा। शिल्पा बोली -नहीं हमें इन पचड़ों में नहीं पड़ना ,सीधे -सीधे किसी से पूछ लेते हैं।
किन्तु शब्बो इसके लिए तैयार नहीं हुई ,बोली -जब इतनी मगज़मारी की है तब अंत में धोखा बाजी नहीं।
इसमें धोखा बाजी कैसी ?हम क्या कोई खज़ाना या बैंक लूट रहे हैं ?अरे........ नाम ही तो पता करना है।
नाम भी पता करेंगे ,ईमानदारी से और मैं जीती तो तू दावत देगी और तू जीती तो जीतने की ख़ुशी में दावत पक्की।
एक मिनट -एक मिनट शिल्पा उसकी बातों का भाव समझते हुए बोली -यदि मैं जीती तो.....
तो क्या ?जीत की ख़ुशी में ,तो दावत तू खिलाएगी ही कहकर शब्बो हँस दी।
वाह ! चित भी तेरी और पट भी तेरी ,तभी शिल्पा को समीर जाता दिखा , बोली -उसे आवाज लगा।
शब्बो झिझक गयी ,बोली -पहले तू लगा।
शिल्पा ने जोर से पुकारा -पवन........ शायद उस तक आवाज नहीं पहुंची फिर से बोली -पवन !!!!!!
अब शब्बो की बारी थी ,उसने आज पढ़ने की बजाय ,उसके नाम की खोज जो की थी ,अपने ऊपर पूरा विश्वास था ,जोर से बोली -समीर....... .
समीर ने ,पीछे मुड़कर देखा तो ,दोनों को जैसे खजाना मिल गया और खिलखिलाकर हँस पड़ीं। समीर तो अपनी कही बात को कब का भुला चुका था ? उन्हें इस तरह खिलखिलाता देखकर ,मन ही मन सोचने लगा -ये क्यों ,मेरा नाम पुकारकर हँस रही हैं ? इससे पहले कि वो कुछ सोचता या पूछता ,दोनों उसके समीप चली आईं और बोलीं -हमारी दावत.....
दावत !!!!!वो क्यों ?शब्बो इठलाकर बोली -तुमने जो पहेली हमें दी थी ,वो सुलझ गयी। तुम्हारा नाम समीर ही है न। उसके चेहरे पर जीतने का दर्प था।
इसमें तुमने कौन सा बड़ा कार्य कर दिया ?समीर अपना चेहरा लटकाकर बोला।
शब्बो अपनी ही झोंक में बोली -क्यों ?अपना नाम सीधे -सीधे क्यों नहीं बताया ?तुमने ही हमें अपने नाम की पहेली में उलझाया।
मेरा उद्देश्य तुम्हें परेशान करना नहीं था किन्तु अभी मैं कहीं जा रहा हूँ ,बाद में मिलता हूँ।
शब्बो को क्रोध आया ,उसका तो मन आज जीत की दावत खाने का था किन्तु समीर का चेहरा देखकर बोली -क्या हुआ ?क्या हम तुम्हारी कोई सहायता कर सकते हैं ?
समीर उसी तरह चेहरा लटकाये ,बोला -मेरी परेशानी है ,मैं देख लूँगा कहकर चला गया।
शब्बो ,शिल्पा से बोली -चलो आज इसका पीछा करते हैं ,पता तो चले ,आजकल ये क्या गुल खिला रहा है ?कहीं हमारा ही,मूर्ख न बना रहा हो।
समीर एक रिक्शा लेता है और उसमें बैठकर चला जाता है। शब्बो भी रिक्शा बुलाती है किन्तु तभी शिल्पा उसका हाथ पकड़ लेती है और कहती है -वापस कॉलिज में चलो ! उसकी अपनी ही कोई परेशानी होगी ,इससे हमे कोई मतलब नहीं। किन्तु शबनम का दिल नहीं माना और उसने एक रिक्शा रोक ही लिया और आगे वाली रिक्शा का पीछा करने के लिए कहा।
वो लोग छुपती -छुपाती ,समीर के पीछे एक अस्पताल तक पहुंच गयीं। वहां पहुंचकर एक -दूसरे को देखने लगीं। जैसे आँखों ही आँखों में पूछ रही हों ,कि ये यहाँ क्यों आया है ?इसकी उदासी का कारण यहीं मिलेगा शिल्पा बोली।
दोनों एक जगह जाकर रुक गयीं क्योंकि समीर रूम नंबर आठ में चला गया था। उन्हें इस तरह देखकर एक नर्स बोली -तुमको क्या चाहिए ?
शब्बो बोली - हमारे जानने वाले ,यहीं -कहीं हैं ,उनसे मिलने ही आये हैं।
कौन सा नंबर ?नर्स ने पूछा।
शायद ,आठ नंबर है शब्बो ने सोचने का अभिनय करते हुए कहा।
अच्छा,,,,,,, आप लोग समीर के पापा को देखने आये हैं।
शिल्पा बोली -हाँ..... वही तो ,वैसे उसके पापा को क्या हुआ है ?
क्या उसने नहीं बताया ?नर्स ने उन्हें संदिग्ध नजरों से देखा।
नहीं ,बस ये ही बता पाया था कि उसके पापा कमरा नंबर आठ में भर्ती हैं ,इतने में ही उसके अन्य दोस्त आ गए और बता नहीं पाया।
उनका ''हार्ट ''का ऑपरेशन हुआ है ,बेचारा समीर कितना परेशान था ?सारा दिन उनके समीप ही बैठा रहता था। आओ चलो !उनसे मिल लो।
वे लोग मिल तो लेतीं किन्तु उन्हें पता था ,वहां समीर पहले से ही मौजूद है।
आप चलिए हम अभी आते हैं ,कहकर वो दोनों खिसक गयीं। उन्हें मालूम था ,ये समीर को देखकर ,उसे अवश्य ही हमारे विषय में बताएगी। उनका सोचा ,सही निकला। समीर देखने के लिए बाहर भी आया था।आज अपनी जासूसी से ,उन्होंने समीर की उदासी का कारण जान लिया था।
वो दोनों कॉलिज वापस आ गयीं किन्तु उन्हें आते समय समीर ने देख लिया था। अगले दिन वो चुपचाप खड़ी अपनी कॉपी में कुछ नोट्स देख रही थीं। तभी समीर आया और बोला -आज तो बड़ी पढ़ाई हो रही है। आज जासूसी नहीं करनी। शिल्पा ने शब्बो की तरफ देखा जैसे -पूछ रही हो ,इसे किसने बताया ?शब्बो ने न में गर्दन हिलाई।
शब्बो बोली -किसकी जासूसी ? ये तुम क्या कह रहे हो ?
झूठ मत बोलो !मैंने तुम दोनों को उस हॉस्पिटल से निकलते देख लिया था और उस नर्स ने भी बताया था कि तुम दोनों उससे पूछताछ कर रही थीं।
ओ......... वो बात वो तो हम लोग अपने किसी कार्य से गए थे ,तब हमने तुम्हें उस हॉस्पिटल में जाते देखा तो नर्स से पूछ लिया। क्या हमने कोई गलती कर दी। शिल्पा ने बात को घूमाते हुए कहा।उसकी बात सुनकर समीर को लगा -हाँ ऐसा हो सकता है। और वो शांत हो गया।