अभी तक आपने पढ़ा ,शब्बो अब कॉलिज जाने लगी है । आज उसका पहला दिन है ,कॉलिज के अंदर घुसते ही ,उन्हें कुछ लड़के -लड़कियाँ घेर लेते हैं। तब उन्हें पता चलता है ,वो तो उनके सीनियर हैं और उनसे गाना गाने की फ़रमाइश करते हैं किन्तु शब्बो उनसे लड़ बैठती है ,समझाने पर गाना गाती है। उसकी आवाज़ सुनकर ,उस कॉलिज की अध्यापिका उसकी प्रशंसा करती हैं ,वहीं उन्हें ,समीर मिलता है जो उस समूह में शामिल था। अध्यापिका से प्रशंसा सुनकर जब वो अपनी कक्षा में आती हैं तो वहाँ समीर को देखकर ,चौंक जाती हैं। शबनम को लगता है -ये हमारे साथ ही पढ़ने वाला लड़का है और हमारा 'सीनियर' बनकर हमारी 'रैंगिंग ''कर गया। अब आगे -
शब्बो जैसे ही अपनी कक्षा में ,प्रवेश करती है ,उस समूह वाले लड़के को देखकर भड़क जाती है और शिल्पा से कहती है -देखा !ये हमारे ही साथ है और वहां हमारा' सीनियर 'बनकर 'रैंगिंग 'कर रहा था। तू देख ,मैं इसे अभी ,मज़ा चखाती हूँ, कहकर वो सभी कुर्सियों को हटाते हुए ,उसके क़रीब पहुँचती है ,किन्तु वो कुछ करती इससे पहले ही ,समीर उठकर खड़ा हो जाता है और बोला - मैं आपका यहीं इंतजार कर रहा था।
क्यों......
क्योंकि ,आपका धन्यवाद करने के लिए, आपने हमारे कहने पर बहुत ही सुंदर गाना सुनाया ऊपर से इतनी मीठी आवाज ,उसने मुस्कुराते हुए शब्बो की तरफ देखा। शब्बो भी मुस्कुराकर नीचे देखने लगी।
उसे इस तरह देख समीर साहस कर आगे बोला -ऐसा बहुत ही कम होता है ,इतनी सुंदरता के साथ -साथ इतनी प्यारी आवाज........ शब्बो खुश हो गयी और मन ही मन सोचने लगी ,मैं व्यर्थ ही, इसके विषय में गलत सोच रही थी। तभी कानों में ,फिर से आवाज़ आई और इतनी तीख़ी मिर्ची ,जो लड़ने के लिए ,हमेशा तैयार रहती हो। शब्बो ने अपना चेहरा उठाकर देखा ,तो मुस्कुराकर उसे देख रहा था।
अच्छा मैं ,तीखी मिर्ची हूँ ,कहकर एकदम उसके पीछे दौड़ी ,तब तक वो कमरे से बाहर जा चुका था। शिल्पा की तरफ देखकर बोली -देखा तूने !
हाँ देखा !वो तुझे धन्यवाद करने आया था और तेरी प्रशंसा भी।
अच्छा !तूने वो नहीं सुना जो वो कहकर भागा ,मैं भी उसे छोड़ने वाली नहीं।
तभी क्लास में ,अध्यापिका आ जाती हैं और भी बच्चे आ जाते हैं ,सभी अपने -अपने स्थान पर बैठते हैं। किन्तु वो नहीं आता।
क्लास के बाहर ,शब्बो उसे ढूंढती है ताकि उसे मज़ा चखा सके किन्तु वो कहीं नहीं दिखता।
एक सप्ताह पश्चात ,अचानक वो दीखता है ,उसका चेहरा उदास था उसके बाल भी रूखे थे ,ऐसा लग रहा था जैसे कई दिनों से नहाया नहीं हो या फिर सोया नहीं हो। उसे देखकर ,शब्बो शिल्पा से कहती है -देख !वो जा रहा 'मजनू की औलाद। '
शिल्पा ने देखा ,तो बोली -वो शायद परेशान है ,कुछ बात अवश्य है। वो लोग उससे मिलते या कुछ पूछते उससे पहले ही 'स्टाफ रूम ''में चला गया। शायद किसी अध्यापिका से काम हो ,हम तो उसका नाम भी नहीं जानती, जो किसी से पूछ भी लें।
चार दिन बाद ,पहले वाला समीर ही उन्हें दिखा ,ख़ुश ,प्रसन्नचित्त।
शिल्पा बोली - मैं तुझसे कह रही थी न ,ये अवश्य ही किसी परेशानी में था।
जब वो नजदीक आया ,तब शिल्पा बोली -सुनिए , आप हमारे सीनियर हैं ,क्या मैं आपका नाम जान सकती हूँ ?
क्यों ?मेरा नाम ,क्यों जानना चाहती हैं ?
जी ,कभी कोई सहायता की आवश्यकता हो ,कभी कोई नोट्स लेने हों या फिर पढ़ाई से संबंधित कोई प्रश्न हो इसीलिए शिल्पा हिचकिचाते हुए बोली।
इसके लिए तो यहां अध्यापक हैं ,उन्हें इस विद्यालय में इसीलिए तो नियुक्त किया गया है ,उसने बड़ी बेरुख़ी से जबाब दिया।
उसका जबाब सुनकर शब्बो बोली -देखा ,मैंने कहा था ना ,इससे नाम पूछने से कुछ नहीं होगा। हम तो बस ,कुछ दिन पहले की परेशानी जानने के लिए ,ये सब पूछ रहे थे।आ चल ,हमें क्या ?कोई जिए या मरे कहकर उसका हाथ पकड़कर ,आगे बढ़ चली।
तब समीर को स्मरण हुआ ,ये किस दिन की बातें कर रही हैं ?शब्बो के शब्द ,सुनकर उसे क्रोध भी आया किन्तु तभी उसे एक शरारत सूझी -बोला -मैं तो हवा का झोंका हूँ ,हाथ किसी के न आऊँ ,ढूँढ सको तो ढूँढ लो ,इसमें है नाम मेरा। कहकर वो चला गया।
शब्बो चलते -चलते खड़ी हो गयी और शिल्पा से बोली - ये क्या कहकर गया ? हमें क्या आवश्यकता पड़ी है? जो इसके नाम की गुत्थी सुलझायें। चल ,हम अपनी क्लास में जाते हैं।
फिर एकाएक बोली -हवा का झोंका ,यानि पवन। ले मैंने इसके नाम का पता कर लिया इसका नाम' पवन' है।
शिल्पा बोली -अभी तो तू कह रही थी ,कि हमें क्या आवश्यकता पड़ी है और फिर स्वयं ही ,उसका नाम ख़ोज रही है।
ख़ोज नहीं रही ,खोज़ लिया है ,'पवन '
क्यों ?मारुती भी तो हो सकता है ,वो भी तो हवा से संबंधित ही है।
नहीं -नहीं ,इस शब्द से तो हनुमान जी का स्मरण होता है ,''मारुती नंदन ''मतलब पवन देव के पुत्र ,तब भी ''पवन 'ही आता है। तू हवा के पर्यायवाची ,स्मरण कर।
क्या मुसीबत है ?अब उसका नाम जानने के लिए ,हवा के पर्यायवाची स्मरण करने पड़ेंगे। वैसे एक बात बता ,हम उसका नाम जानने के लिए इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं ?
हां यार.... वो तो हमें अपने नाम की पहेली में ही उलझा गया। अब हम उसके विषय में कुछ नहीं सोचेंगे या ज़रूरत भी पड़ी तो किसी से भी पूछ लेंगे , कहकर दोनों अपनी क्लास में गयीं।
मन है ,कि अभी भी वहीं अटका हुआ है ,तभी उसे स्मरण हुआ ,बयार तभी स्वयं ही मना कर दिया बयार कैसे हो सकता है ?आज तक किसी का भी नाम नहीं सुना। तभी शब्बो को स्मरण हुआ -'समीर 'यानि हवा का झोंका। सामने अध्यापिका पढ़ा रही थी किन्तु शब्बो की सुईं तो समीर पर आकर अटक गयी। वो कहीं भूल न जाये इससे पहले ही वो ,शिल्पा को बताकर वाहवाही लूटना चाहती थी।
उसकी बेचैनी ,अध्यापिका ने पकड़ ली और बोलीं -कुछ लोग ,कक्षा में रहकर भी ,अपने स्थान पर नहीं होते ,पता नहीं कहाँ खोये रहते हैं ?बाद में कहेंगे -कुछ समझ नहीं आया। उसकी तरफ देखते ,शिल्पा ने अध्यापिका को देख लिया और धीरे से उसके हाथ पर पैन मारा।
शब्बो का ध्यान भंग हुआ ,उसने अध्यापिका की तरफ देखा ,उन्होंने पूछा -कोई परेशानी है।
जी नहीं शब्बो हकलाते हुए बोली। उसे देखकर कुछ बच्चे ,मुस्कुरा रहे थे।
अध्यापिका के जाते ही ,शब्बो एकदम बोली - समीर.......
शिल्पा बोली -तू अभी तक उसके नाम में अटकी हुई है और मुझसे कह रही थी कि हम उसके विषय में सोचेंगे ही नहीं। तुझे अध्यापिका ने भी ,ठीक ही डांटा ,तेरा तो पढ़ाई में ध्यान ही नहीं था।
शब्बो बोली -पहले तू ये बता ,समीर सही है या नहीं।
पवन भी तो हो सकता है शिल्पा बोली। अब ये कैसे पता लगाएं ?कौन सा नाम सही है ?