बदली का चाँद में ,अभी तक आपने पढ़ा -समीर अपनी माँ से ,कहता है -उन्हें अब अपने बीमार पति को समय देना चाहिए। इस बात का ,उसकी सौतेली माँ' साधना 'को बुरा लगता है और वो फोन पर समीर की शिकायत करते हुए बताती है- कि कैसे आज समीर ,मुझे अपने पिता की देखभाल करने के लिए कह रहा था।
साधना की माँ ने उसे नहीं समझाया कि वो ''समीर का पिता ''ही नहीं तुम्हारा पति भी है बल्कि अपनी बेटी की बातों को बढ़ावा देते हुए ,कहती हैं -हम तो उसी दिन को कोसते हैं ,जब हमने तुम्हारा हाथ ,एक बच्चे के पिता के हाथ में दिया था , उस समय हमारी मजबूरी थी ,इन शब्दों से साधना को थोड़ी राहत मिलती है और वो उन बाप बेटे को अपना दुश्मन समझने लगती है।
अब समीर भी बड़ा हो गया है और भला -बुरा सब समझने लगा है ,वो जानता और समझता भी है -माँ के घरवाले उसकी कमाई के पीछे ,उनसे ऐसी चिकनी -चुपड़ी बातें करते हैं किन्तु साधना है कि अपने घरवालों का स्वार्थ ,नहीं समझ पा रही वरन उसकी माँ तो उनके बीच में गलतफ़हमी का बीज़ बो रही है। इस बीच एक लड़की उनके घर में प्रवेश करती है और वो समीर के पापा की देखभाल के लिए आती है। साधना को ये तो पता चल जाता है कि ये हमारे कॉलिज की लड़की है किन्तु है कौन ?अब आगे -
समीर बाहर से घर आता है , अपने पापा के पास जाता है और उनसे उनकी तबियत पूछता है। अब वो पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं।
तभी सा
धना भी कमरे में आती है और इशारे से ,अपने पति से उस लड़की के विषय में ,जानने के लिए कहती है। वो साधना का इशारा समझ तो जाते हैं किन्तु अभी वो इस समय बात को उठाना नहीं चाहते। वो नहीं चाहते कि समीर की किसी भी बात का ग़लत अर्थ निकले या फिर माँ -बेटे में बहसबाज़ी के लिए कोई नया मुद्दा खड़ा हो जाये।
साधना को जब लगता है कि ये उस लड़की के विषय में ,कुछ नहीं पूछ रहे ,तब स्वयं ही ,अपने पति का सहारा लेकर बात की शुरुआत करती है और कहती है -आप अब इससे पूछते क्यों नहीं, कि वो लड़की कौन है ?
कौन लड़की ? समीर ने पूछा।
वही जो इनके लिए इतने सारे फ़ल लाई और इनसे हंस -हंसकर बतला रही थी।
अरे ,कुछ नहीं ,वो एक बार हॉस्पिटल में मिली थी ,बड़ी ही प्यारी बच्ची है। लगता है ,तेरे ही कॉलिज में पढ़ती है। वो बातों को टालने के उद्देश्य से बोले। वो पहले अपने बेटे से अकेले में बात करना चाहते थे किन्तु उनकी पत्नी तो जैसे ,सभी बातों का समाधान अभी चाहती थी।
लगता है नहीं ,वहीं पढ़ती है ,देखा नहीं ,कैसे मुझे पहचान गयी ?जबकि मुझे तो स्मरण भी नहीं कि मैं उससे मिली हूँ ,वो तो उसने ,वो वाक्या स्मरण कराया तब मुझे ध्यान आया।
कौन सा वाक्या ?
जब बच्चे उसकी 'रैंगिंग 'कर रहे थे और मैंने उसके गाने की प्रशंसा की थी।
अब तो समीर को स्मरण हुआ ,हो न हो ,ये लड़की अवश्य ही शब्बो है। उसका स्मरण होते ही बोला -क्या यहाँ शबनम आई थी ?
उसने अपना नाम तो नहीं बताया ,हाँ ,इन्हें बताया हो तो ,मुझे नहीं मालूम !
नहीं मुझे भी नहीं मालूम ,कभी आवश्यकता ही नहीं पड़ी।
अच्छा ,ये सब छोड़िये !वो यहाँ कैसे और क्यों आई ?वो मन ही मन बुदबुदाया -ये लड़की भी न मेरी ज़िंदगी में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रही है।
अपने बेटे का बुदबुदाना और उसके चेहरे के भाव देखकर ,उसके पापा बोले -ऐसा उसने किया ही क्या है ?मेरा हालचाल जानने चली आती है और क्या ?तुम्हें अब ये भी बर्दाश्त नहीं हो रहा कि कोई मुझे भी पसंद करता है मेरी परवाह करता है कहकर बच्चों की तरह मुँह फुलाकर दूसरी तरफ अपना चेहरा कर लिया।
समीर उनकी हरकतों को देखकर ,हँसा और बोला -बड़ी हमदर्दी हो रही है अपनी इस नई दोस्त से।
समीर के पापा ने भी मौका हाथ से जाने नहीं दिया और बोले -तुम्हारी दोस्त नहीं है ,कहकर उसके चेहरे के भाव पढ़ने का प्रयत्न करने लगे।
साधना को भी समीर के व्यवहार से कुछ नया नहीं लगा और मन ही मन संतुष्ट होकर ,बाहर चली गयीं।
तब उसके पापा समीर से बोले -तुम्हारे मन में उसके प्रति कोई भाव न हो ,क्या मालूम वो तुम्हें पसंद करती हो और तुमसे कहते न बना हो।
समीर मन ही मन सोच रहा था ,पसंद तो मुझे भी है किन्तु आपकी परेशानियाँ ,माँ का व्यवहार मुझे ये सब सोचने नहीं देता। अबकि बार मिली तो ,अब उससे रुखा व्यवहार नहीं करूंगा उसने मन ही मन निश्चय किया।
अगले दिन समीर ,जब कॉलिज गया तो दोनों सहेलियां उसे आती दिखीं ,तब शिल्पा को देखकर बोला -कोई लड़की है ,जो मेरे पापा का ख्याल रखती है ,उनसे मिलने जाती है ,उनके लिए फ़ल भी लाती है कहीं वो तुम ही तो नहीं।
शिल्पा भी इस विषय में ,कुछ नहीं जानती थी ,बोली -अच्छा....... ऐसी बंदी कौन है ?
वही तो मैं भी पूछ रहा हूँ कि वो लड़की कहीं तुम ही तो नहीं।
नहीं...... मैं भला क्यों जाने लगी ?मुझे तो तुम्हारे घर का मालूम भी नहीं। तब वो एकदम हँसी के मूड में आकर बोली -वो छुपी रुस्तम तो ,कोई तुम्हें चाहने वाली ही होगी ,तुमसे पहले तुम्हारे घरवालों को अपने व्यवहार से प्रभावित करना चाहती है।
शब्बो वहीं खड़ी उनकी बातें सुन रही थी किन्तु बोली कुछ नहीं।उसे तो जैसे ''सांप सूंघ गया हो ''चोरी करते पकड़ी गयी हो।
तब शिल्पा बोली -ऐ...... शब्बो !क्या तुम ऐसी लड़की को जानती हो ?
शब्बो मुँह बिचकाते हुए बोली - मुझे क्या मालूम ?मैं तो तुम्हारे संग ही रहती हूँ।
अच्छा...... समीर भी अनजान बनते हुए बोला ,वो शायद श्रुति होगी ,मैं उससे बात कर लेता हूँ। पापा उसे बहुत पसंद करते हैं ,पापा कह रहे थे -उससे दोस्ती कर लो !अभी चलता हूँ कहकर वो आगे बढ़ता है।
तभी शब्बो की आवाज़ उसे सुनाई पड़ती है ,इतने परेशान क्यों हो ?जब वो लड़की तुम्हारे घर आये तभी मिल लेना ,घर में रहोगे तो मिलोगे।
समीर वापस लौटकर बोला -तुम्हें कैसे जानकारी मिली कि मैं अपने घर में रहता हूँ कि नहीं।
शब्बो झेंपते हुए बोली -वो तो मैंने ,ऐसे ही अंदाजा लगाया ,यदि तुम घर में होते तो उससे मिल लिए होते।
यही बात है ,तो अबकि बार उसे पकड़कर रहूंगा समीर ने कुछ नई अदा में कहा।
दोस्तों !लिखने में मजा तभी आता है ,जब आप लोगों का सहयोग मिलता रहे ,अब मैंने ये बहुत दिनों पश्चात आरंभ किया है उम्मीद करती हूँ आप लोगों का सहयोग मिलता रहेगा ,अब तो आप मुझे फॉलो भी कीजिये और अपनी मूल्यवान समीक्षा भी दीजिये धन्यवाद !