समीर के पापा ,अपनी होशियारी से पता लगा लेते हैं कि ''अहमद अंसारी '' कौन है ,और क्या कार्य करता है ?बाकि का' कार्य इंस्पेक्टर करतार सिंह 'करता है और पता चल जाता है कि किसके कहने पर समीर और उसके दोस्त का अपहरण हुआ था। जिसको सुनकर सभी चौंक जाते हैं। करतार फोन पर शब्बो को सम्पूर्ण बातों से अवगत कराता है। इधर समीर भी परेशान हो जाता है कि इतनी सीधी दिखने वाली लड़की ऐसा कार्य भी करा सकती है ,या वो सीधी थी ही ,नहीं। हम उसे सीधी समझने की गलती कर बैठे, किन्तु उसे हमें गायब कराने का ,क्या उद्देश्य हो सकता है ?और आज उसी से मैं विवाह करके उसका पति बना बैठा हूँ। कहीं ये भी तो उसके किसी षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं ,जैसे उसने विवाह किया। अब तो कुछ भी हो सकता है ,उसका रिश्तों से विश्वास सा उठता नजर आता है। ये हमारे साथ कितना बड़ा खेल खेल गयी? और हम समझ भी नहीं पाए।
ये जितनी मेरी दोषी है उतनी ही ,शब्बो की भी दोषी है। उससे मिलकर ही ,कुछ कहना या करना होगा। अभी वो...... ये सब सोच ही रहा था ,तभी उसे किसी के बाहर से आने की आहट सुनाई दी। जैसे ही वो देखने जाता है तभी उसे बाहर से आती शब्बो दिखलाई पड़ जाती है और उसे देखकर वो जैसे राहत की साँस लेता है ,किन्तु शब्बो,किसी से भी न मिलकर , सीधे शिल्पा के पास ऊपर जाती है। शिल्पा को इस विषय में कुछ भी मालूम नहीं था। वो तो आराम से तैयार हो रही थी। शब्बो सीधे उसके कमरे में जाकर कहती है -हो गयी ,तैयार ! आज किसका अपहरण करवाना है ?
शिल्पा उसके इस तरह के सीधे आक्रमण से कुछ समझी नहीं ,कहती है -तू ये सब क्या कह रही है ?
देख !कैसी सीधी बन रही है ?जैसे कुछ जानती ही नहीं क्योकि शब्बो को आज उस पर बहुत ही क्रोध आ रहा था। अब तक अपनी ज़िदगी को बर्बाद के लिए बुआ को ही ज़िम्मेदार मान रही थी किन्तु उसे आज ही पता चला -'उसकी ज़िंदगी बर्बाद करने में ,उसकी अपनी सहेली का कम योगदान नहीं था।' बोली -मुझे तू अब ये बता !तूने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ?
कुछ बताएगी भी ,या यूँ ही लड़ने के लिए यहाँ आ गयी। मैं बुलाती भी नहीं और तू तो मेरे घर के ही चक्कर लगाए जा रही है। मुझे कोई शौक़ नहीं है तेरे घर आने का ,ये घर तेरा ही नहीं ,मेरे दोस्त समीर का भी है। समझी ! उसी दोस्त का जिसकी तू पत्नी बनी बैठी है ,जिसका तूने अपहरण करवाया।
उसकी बात सुनकर शिल्पा चीख़ी -कुछ भी मत बोल !
मैं कुछ भी नहीं बोल रह हूँ ,सही और सच कह रही हूँ।
तू मेरी ही नहीं ,उस समीर की और उसके परिवार की भी गुनहगार है और आज उसी पर हक़ जता रही है।
उसकी बातों से शिल्पा को भी क्रोध आ गया और बोली -तू कहना क्या चाहती है ?साफ -साफ क्यों नहीं कहती ?
तू अब भी नहीं समझी ,''अहमद अंसारी ''को तो तू जानती ही होगी। तब तक समीर भी उसी कमरे में आ चुका था।''अहमद अंसारी ''का नाम सुनते ही ,उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ने लगीं।
क्यों कुछ स्मरण हुआ ?आज वो थाने में बैठा ,तेरे नाम की माला जप रहा है। जब उसकी धुलाई हुई तो उसने सब उगल दिया। वो तो इंस्पेक्टर मुझे जानता है वरना अब तक तेरे हाथ में भी हथकड़ी होती।
पुलिस का नाम सुनते ही ,शिल्पा के चेहरे की हवाइयाँ उड़ने लगीं। उसने समीर की तरफ देखा ,वो भी जैसे जानना चाहता हो- कि उसने ऐसा क्यों किया ?बात अपने पक्ष में बनते न देख, उसने जैसे हथियार ड़ाल दिए हों ,और रोने लगी , रोते हुए बोली - ये सब तेरे कारण हुआ।
हतप्रभ सी शब्बो ने समीर की तरफ और समीर ने शब्बो की तरफ देखा ,कि दोनों एक -दूसरे से पूछ रहे हों कि ये कहना क्या चाहती है ?साफ -साफ बता मैंने क्या किया ?शब्बो ने कुछ भी समझते हुए उससे पूछा।
तेरे साथ ही ,मैं भी उसी कॉलिज में आई थी किन्तु तू तो सुंदर है ,तुझ पर तो लड़के मरते ही थे किन्तु मैं भी तो कम नहीं थी। मुझे समीर पहली ही नजर में भा गया था। समीर और शब्बो ने एक -दूसरे की तरफ देखा।
जब तुझे समीर अच्छा लगने लगा था तो तूने मुझे बताया क्यों नहीं ?
तूने ही क्या मुझे बताया था ? तू छुप- छुपकर उससे मिलने जाती उसके घर जाती ,तू क्या समझती है ?मैं जानती नहीं थी, किन्तु मैं भी अनजान ही बनी रही। मन ही मन घुटती रही। मैं तो लगभग समझो ,हताश ही हो चुकी थी, तब बुआ ने अपने भतीजे का रिश्ता तेरे लिए बताया तब मैंने राहत की साँस ली। मन ही मन मैं भी चाहती थी- कि तेरा विवाह बलविंदर से हो जाये। तभी समीर ने मेरे अरमानों पर फिर से पानी फेर दिया। जब तू उससे आख़िरी बार कॉलिज के पीछे वाले बग़ीचे में मिली थी ,तब भी मैं वहीं आस -पास थी किन्तु अब मैंने रोने का नहीं ,वरन कुछ करने का फैसला लिया। तब मैंने ये योजना बनाई। ''अहमद अंसारी ''को कोई जानता भी नहीं ,इन दोनों को हमारे ही गोदाम में बंद किया गया था।
तभी समीर के मन की भड़ास भी निकली ,-क्या मैंने तुम्हारे साथ कुछ ग़लत किया था ?और मुझे खाने में ही तुम लोगों ने ,कुछ दिया होगा जिसके कारण मुझे होश ही नहीं रहा। ये सब तुम्हारे और तुम्हारे परिवार की चाल थी। नहीं ,मेरे पापा को तो कुछ भी नहीं पता। हाँ, मम्मी! से मैंने अवश्य कहा था कि ये दवाई वो समीर के खाने में मिला दें।
तू मेरी इतनी अच्छी सहेली होकर ,तूने मुझे इतना बड़ा धोखा दिया। अरे समीर तुझे पसंद था या समीर को तू पसंद थी तो मैं तुम दोनों के बीच से हट जाती।ये षड्यंत्र तो न करती ,अब मैं किसी पर भी विश्वास नहीं कर पाऊँगी। जब मुझे इंस्पेक्टर ने बताया था -कि इसमें बुआ और भतीजे का कोई हाथ नहीं ,तब मैंने बहुत सोचा -और मुझे तब तुम पर शक़ गया था किन्तु मुझे लगा, शायद मैं कुछ ग़लत सोच रही हूँ मेरी दोस्त ऐसी नहीं हो सकती और जब मुझे पता चला- किन परिस्थितियों में तुम लोगो का विवाह हुआ ? तब भी मेरा शक बढ़ा था और आज तो इंस्पेक्टर साहब ने इस बात की पुष्टि भी कर दी।
मेरा तो इससे कोई वायदा ही नहीं था ,इसने तुम्हे ही नहीं मुझे भी धोखा दिया ,मुझ पर अपने छेड़ने का ,इस पर जबरदस्ती करने का आरोप लगाया और मैंने इसी हीनभावना के चलते ,इससे विवाह किया। आज तक मैं इसी बात से परेशान था कि मैंने कब और कैसे इसके साथ संबंध बनाया ?समीर ने शिल्पा को घृणा की दृष्टि से देखा।