अभी तक आपने पढ़ा- शब्बो 'पग फेरे 'की रस्म के लिए ,अपने घर आती है और अपने कॉलिज जाना चाहती है किन्तु बुआ उसे कॉलिज जाने से मना कर देती है ,ताकि वो समीर से न मिल सके और उसके मम्मी -पापा को भी ,उसकी 'सुहागरात 'की हरकतें बताती है ताकि इनका विश्वास अपनी बेटी पर से उठ जाये। हुआ भी ,कुछ ऐसा ही ,पम्मी ने तो चेतना की बात सुनकर अपना माथा ही पीट लिया ,अब आगे -
कई दिनों पश्चात ,आज समीर कॉलिज आया है ,माँ के समझाने पर ,उसके मन का दुःख थोड़ा कम तो हुआ किन्तु चेहरे पर ,अब भी दुःख के बादल थे ,कॉलिज आते ही, सभी बातें फिर से स्मरण हो आईं शायद उसके हाथों में प्रेम की रेखा है ही नहीं। पहले घर -परिवार की परेशानियों में उलझा रहा, जब थोड़ा एहसास हुआ भी ,तब वो सदा के लिए दूर चली गयी। वो उदास बैठा ,उन लम्हों को स्मरण कर रहा था ,तभी शिल्पा ने उसे इस तरह बैठे देख लिया। वो उसके समीप ही चली गयी और बोली -आज कई दिनों बाद दिखाई दिए हो ,आज ही आये हो।
समीर ने ,नजरें उठाकर ,उदास नजरों से उसे देखा।
शिल्पा उसका चेहरा देखकर ,थोड़ा परेशान हुई और बोली -क्या हुआ ?ये मजनूओं जैसी शक़्ल क्यों बना रखी है ?क्या कुछ हुआ है ?शिल्पा को शब्बो और समीर के प्रेम के विषय में ,कोई जानकारी नहीं थी।
समीर बोला -कुछ नहीं ,हमारे साथ जो वो खेतों वाला हादसा हुआ ,उसी से परेशान हूँ ,ये सब हमारे साथ किसने किया होगा ?
जो हो गया ,सो हो गया ,इसमें तुम्हारी तो कोई गलती नहीं थी ,फिर क्यों इतना परेशान होते हो ?कहते हुए वो उसके समीप आ बैठी और उसके बालों को सहलाने लगी ,और बोली -तुम्हें एक बात बताऊँ ,सुनकर प्रसन्न हो जाओगे।
नजरें उठाकर ,समीर ने उसकी तरफ ,उसकी तरफ देखा।
शिल्पा अपनी ही धुन में बोली -कल शब्बो ,अपनी ससुराल से ''पग फेरे ''की रस्म के लिए आई थी ,आज शायद कॉलिज आ जाये।
पहले तो ,समीर मन ही मन प्रसन्न हुआ ,तभी उसे स्मरण हुआ -यदि शब्बो ने उससे पूछा ,वो उसे बचाने अथवा सबूत लेकर क्यों नहीं पहुँचा ,तब क्या जबाब देगा ?वो फिर से शांत हो गया किन्तु उसके मन में बहुत हलचल चल रही थी।
एकाएक वो उठा और चल दिया ,पीछे से शब्बो ने पुकारकर पूछा -किधर जा रहे हो ?क्या शब्बो से मिलना नहीं चाहते ?
अभी मुझे कुछ काम याद आ गया ,जब वो आये तब मुझे ,बता देना ,मैं पुस्तकालय में मिल जाउंगा। उससे कहकर तो वो आ गया ,किन्तु शायद ,अपने को शब्बो का सामना करने के लिए तैयार करने गया था। उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ,कि क्या करे ?बेचैन सा इधर -उधर घूमता रहा ,फिर पुस्तकालय की तरफ उसके कदम बढ़ गए। सोच रहा था -मैं यहाँ आया ही क्यों हूँ ?उसे किसी भी किताब को पढ़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी किन्तु फिर भी उसने एक किताब निकाली और उसे खोलकर बैठ गया ,उसके पन्ने पलटता जा रहा था। कुछ शब्द पढ़े भी किन्तु उसकी सोच उसके मानस पटल को न छू सके। शब्दों को ऐसे ही पढ़ता जा रहा है ,क्यों पढ़ रहा है ?उसे स्वयं ही नहीं मालूम। झूठा पढ़ने का नाटक करते ,जब वो स्वयं ही परेशान हो गया ,तब उसने वो पुस्तक बंद करके रख दी और बाहर आ गया।
शिल्पा ,शब्बो की प्रतीक्षा करती रही किन्तु वो नहीं आई ,उसका भी अभी एक लेक्चर बाकी था ,उसके बाद तो वो स्वयं ही उससे जाकर मिलेगी। कॉलिज के बाद , वो शब्बो के घर गयी और जाते ही ,पम्मी से पूछा -वो क्यों नहीं आई ?
पम्मी तो, पहले ही भरी बैठी थी ,चेतना ने जो उसे समझाया था ,बोली -अब उसका ब्याह हो गया ,उसे कौन सा नौकरी करनी है ?अब अपनी घर गृहस्थी संभालेगी।
पर चाची जी ,अपनी ये पढ़ाई तो पूरी कर लेती ,उसका पूरा साल बर्बाद हो जायेगा।
अब तू उसका दिमाग़ खराब न कर ,तुझे उससे मिलना है तो मिल ले, शाम को ही वो अपनी ससुराल चली जाएगी ,और पढ़ाई की उससे कोई बात न करना ,साथ ही पम्मी ने ,उसे हिदायत भी दे डाली।
जी...... कहकर शिल्पा ,शब्बो के कमरे की तरफ बढ़ चली। अंदर जाकर देखा तो -शब्बो बिना शृंगार किये ,ऐसे ही औंधी बिस्तर पर पड़ी थी। उसके गाल पर ,सूखे आंसूं भी ,उसकी चुगली कर रहे थे ,शायद वो देर तक रोती रही।जाते ही बोली -क्या बात है ?मैडम जी !ब्याह होते ही ,तू तो अपने दोस्तों को भी भूल गयी। आज कॉलिज में मिलने के लिए बोला था और आई ही नहीं।
क्या करना है ?कॉलिज आकर....... वो उदास स्वर में बोली।तभी जैसे ,कुछ स्मरण करते हुए बोली -क्या तुझे समीर मिला ?
हाँ..... किन्तु आज कई दिनों में आया ,तब भी उदास था।
क्यों...... ,उसे क्या हुआ ?
होना क्या था ,इधर तेरा ब्याह हो रहा था ,उधर उसका किसी ने अपहरण कर लिया।
क्या?????
हाँ ,करन और समीर दोनों ही दोस्त साथ थे ,किसी ने उन्हें ,किसी काम से बुलाया ,दोनों का अपहरण कर लिया। इधर तू विदा हुई ,उधर दोनों बहुत बुरी हालत में ,खेतों में पड़े मिले।पुलिस ने भी पूछताछ की किन्तु उन्हें तो पता ही नहीं ,किसने अपहरण करा ,किसने कराया और क्यों ?
उसकी बातें सुनकर शब्बो ,अचम्भित हुई जा रही थी ,उसके साथ इतना सब हो गया और मुझे पता भी नहीं ,इस बात को तो वो समझ गयी कि किसी ने उन्हें ,सबूत देने के लिए ही बुलाया होगा किन्तु ये लोग कैसे फंसे ?ये समझ नहीं आया। उसका दिमाग़ ,अपना दुःख भूलकर तीव्र गति से दौड़ रहा था। तभी उसे उस रात्रि वाली, बात याद आई ,बुआ जब किसी से कह रही थी -उन्हें छोड़ दिया ,किसी को भी इस बात की खबर न हो ,कहीं ये बुआ का ही तो किया कराया कांड तो नहीं ,उसने टोनी को भी मेरे पीछे लगाया था। शायद तभी से समीर का पीछा किया हो। किन्तु उनके विरुद्ध कोई सबूत भी तो नहीं है। हमारे ही सामने सभी बातें हो रहीं है ,हम देख और समझ भी रहे हैं किन्तु उनके विरुद्ध कोई सबूत ही तो नहीं मिल रहे ,ताकि इस बुआ का ,भंडाफोड़ कर सकें। शिल्पा को भी तो ,नहीं बता सकती ,वो भी तो इसी गांव में रहती है। कहीं इसके ,मुँह से कुछ निकल गया तो.....