बदली का चाँद में ,अभी तक आपने पढ़ा -शब्बो का रिश्ता बलविंदर से हो जाता है ,किन्तु समीर को शक़ है -उसने बलविंदर को एक लड़की के साथ देखा था। इसी बात का पता लगाने के लिए ,वो बलविंदर के गांव चला जाता है ,वहां जाकर उसे और उसके दोस्त करन को पता चलता है -बलविंदर तो पहले से ही शादीशुदा है ,उसकी वोटी का नाम ''निहारिका'' है ,दोनों ने ,घरवालों की बिना इच्छा के विवाह कर लिया था। अब आगे -
समीर ,अगले दिन कॉलिज आता है ,और सबसे पहले शब्बो को ही ढूंढ़ता है किन्तु अभी तक शब्बो नहीं आई ,वो बेचैनी से इधर -उधर घूमता है। कभी कॉलिज के गेट पर खड़ा होता है ,फिर वापस आ जाता है ,उसने करन को भी ,इसी कार्य में लगा दिया। कल की रात्रि भी, न जाने उसने कैसे बिताई ?एक -एक पल उसे बरसों के बराबर लग रहा था। उसके पापा ने भी ,उसकी बेचैनी का कारण जानना चाहा किन्तु उसने पापा को परेशान करना ठीक नहीं समझा ,वो स्वयं ही ,सारी गुत्थी सुलझा लेना चाहता था। जैसे ही ,उसे शब्बो गेट पर दिखी ,वो उसकी ओर दौड़ा और उसका हाथ पकड़कर ,एक ओर खींचता ले गया।
शिल्पा और शब्बो दोनों ही ,उसके इस तरह के व्यवहार से हैरान थीं। समीर दोनों को एकान्त स्थान पर ले गया। तब जाकर ,उसने शब्बो का हाथ छोड़ा।
शब्बो बोली -ये क्या बदतमीज़ी है ?इस तरह सबके सामने, हाथ पकड़कर खींचे चले जा रहे हो। तुम क्यों ,इतने परेशान हो ?
जो बात मुझे ,पता चली है ,वो जब तुम्हें पता चलेगी, तो तुम भी परेशान जाओगी।
ऐसी क्या बात है ?
अभी पहले तुम आराम से बैठ जाओ ?और ध्यान से सुनो -कल मैं और करन तुम्हारी होने वाली ससुराल गए।
क्या..... तुम लोग वहां ,क्या करने गए थे ?
जब शिल्पा ने मुझे ,तुम्हारे होने वाले दूल्हे की फोटो दिखाई थी ,तब मैं एकाएक परेशान हो उठा था।
हाँ...... वो तो मैंने भी महसूस किया था किन्तु तुमने कुछ नहीं बताया था।
हाँ.... क्योंकि मैं जब तक पूरी तरह ,अपने आप संतुष्ट न हो जाऊँ ,तब तक मैं ,कुछ भी कहने और करने की स्थिति में नहीं था।
अब क्या हुआ ?अब तो कह सकते हो।
हाँ ,वही तो बताने जा रहा हूँ ,हम लोग उसके गांव गए।
गांव नहीं है ,वो....
हाँ ,शहर गया ,किन्तु इस तरह बीच में मत टोको ,मैं ठीक से नहीं बता पाउँगा।
ठीक है ,अब बताओ !
हाँ ,तो हम दोनों उसके शहर गए ,पहले तो हमें किसी से कोई जानकारी नहीं मिली ,बहुत धक्के खाने पर ,उसका ही कोई ,जानने वाला मिल गया। उसके विषय में ,पूछने पर पहले तो उसे हम पर शक हुआ किन्तु जब हमने उसे बताया कि हम उसकी बुआ के गांव से आये हैं ,हमारी दोस्ती उससे वहीं हुई थी तभी उसने उसके विषय में बताया -उसने तो वहां एक विवाह पहले से ही किया हुआ है।
क्या..... ?दोनों ही बुरी तरह से चौंक गयीं।
तभी शब्बो बोली -तुम लोगों ने एक बड़ी गलती कर दी ,बुआ के गांव का बताकर..... किसी को भी इस बात की जानकारी हुई तो ख़ोजबीन आरम्भ हो जाएगी कि हमारे गांव से ,कौन ? दो लड़के वहां जाकर पूछताछ कर रहे थे। क्या उस लड़के ने सही जानकारी दी ?
हाँ ,वो वहां किसी 'निहारिका 'नाम की लड़की से प्यार करता था ,उससे ही ''लव मैरिज ''की है।
ऐसा कैसे हो सकता है ?इसका अर्थ है ,उसकी इस हरकत के विषय में उसकी बुआ को नहीं मालूम होगा ,वरना हमारे यहाँ उसका रिश्ता लेकर नहीं आती ,वो चाहे कैसी भी हो ,किन्तु है तो ,हमारी पड़ोसन.... इतनी बड़ी धोखाधड़ी हमारे साथ नहीं करेगी।तुम बताओ !तुम्हें उस पर कैसे शक़ हुआ ?
उस दिन जब शिल्पा ,उसका फोटो दिखा रही थी ,तब उसका चेहरा मुझे कुछ जाना -पहचाना से लगा। किन्तु स्मरण नहीं हो रहा था कि उसको कब और कहाँ देखा ?बहुत सोचने पर ,स्मरण हुआ ,बहुत पहले एक बार हम लोग ,अपने स्कूल की तरफ से घूमने गए थे। तब उसके साथ एक लड़की भी थी ,ये लोग भी वहीं खड़े होकर ,बेहूदा हरकतें कर रहे थे। उन्हें इतना भी एहसास नहीं था कि अध्यापिका के साथ वहां और भी बच्चे खड़े थे। जब उनकी हरकतें ,हद से ज्यादा बढ़ गयीं तब हमारी अध्यापिका ने उन्हें डांटा था। हो सकता है ,ये लड़की ,अब उसकी पत्नी हो।
इतना बड़ा धोखा.... ! मुझे विश्वास नहीं हो रहा ,जिसे मैं बचपन में अनजाने में ,दिल दे बैठी ,वो आज के समय में ,इतना बड़ा धोखेबाज़ है ,मुझे लगता है -हो न हो इसके मम्मी -पापा भी उससे मिले हुए हैं ,तब इन लोगों का ,मुझसे उसका विवाह कराने के पीछे ,क्या स्वार्थ हो सकता है ?क्या मैं अपने मम्मी -पापा को उसके विषय बता दूँ ?
नहीं..... अभी नहीं, हमारे पास उसके विरुद्ध कोई सबूत भी तो नहीं है ,वे नहीं माने तो... या फिर सबूत माँगा तो.... ऐसे कोई भी मनगढ़ंत कहानी सुनाकर ,रिश्ता तोड़ने की बात कहे तो ,हम भी नहीं मानेंगे। उसके विरुद्ध कोई ठोस सबूत लाना होगा।
इधर ये लोग ,कॉलिज के एकांत में ,मंत्रणा कर रहे थे ,उधर टोनी भी शब्बो की तलाश में घूम रहा था। कि कहीं कोई सबूत मिल जाये किन्तु जब ये लोग ,बाहर आए ,तब टोनी ने उन्हें देख लिया किन्तु उनकी हरकतों से उसे ,कुछ भी गलत नहीं लगा।
घर जाकर टोनी ,ने अपनी मम्मीजी को सम्पूर्ण बातें विस्तार से बताईं ,सुनकर उन्होंने अपना माथा पीट लिया और बोलीं -तूने ये नहीं सोचा ,कि कालिज तो इधर था जहाँ सब पढ़ रहे थे किन्तु ये लोग ,वहां एकान्त में क्या कर रहे थे ?एकांत में कौन मिलता है.... ?कहकर उन्होंने अपनी भवें हिलाई या ते प्रेमी या फेर कोई विशेष बात करनी हो। अच्छा..... इक बात मेन्नु दस ,वो मुंडा कोण था ?जो उनके साथ था।हो न हो ,इसी के संग कोई घपला हो।
ओये..... मम्मीजी !ये तो मैंने सोचा... ही नहीं था।
ते अब सोच... और उस मुंडे का पता लगा।