अभी तक आपने पढ़ा -शब्बो को समीर अपने दिल की बात तो कहता है, किन्तु तब तक देर हो चुकी होती है क्योंकि शब्बो का रिश्ता बलविंदर के संग हो जाता है। इस रिश्ते से शब्बो भी प्रसन्न नहीं थी किन्तु किसी से कुछ न कह सकी किन्तु उसके व्यवहार से ,टोनी की मम्मी ,बलविंदर की बुआ चेतना को 'शब्बो 'पर शक़ हो जाता है और वो अपने बेटे टोनी को शब्बो का पता लगाने के लिए उसके पीछे लगा देती है। उधर समीर भी कुछ बेचैन है और अपनी बेचैनी किसी से नहीं बताता। अब आगे -
टोनी आज शब्बो के कॉलिज में घूम रहा है ,उसे पता लगाना है -कि शब्बो किसी से मिलती तो नहीं। कुछ समय पश्चात, शिल्पा उससे टकरा जाती है , उसे इस तरह घूमते देखकर , पूछती है -तू यहाँ क्या कर रहा है ?तूने तो पढ़ाई छोड़ दी।
चुपकर !मैं अपने दोस्त के किसी काम से आया हूँ। तू क्या समझती है ?जो पढ़ता है ,वही यहाँ आ सकता है ,उसने शिल्पा को डाँटते हुए कहा। तेरे साथ तो शब्बो आती है ,क्या आज वो नहीं आई ?
नहीं ,पता नहीं !आज क्यों नहीं आई ?चल मेरा भी काम लगभग हो ही गया ,तू घर जा रहा हो, तो मुझे भी घर पर छोड़ देना।
सुरेंद्र ने मन ही मन सोचा -आज शब्बो तो ,आई नहीं ,अब मेरा यहां क्या काम ?चल तुझे छोड़ देता हूँ।
मम्मीजी ,एक बात कहूँ..... शब्बो ने पूछा।
हाँ ,कहो !
जिस दिन बलविंदर ने ,मुझे अंगूठी पहनाई थी ,तब उसने मेरा हाथ पकड़ने का प्रयत्न किया और मैंने अपना हाथ छुड़ा लिया ,तब वो कहता है -कोई नहीं ,आएगी तो मेरे घर ही ''इस तरह मुझे धमकी दे रहा था। शब्बो अपनी मम्मीजी से कहती है।
पम्मी ने मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा ,और बोली -अब तू उसकी होने वाली वोटी है ,तेरा हाथ नहीं पकड़ेगा ,तो फेर किसका हाथ पकड़ेगा ? तूने किसी अनजान की तरह ,उसे कोई भाव नहीं दिया ,उसे भी तो अपनी बेइज्जती लग जानी है ,इसीलिए कह दिया होगा। वो तुझसे ब्याह करन वास्ते आया है ,न कि बदला लेने। इन बातों पर ध्यान न दे ,तू बस ख़ुश रहा कर ,सब ठीक हो जाना है।
समीर अपने कमरे में ,टहल रहा था ,हो न हो ,इस लड़के को तो मैंने कहीं तो...... देखा है किन्तु कहाँ ? वो स्मरण नहीं हो रहा।तभी उसे स्मरण होता है ,जब वो लोग ,अपने स्कूल की तरफ से घूमने बाहर गए थे ,तभी इसे एक लड़की के साथ देखा था। हम लोग बारिश में फँस गए थे ,वे लोग भी ,वहीं आये थे। तब उनकी कम उम्र को देखते हुए ,हमारी अध्यापिका ने उन दोनों को डांटा था। तभी उसे सम्पूर्ण घटना स्मरण हो जाती है ,हो न हो, ये वही लड़का है। अपनी याददाश्त पर मुहर लगाने के लिए ,वो करन के पास जाता है और उसे वो ही घटना स्मरण कराता है।
उसे कुछ स्मरण तो होता है किन्तु कहता है -तू इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकता है ?कि ये वो ही लड़का है। उस बात को तो तीन बरस बीत गए ,अब ये भी आवश्यक नहीं ,कि उस लड़के का संबंध ,अब भी उसी लड़की से हो। सबसे पहली बात तो ये है ,तू क्यों ,उसके लिए परेशान हो रहा है ?उसका जैसा भी जी चाहे ,जिसके साथ भी वो विवाह करे ,हमें क्या ?वो जाने उसके घरवाले......
तू समझ नहीं रहा है ,शब्बो की ज़िंदगी का सवाल है ,उसका विवाह उस लड़के से होने जा रहा है।
तो इसमें हम क्या कर सकते हैं ?उसके माता -पिता ने तय किया होगा कुछ सोच -समझकर ही किया होगा।
मैं नहीं चाहता ,कि वो लोग फंस जाएँ ,और बाद में पछताना पड़े।
किसको ?उन्हें या तुझे...... !
समीर ने करन की तरफ देखा और पूछा -तू ये क्या कह रहा है ?
कब तक, तू अपने को झुठलायेगा ?या हमें मूर्ख मानता रहेगा ,क्या मैं इतना भी नहीं समझ सकता ?कि तू उसे चाहने लगा है और उसका विवाह तेरी शब्बो से हो रहा है तो तुझ पर जोर पड़ रहा है। अब तू चाहता है ,कि हम किसी भी तरह ,ये साबित कर दें, कि वो कोई झूठा या फ़रेबी है, जिससे ये रिश्ता टूट जाये।
नहीं ,ऐसा नहीं है।' हाँ' मैं उससे प्यार करने लगा हूँ , शब्बो एक अच्छी लड़की है ,मैं तो चाहता हूँ ,वो जहाँ भी रहे प्रसन्न रहे किन्तु ये भी नहीं चाहता कि जबरदस्ती किसी गलत बंधन में बंध जाये।
ये बात तू कैसे कह सकता है ?कि जबरदस्ती के बंधन में ,बंध रही है। जबरदस्ती होती, तो वो इंकार कर सकती है। पढ़ी -लिखी है ,इतनी भोली भी नहीं कि वो इंकार न कर सके।
वो तो ठीक है ,किन्तु इंकार का कोई कारण ही उसे पता न हो।तब तो किसी से कुछ भी नहीं कह पायेगी ,इसीलिए तो कह रहा हूँ ,उस लड़के की असलियत ,हमें सबके सामने लानी होगी।
तू मानेगा नहीं ,मान लो ! हमने उसकी हकीकत सामने ला भी दी और रिश्ता टूट गया तो क्या तू उससे विवाह करेगा ?
ये भी कोई कहने की बात है ,तुरंत ही उसके पापा जी से उसका हाथ मांग लेना है।
यदि वो लड़का ,कोई और निकला तो...... या कोई रुकावट न आये तब क्या करेगा ?
समीर सोचकार उदास होते हुए बोला -अब जैसा भी क़िस्मत में लिखा होगा ,उसे उसकी होना होगा तब मैं चुपचाप उन दोनों के बीच से हट जाऊंगा।
ठीक है ,चल अब तेरी सहायता करते हैं ,रब..... से दुआ कर ,जो तू सोच रहा है ,वो ही हो ,तो मेरे यार..... का घर बस जाये कहकर हंसा फिर बोला -तूने ये तो बताया ही नहीं ,वो किस गांव का रहने वाला है ?
ये तो मुझे भी नहीं मालूम.... कल शिल्पी से पूछकर बताता हूँ ,क्यों ?शब्बो बताने से इंकार कर देगी करन ने छेड़ा।
अगले दिन ,समीर बलविंदर के गांव के विषय में पूछता है।
शिल्पा ने पूछना भी चाहा - कि वो क्यों जानना चाहता है ?
किन्तु ,उसने कहा -समय आने पर सब पता चल जायेगा।
एक दिन दोनों दोस्त ,उस शहर के लिए निकल पड़ते हैं ,पूछते -पाछते ,किसी धर्मशाला में ठहर जाते हैं। और अपने तरीक़े से ,बलविंदर की जासूसी करते हैं। जासूसी करते हुए ,उन्हें पता चलता है ,वो तो पहले से ही विवाहित है ,उसकी कोई दोस्त थी-'' निहारिका ''जो आज उसकी पत्नी है किन्तु ये बात ,उनके ही क़रीबी चंद लोगों को ही मालूम है ,क्योंकि दोनों ने माता -पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर ,मंदिर में विवाह कर लिया। अभी वो सभी लोग ,अपनी बुआ के यहां से घूमकर आये हैं ,सभी खुश हैं किन्तु शब्बो से उसके विवाह की जानकारी किसी को भी नहीं थी। अंगूठी की रस्म ,का तो किसी को भी दूर -दूर तक अंदाजा नहीं था। फोटो दिखाने पर ,सबने उसे बलविंदर के रूप में पहचान लिया।
यार.... समीर तू सही था ,ये तो बड़ी पहुंची हुई चीज है ,एक विवाह करके बैठा है और दूसरा करने जा रहा है ,करन ने आश्चर्य से कहा।
यही तो मैं ,कहना चाह रहा था ,कि उस आदमी में ,अवश्य ही कुछ न कुछ झोल है।
अब तू क्या करेगा ?
क्या करना है ?शब्बो से ही बात करूंगा ,उसके पश्चात ,जैसा भी वो कहेगी ,वैसा ही करते हैं।
ठीक है ! कल कॉलिज में ही मिलते हैं।