एक औरत जो शब्बो को ,दुर्घटना वाले स्थान पर मिलती है वो शब्बो को जबरदस्ती गाड़ी में बिठाकर ले जाती है ,वो महिला और कोई नहीं ,तारा देवी है ,जो कुछ लोगों के साथ ,बच्चों को उठाने का कार्य करती है। जिन महाशय ने उसे ले जाते देखा, वो शोर मचाते हैं किन्तु तब तक वो उसे ले जाने में सफल हो जाती है। शब्बो समझ जाती है, कि वो गलत लोगों के हाथ पड़ चुकी है ,तभी उसे उन अंकल की बात स्मरण होती है ,बेटे समझदारी से काम लेना ,शेरू जो तारा का गुंडा है वो उससे गलत व्यवहार करता है किन्तु तारा उसे रोक देती है। शब्बो उससे पूछती है -मेरा गांव ,कब आएगा ?तब तारा उसे डपट देती है और कहती है -चुपचाप हमारे साथ चल। अब आगे -
दुर्घटना स्थल पर ,यात्रियों की सूची बनती है ,उसमें किसी भी जगह ऐसी महिला का विवरण नहीं होता। तब एक व्यक्ति कहता है -उसका नाम क्या था ? किसी को भी उसके नाम का नहीं पता , ऐसे ही कोई किसी का नाम नहीं पूछता है। तभी उस व्यक्ति ने ,अपने मानस पटल पर थोड़ा जोर दिया ,शायद किसी ने किसी से कुछ कहा हो। वो सम्पूर्ण घटना को मन ही मन दोहराता है ,तभी एक नाम गूंजा -तारा ,हम आ गए। तभी वो महिला बाहर निकलकर आई थी , हो न हो ,उसका नाम अवश्य ही तारा होगा। उसने अपना अंदाजा उन्हें बताया। इस नाम को उस सूची में ढूंढा गया किन्तु ये नाम कहीं भी नहीं था। तब सोचा गया'' शायद ये उस व्यक्ति का वहम हो ,ऐसा तो कोई नाम इस सूची में नहीं है। अब तो स्लेटी रंग की गाड़ी ही सबूत है ,शायद किसी ने उस गाड़ी का नंबर पढ़ा हो ?किन्तु किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। उन महाशय से पूछा गया, तो बोले -मैं उस स्थान से काफी दूर था ,मैं नहीं देख सका।
उधर तारा का दिमाग भी तेजी से चल रहा था ,चल क्या ?दौड़ रहा था। वो तो पहले से ही ये कार्य करती आई है ,इन सबमें उसे महारत हासिल है। जब अपराध किया है ,तो उसका बचाव भी तो सोचना है। लगभग एक घंटा चले होंगे ,तब तारा बोली -हम लोगों में से इसे उठाकर लाये हैं और वो जो व्यक्ति था जो इससे बातें कर रहा था [कहते हुए ,शब्बो की तरफ घूरा ] शायद किसी ने पुलिस को हमारे पीछे लगा दिया हो ,इसकी सूचना पुलिस को दे दी हो। अब हम यहीं रुकेंगे ,और ये गाड़ी भी छोड़ देंगे। ताकि गाड़ी के सहारे पुलिस हम तक न पहुंच सके। गाड़ी वाला उनका पुराना वाहन चालक था ,उसे पता था कि यदि किसी ने पूछताछ भी की ,तो उसे कैसे बचना है ?वो सभी एक होटल में कमरा लेते हैं ,इससे पहले ,शब्बो और तारा दोनों बुरखा पहन लेती हैं। उनका इरादा एक रात यहां ठहरकर अगले दिन निकलना है।
होटल के कमरे में ,ही खाना मंगाते हैं ,तारा और शब्बो दोनों एक ही कमरे में ,बाक़ी के तीन बदमाश दूसरे कमरे में ठहरते हैं। अभी तक शब्बो ने कुछ भी नहीं कहा था वो चुपचाप जैसे वे कह रहे थे ,कर रही थी। उस कमरे में ,शांति होते ही ,उसे अपनी मम्मजी पम्मी और पापाजी की याद हो आई ,पता नहीं ,वे सब लोग कैसे होंगे ?मेरी प्रतीक्षा करते होंगे या फिर मुझे मरा समझ लिया होगा। मेरे बिना उनका क्या हाल होगा ?और वो बल्लू ,पानी में बह गया या फिर बच गया। मुझे कुछ भी पता नहीं ,और इन लोगों में फ़ँस गयी। पता नहीं ,ये लोग मुझे कहाँ ले जायेंगे ?और मेरा क्या होगा ?अनेक प्रश्न उसके मन में उठ रहे थे। कहाँ मैं अपने घर में होती ?कहाँ इस गंदे से होटल में हूँ ?उसने अश्रुपूरित नेत्रों से ,तारा की तरफ देखा। तभी तारा बोली -क्या कर रही है ?क्या तुझे नींद नहीं आ रही ?अपने घर की याद आ रही है ,कहते हुए ,उठ बैठी और बोली -तुझे पता है ,मुझे भी इसी तरह उठाकर लाये थे ,तब मुझे भी तेरी तरह अच्छा नहीं लगा था और मैं बहुत रोई थी। शब्बो अपनी परेशानी भूलकर ,उसकी कहानी में दिलचस्पी लेने लगी और बोली -फिर क्या हुआ ?फिर क्या होता ?होटल में मुझे अच्छा -अच्छा खाने को मिला ,पहनने को सुंदर -सुंदर कपड़े। धीरे -धीरे मुझ पर पैसे भी हो गए ,और उसके बाद तो मैंने ,अपने माता -पिता की, गरीबी भी दूर कर दी। अच्छा !शब्बो ने आश्चर्य से पूछा। आप क्या काम करती थीं ?आपके पास इतने पैसे कहाँ से आये ?अरे !वो तो बड़ा ही मस्ती भरा काम है ,मजे के मजे और कमाई की कमाई। अच्छा !शब्बो बोली।
तारा बोली -क्या तुम भी ऐसा काम करना चाहोगी ? हाँ -हाँ क्यों नहीं शब्बो उत्साह से बोली। उसकी बात सुनकर तारा प्रसन्न हो गयी और खुश होते हुए बोली -ठीक है ,मेरी बच्ची ,अब सो जा !कल हमें और आगे भी जाना है। ठीक है ,कहकर शब्बो लेट गयी। वो सोच रही थी -वैसे तो ये तारा ,अच्छी है ,काम दिलवाएगी ,किन्तु मैं अभी इतनी छोटी क्या काम करुँगी ?मेरे पापाजी के पास तो पहले से ही बहुत पैसा है ,मुझे पैसा कमाने की क्या आवश्यकता ?तभी उसे उन अंकल का स्मरण हो आया जो उसे उस नदी की दुर्घटना में मिले थे और कह रहे थे- कि ये अच्छी औरत नहीं ,इस पर विश्वास नहीं करना है। मैं भागूँ भी तो कहाँ और कैसे ?इसके बदमाश तो मुझे पकड़ लेंगे ,शेरू और बिल्ला तीसरे का नाम तो अभी नहीं पता चला। बदमाश दिखने के लिए ,ये भी न कैसे -कैसे नाम रख लेते हैं ?
कुछ समय पश्चात ,तारा उठी ,उसने शब्बो की तरफ देखा ,कोई हरकत न देख ,वो कमरे से बाहर निकली। शब्बो तो अभी तक सोई नहीं थी ,वो भी उसके पीछे चुपचाप कमरे से बाहर निकली ,तारा तो बराबर वाले कमरे में चली गयी। शब्बो को तो अकेले में वैसे ही ड़र लगता था। यहां तो अँधेरा दिख रहा है ,वो वापस जाकर अपने बिस्तर में घुसने की सोच ही रही थी। तभी उसे आवाज आई ,तारा कह रही थी -उसे बहला फुसलाकर सुलाकर आई हूँ ,अब तो वो भी पैसा कमाने के लिए तैयार है। उसे अच्छे से समझा दिया है ,अब आगे जाने में तंग नहीं करेगी ,न ही भागेगी। कल हम ,उसे लेकर सीमा पार कर जायेंगे और इसके तो ,मनचाहे दाम मिलेंगे।कल सुबह पाँच बजे ही निकलेंगे ,सब तैयार रहना। इतना सुनते ही शब्बो का सारा ड़र समाप्त हो गया वो अपने कमरे में वापस आकर लेट गयी और सोचने लगी -ये औरत तो वास्तव में ही विश्वसनीय नहीं है ,ये तो मुझे बेचने का सोच रही है। वो भी सीमा पार ,उसकी योजना सुनकर ,शब्बो में एक अलग ही उत्साह भर गया।