शब्बो और समीर को पता चल जाता है ,कि सारा कांड ! किया धरा शिल्पा का ही है। इसे जानकर समीर और शब्बो को धक्का पहुंचता है ,बहुत ही दुःख भी होता है। समीर को तो जब उसकी चालाकियों के विषय में पता चलता है ,तब उसे बहुत धिक्कारता है। शिल्पा भी ,इसका कारण शब्बो को ही ठहराती है। शब्बो ,समीर से कहती है -अब तुम्हारे गुनहगार तुम्हें मिल गए ,अब मैं जाती हूँ। तुम्हारा जैसा जी चाहे करो ! इंस्पेक्टर साहब से भी, मैं उस अंसारी को छोड़ने को कह दूंगी। मुझे कोई शिकायत नहीं ,तुम्हारी गृहस्थी है ,जैसे जी चाहे ,तुम दोनों मियां -बीबी सुलट लेना ,कहकर चली जाती है। जाते समय वो रो रही थी ,समीर के पापा ने देखा और उसे रोकना भी चाहा ,फिर भी वो नहीं रुकी।बाहर का मौसम ,पहले से ही खराब था। शब्बो रो रही थी ,उसके दुःख को देखकर ,शायद किसी बादल का दिल भी फ़ट पड़ा और जोरों से बारिश होने लगी। शब्बो के दुःख के साथ ही ,आसमान भी रो रहा था। आज प्रकृति भी उसके साथ थी।
उसके जाने के पश्चात ,समीर ने शिल्पा को घृणा से देखा और बोला -तुम्हें भी , उस अंसारी के साथ थाने में होना चाहिए। किन्तु क्या करूं ?सब तुम्हारी तरह नहीं होते। अब मुझे लगता है -सारी बातें सामने आ ही गयीं हैं ,इसमें मेरी कोई गलती भी नहीं थी ,इसीलिए अब हमारा साथ रहना ठीक नहीं ,यदि हम साथ रहेंगे तब मुझे बार -बार तुम्हारा धोखा याद आएगा।
उसकी बात सुनकर ,शिल्पा समीर के सामने गिड़गिड़ाने लगी -समीर मैं ,तुमसे बहुत प्रेम करती हूँ ,तुम्हें पाने के लिए ही तो...... ये सब किया। मुझे माफ़ कर दो !अब मैं तुम्हारी पत्नी हूँ।
पत्नी हूँ ,नहीं थीं..... अब से तुम्हारा मेरा रिश्ता समाप्त ,तुमने न ही दोस्ती का ,न ही पत्नी का फर्ज़ निभाया। इतने दिनों से तुमने मुझे एक 'गिल्ट 'में रखा हुआ था। शादी किन्हीं भी कारणों से हुई हो ,कुछ दिनों पश्चात तो बता ही सकती थीं। मुझे विश्वास में तो ले सकती थीं ,प्यार का दावा करती हो ,प्यार का मतलब भी समझती हो। किसी को धोखे या मजबूरी से अपना बनाना ,इसे तुम प्यार कहती हो। उस शब्बो को देखो ,तुमसे विवाह करने के पश्चात ,उसने मुझसे या तुमसे कुछ कहा ,जबकि तुम्हारी और उस बुआ की दी परेशानियाँ उसकी जिंदगी में चल रही हैं। वो चाहती ,या मैं चाहूँ तो तुम्हें ,मुझसे धोखे से ,झूठ बोलकर विवाह करने और मेरा अपहरण करवाने के अपराध में तुम्हारे खिलाफ़ रिपोर्ट दर्ज़ कर सकता हूँ।
शिल्पा अपनी इस हालत पर रोये जा रही थी ,उसकी सारी पोल खुल चुकी थी। उसके पास समीर के प्रश्नों का कोई जबाब नहीं था। किन्तु इस बात की प्रसन्नता थी कि शब्बो जा चुकी थी शायद अब कभी न आये। शब्बो अपनी स्कूटी पर बैठी अपने घर की ओर जा रही थी किन्तु वो अपनी ज़िंदगी के कई वर्ष पीछे भी जा रही थी। उसका तन स्कूटी पर बैठा आगे बढ़ रहा था किन्तु मन पीछे की ज़िंदगी में झांक रहा था। क्या पाया मैंने इस ज़िंदगी से....... झमेले और परेशानियों के सिवा ,जिन्हें अपना समझा वे भी अपने न हुए। मेरे लिए मेरी परेशानी देखकर मेरी माँ ने अपनी जान गंवा दी। अब अपनी ज़िंदगी में, मैं किसी पर भरोसा नहीं कर पाऊँगी।इतना दुःख तो उसे तब भी नहीं हुआ था ,जब उसे पता चला ,शिल्पा ने समीर से विवाह कर लिया ,जितना दुःख उसे आज शिल्पा के धोखे ,उसके झूठ और उसकी नफ़रत के कारण हो रहा है। अब अपने पापा जी के संग रहूंगी। घर पहुंचने से पहले ,वो थाने की तरफ अपनी स्कूटी मोड़ती है।
थाने में बैठा करतार ,उसे देखकर उठा और उसका उदास चेहरा देखकर ,पूछा -क्या हुआ ?क्या कोई बात है ?
जी नहीं ,इंस्पेक्टर साहब ! अब आप उस व्यक्ति को भी छोड़ दीजिये ,आप चाहो तो....... उसकी ज़मानत मैं कर सकती हूँ ,जो भी औपचारिकताएं होंगी ,मैं पूर्ण कर दूंगी।
करतार उसके चेहरे की परेशानी से, उसके अंतःकरण की परेशानी को ,उसके दुःख को ,महसूस कर पा रहा था।उसने देखा -शब्बो भीग चुकी है ,उसने उसके लिए चाय मँगवाई और उसे बदन पोंछने के लिए तौलिया भी दिया। उसकी तरफ देखते हुए बोला -ये केस तो समीर का है ,उसी का तो अपहरण हुआ था ,अब तो ये उसके ऊपर है कि वो अपनी पत्नी के विरुद्ध केस दर्ज करता है या नहीं।
शब्बो ने करतार की तरफ देखा और पूछा -क्या आप जानते हैं ,कि शिल्पा कौन है ?
जी हाँ ,हम पुलिस वाले हैं ,अहमद अंसारी ने समीर के सामने ही तो सब कुबूल किया था और जब इसने शिल्पा का नाम लिया ,तब हम उनका चेहरा देखकर ही समझ गए थे। तब उन्होंने भी बता ही दिया कि शिल्पा उन्हीं की पत्नी है। तब हमने भी उनका घरेलू मामला समझ ,फ़ैसला उन्हीं के हाथों में सौंप दिया। एक बात समझ नहीं आई ,उसकी पत्नी ने ऐसा क्यों किया ?
शब्बो बोली -समीर से या शिल्पा से ही पूछ लीजिये ,अब मेरा इस केस से या उन दोनों से कोई मतलब नहीं , बलविंदर और बुआ का भी केस चल ही रहा है ,कहकर शब्बो बाहर आ गयी। ऐसा क्यों होता है ?जो कुछ भी नहीं करता ,वो क्यों इतनी सज़ा भुगतता है ?मैंने क्या तो........ उस शिल्पा का बिगाड़ा था ? क्या उस बुआ और बलविंदर का बिगाड़ा था ?किन्तु इन्होने मेरी ज़िंदगी को नर्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पता नहीं, इन लोगों ने ,मुझसे कौन से जन्म का बदला लिया है ?अब मुझे किसी से भी कोई मतलब नहीं रखना।
घर आकर पापा को ,सब बताना तो चाहती थी किन्तु बताया नहीं ,बताकर भी क्या होता ?एक बात के लिए अन्य बातें भी पापा को बतानी पड़तीं ,जिनकी उन्हें कुछ भी जानकारी नहीं है। पापा ने पूछा -बेटा कहाँ गयी थी ?
पापा शिल्पा के घर गई थी, अपनी बाक़ी की पढ़ाई भी तो पूरी करनी है। कहकर शब्बो अंदर चली गयी।
पिता अपनी बच्ची का दर्द समझ सकते थे ,इस उम्र में बेचारी बच्ची ने क्या -क्या नहीं देख लिया ?
शिल्पा ने पुनः कॉलिज जाना आरंभ किया ,पापा की एक जमीन पड़ी थी ,उस पर अपनी मम्मी के नाम से एक विद्यालय खोल दिया। घर में काम करती ,कॉलिज जाती और उस विद्यालय की भी कुछ ज़िम्मेदारियाँ अपने ऊपर ले लीं। उसने अपने को काम में व्यस्त कर लिया जब तक जान है ,तभी तक सुख -दुःख हैं ,परेशानियाँ हैं। शब्बो भी ,उन परेशानियों को धीरे -धीरे सुलझाने का प्रयत्न कर रही थी।
समीर ने शिल्पा को उसके घर पर छोड़ दिया था ,इस बात का शब्बो को पता चल भी गया किन्तु उस बातचीत के पश्चात न ही वो शिल्पा से मिली न ही ,समीर से !उनकी अपनी ज़िंदगी है ,उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया। अक़्सर इंस्पेक्टर करतार सिंह कभी -कभी उससे मिलने आ जाता या फिर वो अपने केस के सिलसिले में उससे मिल आती। लगभग एक वर्ष बीत गया। शब्बो का तलाक़ हो गया। चेतना और बलविंदर पर धोखाधड़ी का केस भी चल रहा है।
चेतना की सारे गाँव में थू -थू हुई ,बलविंदर और चेतना जमानत पर बाहर हैं ,अभी भी केस चल रहा है।