बदली का चाँद '' में अभी तक आपने पढ़ा -शब्बो की चाची यानि उनकी पड़ोसन चेतना ,को शब्बो के हाव -भाव से उस पर ,संदेह हो जाता है -हो न हो ,कहीं इसका किसी लड़के से कोई चक्कर तो नहीं ,इसी संदेह के कारण ,वो अपने बेटे टोनी को ,उसके पीछे जासूसी करने के लिए लगा देती है। दूसरी तरफ ,समीर शब्बो और शिल्पा को बताता है -कि बलविंदर तो पहले से ही विवाहित है ,वो सोचती है ,कि ये बात ,मम्मी -पापा को बताई जाये किन्तु इस बात पर..... बिन सबूत के कोई भी विश्वास नहीं करेगा। अब आगे -
टोनी ,शब्बो और शिल्पा को ,समीर के संग जाते देख लेता है किन्तु उसे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता। तब वो सम्पूर्ण स्थिति ,अपनी मम्मीजी को जाकर बताता है। तब उसकी बातें सुनकर , चेतना अपना माथा पीट लेती हैं और उससे समीर के विषय में ही जानकारी लाने के लिए कहती हैं।
दूसरी तरफ ,जिस व्यक्ति से ,समीर और करन ,बलविंदर की जानकारी लेकर गए ,उसने भी बलविंदर से पूछ लिया - तेरी बुआ के यहां से दो लड़के आये थे और तेरे विषय में पूछ रहे थे।
तब बलविंदर ने पूछा -तूने उन्हें ,क्या बताया ?
यही कि तू तो पहले से ही शादीशुदा है ,शायद तेरे रिश्ते के लिए हों किन्तु हमने तो पहले ही बता दिया -अपना यार... तो पहले से ही..... हम यूँ ही घूम रहे हैं ,चाहे तो हम अपने यार... की जगह.....
उसके इतना कहते ही ,बलविंदर घबरा गया और उसकी बात सुने बगैर ही घर की तरफ भागा।
उसका दोस्त ,अरे सुन तो.... तुझे क्या हुआ ?कहता रह गया।
मम्मीजी -पापा जी ,तुस्सी किथ्थे हो ?बदहवास सा सारे घर में घूमने लगा।
क्यों ,क्या हुआ ?उसकी मम्मीजी बाहर निकलकर आईं।
पापा जी किधर हैं ?
वो तो अभी बाहर ,कुछ सामान लेने गए हैं ,क्यों... क्या हुआ ?उन्हें क्यों ढूंढ़ रहा है ?तू इतना परेशान क्यों है ?
कुछ नहीं ,कल दो लोग ,मुझे खोजते हमारे गांव आये थे ,और मेरे विषय में जानकारी ले रहे थे। पता नहीं कौन होंगे ?
क्या.... जानकारी ?किससे पूछा ?यहाँ तो कोई नहीं आया ,कहाँ से आये थे ?
वो तो मुझे नहीं पता ,किन्तु उनमें से एक ने बताया था- कि उसकी बुआ के गांव से हैं।
क्या.... अब तो उसकी मम्मी भी सकते में आ गयी और बोली -वहाँ से भला कौन आ सकता है ?आता तो ,चेतना हमें बताती। अवश्य ही कोई ,गुपचुप तरीक़े से हमारी जानकारी निकाल रहा है। हमारी जानकारी लेने का उसका क्या उद्देश्य हो सकता है ?कहीं शब्बो के पापा जी....
नहीं ,-नहीं ,उन्हें विश्वास न होता, तो वे ये रस्म भी होने न देते ,बलविंदर पूरे विश्वास के साथ बोला।
तब ऐसा कौन हो सकता है ? जो हमारी जासूसी कर रहा है। कुछ भी न समझ पाने की स्थिति में ,तब वो बोलीं -तू ऐसा कर ,अपनी बुआ को ही फ़ोन लगाकर पूछ ले , शायद उसी से कोई जानकारी मिल सके।
बलविंदर अपनी बुआ को ही फ़ोन करता है , हैलो !उधर से आवाज आई।
बुआ जी ! नमस्ते... मैं बलविंदर बोल रहा हूँ।
हाँ ,''सत श्री अकाल ''किसलिए फोन किया ?
बुआजी... मैंने ये पूछने के वास्ते फ़ोन किया, कि क्या आपने कोई दो लड़के ,हमारे गांव भेजे हैं ?या आपको कोई जानकारी हैं।
किस बात की जानकारी ?मैंने तो किसी को नहीं भेजा।
वे लोग तो कह रहे थे- कि बलविंदर की बुआ के गांव से हैं।
चेतना सोचने लगी -कौन हो सकता है ?फिर बोली -क्या पूछ रहे थे ?
वो तो मुझे नहीं मालूम ,मेरा एक दोस्त है ,उसने बताया और उसने तो मेरे और निहारिका के ब्याह के विषय में भी उन्हें बता दिया।
सत्यनाश.... ये क्या कर दिया ?पता नहीं ,कौन लोग थे ?तेरे विषय में क्यों जानकारी ले रहे थे ?
मुझे क्या पता... ?मुझे पता होता तो आपसे थोड़े ही न पूछता।
अच्छा ,अब ऐसा कर ,अब ,यदि कोई आये तो ,अपने दोस्त से कहना - कि उन्हें लेकर सीधा मेरे पास आ जाये। तब उनसे पूछना -कि वे लोग कौन हैं और क्या चाहते हैं ?
जी.... बुआ जी ! यदि वे लोग न आए ,तब.....
जब भी मुँह खोलेगा ,बुरा ही बोलेगा ,अरे.... ! पता नहीं कौन लोग थे ?हमारी योजना पर , पानी फिर जाना है और शब्बो के बाप ने पुलिस थाने में रपट करा दी तो ,जेल में ,चक्की पीसते नजर आयेंगे ,बात करता है। कहकर चेतना ने फोन काट दिया।
चेतना फ़ोन काटकर ,अपने बेटे को पुकारती है -टोनी...... ओय टोनी !ये भी न, किधर जाकर बैठ गया।
उधर जेल की बात सुनकर ,बलविंदर घबरा गया और अपनी मम्मीजी से बोला -मुझे नहीं जाना जेल ,हम मेहनत करेंगे ,कैसे भी अपना धंधा बढ़ायेंगे किन्तु मैंने अब शब्बो से ब्याह नहीं करना।
ओय.... क्या बड़बड़ा रहा है ? तेरी बुआ ने क्या कहा ?उसकी मम्मी जी ने पूछा।
कह रहीं थीं -वो नहीं जानती ,कौन लोग हैं ?शीघ्र ही उनका पता लगाओ !पता न लगा सके तो जेल की चक्की पीसनी पड़ सकती है।
हाय.... ये क्या कह रही है ?हम क्यों जेल की चक्की पिसेंगे ,पिसेगी तो वो.... उसी की तो ये योजना है।
फिर भी ,मम्मीजी मालूम तो करना ही होगा ,कौन लोग थे और क्या चाहते थे ? बुआ जो भी कर रही है ,हमारे लिए ही तो कर रही है।
हाँ पुत्तर..... कह तो तू सही रहा है ,क्या पता !जैसा हम सोच रहे हैं ,ऐसा कुछ हो ही न !
कुछ समय पश्चात ,टोनी भी आ जाता है और अपनी मम्मी जी को सूचना देता है ,मम्मी जी ,मैंने पता लगा लिया है। वो लड़का समीर है ,उसका बाप व्यापारी है और माँ उसी कालिज में ,पढ़ाती है। अपनी शब्बो से कुछ ज्यादा ही घुला -मिला है।
ये हुई न बात ! ये अवश्य ही शब्बो की कारस्तानी हो सकती है।
क्या मतलब ?मैं कुछ समझा नहीं।
अगर तू इतना ही समझदार होता तो तू मेरी जगह न होता।
मैं आपकी जगह ,यानि मैं पापा जी की पत्नी धत..... ये तो मैं ,सपने में भी नहीं सोच सकता।
चेतना हंसी और बोली -ओय.... खोते दे पुत्तर ,ये कहावत थी।
अब तू मेरी ग़ल सुन कहकर उसे कुछ समझाती है।
क्या वे लोग जान पाएंगे कि बलविंदर के विषय में ,जानने वाले कौन लोग थे ?चेतना अपने बेटे को क्या समझाती है ?क्या ये लोग अपनी योजना में ,क़ामयाब हो पाएंगे ?या शब्बो उससे पहले ही उनकी पोल खोलने में क़ामयाब हो जाएगी ,जानने के लिए पढ़ते रहिये -बदली का चाँद।