इतने दिनों पश्चात ,शब्बो का भरम दूर हुआ ,करतार सिंह और कोई नहीं ,वरन ये वो ही सिपाही है ,जो इसे बहुत पहले ,शब्बो के खो जाने पर ,उसे मिलता था। आज वो इंस्पेक्टर हो गया है ,किन्तु अभी तक उसका विवाह नहीं हुआ है। कारण तो उसके सामने ही था ,जबसे उसने शब्बो को देखा था ,तबसे उसके पश्चात ,उसे कोई लड़की भायी ही नहीं। माँ ,प्रतिदिन उसे फोन करके समझाती और लड़कियों की तस्वीरें भेजती। किन्तु कहीं बात बनी ही नहीं। आज शब्बो उसके सामने है ,तो उसका केस वो ही संभाल रहा है।
वाहे गुरु ! भी कैसी परीक्षाएँ लेता है। करतारे ने सोचा था -जब कुछ बन जाऊँगा ,तब उसका पता लगाकर ,उसके घरवालों से उसका हाथ मांग लूंगा किन्तु यहाँ तो जैसे दुनिया ही उजड़ गयी। उसका विवाह भी हो गया ,पहले तो निराशा ही हाथ लगी किन्तु दिल के हाथों मजबूर होकर सोचा -शायद इसके कुछ तो काम आ जाऊँ !
समीर घर आया, उसने घर में बताया नहीं- कि आज वो शब्बो से मिला था। शिल्पा ने भी नहीं बताया कि शब्बो उससे मिलने आई थी। दोनों के ही मन में चोर था ,तब समीर के पापा ने उससे बताया कि आज शब्बो इधर आई थी और शिल्पा से भी मिली। समीर सोच रहा था -इसकी तो बड़ी अच्छी सहेली है ,फिर भी इसने क्यों नहीं बताया ? कि वो यहाँ आई थी। समीर ने अनजान बनते हुए ,शिल्पा से पूछा -क्या कोई आया था ?
शिल्पा ने उसे देखा और बोली -नहीं तो.....
किन्तु पापा तो कह रहे थे ,शब्बो.....
अरे हाँ !मैं तुम्हें बताना भूल गयी ,शब्बो आई थी उसने समीर की बात बीच में ही काटते हुए बताया। तुम उससे मिली ,कैसी है ?वो.... !
ठीक है ,जैसी शादीशुदा महिलायें होती हैं ,शिल्पा लापरवाही से बोली और साथ ही उसने समीर को इशारे से समझा भी दिया ''कि वो शादीशुदा है।''
मैं भी उससे मिल लेता ,आखिर वो मेरी भी दोस्त थी।
थी.... है नहीं ,कहकर वो खाना लेने रसोई की तरफ गयी।
जब वो लौटकर आई ,तब समीर बोला -तुम्हारी तो बहुत अच्छी सहेली थी ,तुम उसके आने से उत्साहित नहीं हो।
वो अपने घर आई ,मुझसे मिलने भी आई ,अब क्या मैं नाचने -गाने लगूँ ? शिल्पा चिढ़कर बोली।
मैंने सुना है ,कि उसके घर पुलिस आई ,तुम्हें बताया क्यों आई थी ?
जब तुमने सुना है ,तब वहीं से पता कर लेते कि पुलिस क्यों आई ?मैंने तो नहीं पूछा। तुम ये सब मुझसे क्यों पूछ रहे हो ?अभी वो यहीं है ,उसके घर चले जाओ ,न !मिल भी लेना और उसके दर्द को भी सुन लेना। और ये कौन है ?जिसने तुम्हें ये सब बताया।
उसके इस प्रश्न से समीर मन ही मन थोड़ा घबराया ,पहले सोचा -पापा का नाम ले देता हूँ फिर सोचा ,पापा तो घर में ही रहते हैं ,उनको कुछ उल्टा -सीधा कह दिया तो.... तभी उसे अपने दोस्त का स्मरण हुआ और बोला -तुम्हें ध्यान है ,मेरे साथ ,मेरा एक दोस्त भी था ,जब हमारा अपहरण हुआ था। उसी से मिली होगी ,आज वो मुझे मिला था ,तभी उसने बताया कि पुलिस उस अपहरणकर्ता तक पहुंचने वाली है। समीर ने यूँ ही तुक्का लगाकर कहा।
किन्तु उस तुक्के का असर शिल्पा पर तेजी से हुआ और बोली -क्या???? कौन मिला ?मुझसे तो उसने कुछ ज्यादा नहीं कहा।
जब तुम उससे ठीक से बात करतीं ,तभी तो वो तुम्हें सब बताती। वैसे तुम क्यों परेशान हो ?उस अपहरणकर्ता को तो ,तुम भी जानना चाहती होंगी। चलो !अब अपने कमरे में चलते हैं ,कहकर समीर उठा और सीढ़ियों पर चढ़ने लगा ,चलते समय उसने एक नजर शिल्पा को देखा और उसकी परेशानी देखकर ,समीर को उस पर शक़ हुआ कि ये क्यों परेशान है ?फिर भी उसने शिल्पा को आवाज लगाई -शिल्पा... आ जाओ !
शिल्पा ने नीचे से ही कहा -तुम चलो !मैं थोड़ा काम निपटाकर आती हूँ।
समीर ऊपर जाकर लेट गया, किन्तु शिल्पा के हाव -भाव उसे परेशान कर रहे थे और शब्बो के विषय में बात करने पर ,उसका चिढ जाना ,अवश्य ही ये कुछ तो छिपा रही है। या तो ये उस व्यक्ति को जानती है या...... कुछ भी हो सकता है ,उसने अपने विचारों को झटका दिया और सो गया।
प्रातः काल उसके पापा ने बताया -''कल रात बहु किसी को फोन पर तेजी से डांट रही थी ,क्या हुआ ?कौन था ? समीर ने अनभिग्यता ज़ाहिर की। जब शिल्पा कमरे में नहीं थी ,तब उसने उसका फोन खोलकर देखना चाहा ,किन्तु उसमें तो लॉक लगा था। कहने से तो फोन खोलेगी भी नहीं ,कुछ सोचकर वो अपने काम पर चला गया। आज दोपहर में ,अचानक समीर के पापा के दिल में ,कुछ दर्द सा महसूस हुआ ,उनकी पत्नी घबरा गयी और अपने बेटे को फोन किया।
समीर शीघ्र ही घर पहुंच गया और शिल्पा को आवाज लगाई। तुम क्या करती रहती हो ?पापा का ध्यान नहीं रख सकतीं ,मम्मी आप परेशान न हों ,मैं अभी डॉक्टर को फोन करता हूँ। अरे....... ओह गॉड ! उसने अपनी जेबें टटोलते हुए कहा।
क्या हुआ ?उसकी मम्मी ने पूछा।
जल्दबाज़ी में फोन तो मैं ,वहीं भूल आया।
तो क्या हुआ ? बहु का फोन लेकर ,डॉक्टर को फोन कर दे।
जी..... मैं अपना फोन क्यों दूँ ?आप भी तो अपना फोन दे सकतीं हैं।
दे सकती थी ,किन्तु उसमें बैटरी ही नहीं है ,जब मैंने समीर को फोन किया तभी उसकी बैटरी बोल गयी।
ओह गॉड !तुम दोनों सास -बहु बाद में लड़ लेना ,पहले मुझे फोन करने दो। विवश होकर ,शिल्पा को अपना फोन देना पड़ा। समीर ने फोन खोलना चाहा किन्तु लॉक लगने के कारण ,नहीं खोल पाया ,अब ये लॉक तो खोलो ! शिल्पा ने लॉक खोलकर दिया।
तभी उसकी सास बोली - बहु घबराहट के कारण मेरा गला सूख गया ,जरा पानी तो लाना।
समीर ने डॉक्टर को फोन लगाया और बोला -उसका तो फोन ही नहीं लग रहा ,बोला -पापा को मैं ही अपनी मोटरसाइकिल ले जाता हूँ। पापा को सहारा देकर अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाया और ले गया।जब वो घर से बाहर निकला ,तभी शिल्पा ने अपना फोन सबसे पहले लिया और अपने कमरे में चली गयी।
प्रिय पाठकों ! समीर तो पापा की बीमारी से परेशान है ,अब तक इतने भाग हो गए ,आप लोगों के सहयोग से इतने भाग हो गए हैं, आपको कहानी दिलचस लग रही है तो प्रोत्साहन दीजिये और फॉलो भी कीजिये। धन्यवाद !