करतार और शब्बो अपनी ज़िंदगी में सुकून ढूंढ रहे थे और इसीलिए करतार शब्बो को लेकर ,कुछ दिनों के लिए बाहर घूमने जाता है किन्तु वहाँ भी एक केस में फँस जाता है। शब्बो और करतार के बीच अभी भी दूरियाँ बनी हैं। शब्बो ने देखा ,कि टेबल नंबर' बारह 'का कोई नवविवाहित जोड़ा उस होटल में आता है और उससे भी ,आज कोई व्यक्ति ऐसे ही बातें कर रहा था। वो व्यक्ति उसके लालच में आ तो जाता है किन्तु उसका मन ,अब इस बात की गवाही नहीं दे रहा। जब उसने अपनी पत्नी से इस तरह का प्रश्न किया तो थोड़ी नाराज़गी जताते हुए ,फौरन मान गयी ,उसका इस तरह का व्यवहार उसको चौंकाने के लिए काफ़ी था। उसने एक बार ही मना कर मान गयी। वो तो सोच रहा था -उसे अपनी पत्नी को न जाने कैसे -कैसे इस बात के लिए ,समझाना होगा ? जब वो मान गयी तो वो हैरत में पड़ गया। वो सारी रात परेशान रहा ,उसे नींद ही नहीं आई ,किन्तु ऐसी स्थिति में भी वो आराम से सो रही थी।
उसे समझ नहीं आ रहा था -वो किस बात से परेशान है ?अपनी पत्नी के बिना ना नुकुर के मान जाने पर ,या फिर अपनी गलती पर। अगले दिन ,वो अपनी जब उठा ,तो दिन के दस बज चुके थे ,इसी चिंता में पहले तो नीद नहीं आई और जब आई ,तो उठने में देरी हो गयी। तब तक उसकी पत्नी नहाकर तैयार हो चुकी थी। जिस पत्नी को देखकर ,उसका मुखड़ा देखकर, मन ही मन अपने पर गर्व करता था कि इतनी सुंदर पत्नी मिली है ,आज उसी पत्नी को देखकर उसे चिढ़न हो रही है ,उसे लगा ,जैसे वो अन्य लोगों को रिझाने के लिए ,इस तरह तैयार हुई है। उसे ये सब एक मुसीबत लग रहा था। अपनी पत्नी को देखकर बोला -तुम्हें इतना सजने -धजने की आवश्यकता ही क्या है ?
क्यों न सजूं ?तभी तो लोग तुमसे सम्पर्क करेंगे ,मेरा विवाह तुमसे नहीं ,एक दलाल से हुआ है जो पैसों के लालच में अपनी पत्नी को भी गिरवी रख दे या बेच दे।
उसकी बात सुनकर वो लगभग चीख़ उठा -चुप रहो !!!! कहकर कपड़े पहने और बाहर आ गया। उसने देखा ,कैसे दूसरे पति -पत्नी खुश हैं ,मजे कर रहे हैं ,ख़रीददारी कर रहे हैं और उसने न जाने आते ही ,कौन सी आफ़त मोल ले ली ?वो इस मानसिक वेदना से बाहर आना चाहता था। अब वो उस इंसान की तलाश में था जो उसे रात्रि में मिला था किन्तु वो कहीं नहीं मिला। सारा दिन वो इसी उधेड़-बुन में रहा। शाम होते ही, अचानक ही वो व्यक्ति उसके सामने आ धमका।
मैं सुबह से तुम्हें ढूंढ रहा था ,तुम कहाँ थे ?
जी, ये सभी कार्य रात्रि के होते हैं ,जब चाँद निकलता है ,तब ही हमारे चाँद न.... न..... आशिकों के चाँद भी निकलते हैं। अब काम की बात करो !अपनी बीवी को तूने तैयार तो कर ही लिया होगा। या फिर उस पुड़िया......
इससे पहले कि वो अपनी बात पूरी कर पाता ,टेबल नंबर बारह बोला -मैं इसके लिए तैयार नहीं हूँ ,हम तो दो दिनों के लिए ही आये थे कल चले जायेंगे। तुम कोई और ढूंढ़ लो !
एकाएक उस व्यक्ति के तेवर सख़्त हो गए ,क्या तुमने ये सब मज़ाक समझ रखा है ?हमारी डील हो चुकी है। अब तुम बदल नहीं सकते।
कैसी डील ?मैंने तुमसे कोई पैसा नहीं लिया।
ओहो !तो ये कहो !थोड़ी पेशगी चाहिए ,चालाक हो !
नहीं ,मुझे कुछ नहीं चाहिए ,हमें हमारे हाल पर छोड़ दो। हम कल ही यहाँ से चले जायेंगे।
नहीं..... ऐसा नहीं हो सकता ,हमारा नुकसान होगा ,तुम जुबान दे चुके हो ,वरना हमें ज़बरदस्ती करना भी आता है। कहकर उसने कुछ दूरी पर खड़े पहलवान जैसे आदमी की तरफ इशारा किया।
उस पहलवान को देखकर अब उसे अपनी बेबसी का एहसास हुआ और लड़खड़ाते क़दमों से ,अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। चलते समय उस व्यक्ति ने उसके हाथ में एक बैग थमा दिया ,उसे अब अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती का एहसास हो रहा था किन्तु क्या करे ?उसने बैग भी खोलकर नहीं देखा और कमरे में आकर बिस्तर पर वो बैग फ़ेंक दिया और वहीं लुढ़ककर आसूं बहाने लगा।
उसकी पत्नी उसके समीप आई और पूछा -क्या हुआ ?
मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी सिम्मी ! मैं बुरी तरह फँस गया, मना नहीं कर सकता।
ये तुम्हारे लालच ने ,तुम्हें डुबाया है।
निकलना भी तो चाहता हूँ ,सारा दिन उस व्यक्ति को ढूंढता रहा किन्तु वो नहीं मिला और अब मिला है ,तो ये बैग थमा दिया।
सिम्मी ने बैग खोला ,उसमें दो -दो हज़ार की कई गड्डियाँ थीं ,उन्हें देखकर सिम्मी मुस्कुराई और बोली -देखा तुम्हारी बीवी कितनी कीमती है ?अरे यार..... तुम तो सच्चे जौहरी निकले ,कब जाना है ?अपने आंसू छिपाते हुए बोली।
तुम क्यों जाओगी ?मैं ही इस कमरे से बाहर चला जाऊँगा कहकर वो बाहर निकल गया। आज दुनिया का सबसे गरीब इंसान वो अपने को महसूस कर रहा था ,जिस लड़की से उसने इतने मन से विवाह किया ,शादी के वचन दिए ,वो तो एक भी वचन निभा नहीं पाया। उस जैसा बेग़ैरत इंसान दुनिया में कहीं न होगा।किस तरह अपनी सिम्मी को बचाये ?कुछ समझ नहीं आया , उसने वेटर को बुलाया और उससे शराब लाने को कहा ,वो शराब के नशे में डूब जाना चाहता था। अब उसकी सिम्मी उसके साथ होकर भी ,उसे अपनी सी नहीं लगेगी ,ज़िंदगीभर वो उससे नजरें नहीं मिला पायेगा।सारी गलती उसी की है ,तब किसी को क्या दोष दे ? लगभग रात्रि के बारह बजे होंगे ,वो नशे में ,एक बेंच पर बैठा था। वो कहीं छुप जाना चाहता था लोगों से तो छुप सकता था किन्तु अपने आप से छुपकर कहाँ जायेगा ?
सिम्मी अपने कमरे में बैठी थी ,वो जैसे हर परिस्थिति के लिए तैयार थी ,उसके अंदर एक तरह से आत्मविश्वास भरा हुआ था।
क्या सिम्मी के पास कोई व्यक्ति आएगा ?क्या सिम्मी की ''सुहागरात ''उसके साथ मनेगी ?क्या सिम्मी अपने पति को क्षमा कर पायेगी ?उसका अपने पति से इस तरह का व्यवहार क्यों था ?आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़िए -''बदली का चाँद ''