उत्तर भारत में भयंकर गर्मी पड़ रही है जिससे लोग परेशान भी हो गए हैं और इससे बचने के लिए कूलर, एसी और भी ठंडी चीजों का इस्तेमला कर रहे हैं। बहुत से लोग तो गर्मी से परेशान होकर हील स्टेशन या बर्फीले इलाकों में परिवार सहित चले जा रहे हैं लेकिन क्या आपने सोचा है जिनके भरोसे हम आराम से घूमते-फिरते हैं क्या वो ठीक से रह रहे हैं ? हम बात भारतीय आर्मी की कर रहे हैं जो देश की सरहदों पर खड़े होकर भारत की आम जनता की रक्षा करते हैं।
तपती गर्मी में उन्हें सरहदों पर खड़े रहना पड़ता है और इतना ही नहीं उन्हें अपनी नजर एक सेकेंड के लिए नहीं हटानी होती है क्योंकि कहते हैं ना सावधानी हटी दुर्घटना घटी। तपती गर्मिी और लू से हम सभी बचते फिर रहे लेकिन बीएसएफ के जवान सिर्फ नींबू पानी, ठंडा पानी और लस्सी के सहारे रेत की तपती धूप में तैनात हैं। धूप से बचने के लिए उन्हें लोहे की चादर वाली झोपड़ी दी गई है लेकिन भरी धूप में वो भी जलती है। जवानों के मुताबिक, भरी गर्मी में गश्त करना बहुत ही मुश्किल भला काम है लेकिन विभाग की तरफ से चाय, ठंडा पानी और भी पेय जल जैसी चीजें उन्हें राहत देती हैं। फिर भी गर्मी में परेशानी तो होती ही है, आखिर वे भी इंसान हैं लेकिन उन्हें ट्रेनिंग के समय ठंडे और गर्मी में रहने की ट्रेनिंग उन्हें दी जाती है तो वे सह लेते हैं।जवानों के अनुसार इन दिनों खेतों में धान की फसल बिछी हुई है और इस वजह से खेतों में पानी भरा रहता है। तपती धूप में खेतों का पानी उबलने लगता है औऱ इससे गर्मी भी ज्यादा लगती है। ऐसे में सरहद के किनारे पूरी वर्दी पहनकर हथियार लेकर निगाहें लगाए रहना आसान काम नहीं होता है लेकिन अगर उनकी तरफ से एक भी चूक हुई तो देश खतरे में पड़ सकता है इस कारण उनकी नजरें नहीं हटतीं। सरहद पर लगी फेसिंग के साथ-साथ सूखी मिट्टी पाउडर बनकर जवानों के हर कदम पर धूल की तरह उड़ती है जिसमें सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।
जवानों के मुताबिक तपती गर्मी में गश्त करना बहुत कठिन काम होता है लेकिन ऐसी स्थिति में दुश्मन पर पैनी नजर रखनी ही पड़ती है। BSF के एक अधिकारी ने बताया कि सरहद पर रेत या खेतों की वजह से गर्मी तो पड़ती ही है मगर सरहद पर गर्मी के दौरान ड्यूटी देने वाले जवानों को समय-समय पर नींबू पानी, ठंडा पानी और लस्सी मुहैया कराई जाती है। सरहदों पर कुछ ऐसे प्वाइंट्स होते हैं जहां पर दुश्मनों और तस्करों की गतिविधियां होती रहती हैं जिसकी वजह से जवानों की नजरें एक पल के लिए भी नहीं हटनी चाहिए। उनके रहने के लिए लोहे की चादर वाली झोपड़ी दी गई है और साथ में पेय पदार्थों का भी भरपूर इंतजाम किया गया है, हालांकि सरहद से सटे हुए गांव वाले भी इनकी खूब मदद करते रहते हैं।