भारतीय संस्कृति में हिंदू धर्म की प्रधानता है और लोग सबसे ज्यादा बजरंगबली को पूजते हैं। ऐसा कहा जाता है कि उनका अक्श आज भी है जो हमें दिखाई तो नहीं देते लेकिन उनका होना बहुत से लोगों ने महसूस किया है। सीरियल और फिल्मों में हम सबने हनुमान जी की शक्ति को बखूबी देखा है और सुंदरकांड में भी उनकी शक्तियों का बखान है। हनुमान जी सबसे बलशाली हैं और Hanuman Chalisa पढ़ने या उनका नाम सुनते ही भूत-पिशाच सच में भाग जाते हैं और उनके नाम में ही सबसे ज्यादा बल है इसलिए उन्हें बजरंगबली कहते हैं। हनुमान जी अपने भक्तों के लिए कुछ भी कर जाते हैं और अगर आपने उनकी श्रद्धा दिल से रखी है तो बस आप उनकी भक्ति करिए उसके बाद सब हनुमान जी पर छोड़ दीजिए।
पढ़िए हनुमान चालिसा - Hanuman Chalisa
बजरंगली को पवनसुत हनुमान, अंजनी का लल्ला, केसरीनंदन, रामभक्त, हनुमानजी, मारूतीनंदन जैसे कई नामों से पुकारा जाता है। उनके अंदर बुरी आत्माओं को शरीर से दूर करने की कला भी है और भक्ति में वे बहुत पिघल जाते हैं। ऐसा इसिलए क्योंकि वे खुद श्रीरामजी के परम भक्त रहे हैं और जब रामायण का अंत हुआ था उसके कुछ समय पहले जब श्रीराम जल में समाधि ले रहे थे तब उन्होंने हनुमान जी को कहा था कि वे यहीं रहकर मानवों की रक्षा करें। हनुमान चालिसा को तुलसीदास जी ने अवधी में लिखा था और इसमें प्रभु राम भक्त हनुमान के गुणों और कार्यों को चालिसा चौपाइयों के रूप में व्यक्त किया है। चालिसा शब्द का मतलब इस स्तुति में 40 छंद और 2 दोहे हैं।
दोहा ।।
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा : (ऊँ हनुमते नमः)
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
इसके अलावा भी हैं बजरंगबली को प्रसन्न करने के उपाय
बजरंगबली की लीलाएं अपरंपार हैं। बचपन में वे बहुत शरारती थे और एक बाद उन्होंने सूर्य देव को पका हुआ आम समझकर खाने चले थे लेकिन फिर उन्होंने ऐसा नहीं किया। हनुमान जी का युद्ध एक बार एक देवता से हुआ और उनके हनु (जिसे आम भाषा में ठुड्डी कहते हैं।) पर प्रहार किया था। इससे क्रोधित होकर पवन देवता ने बजरंगबली को एक गुफा में छिपा लिया और पूरे सृष्टि में हवा रुक गई। लोगों की मौत होने लगी और सबकुछ थम गया, इसके बाद सभी देवता गणों ने पवन देवता को मनाया और फिर वे मान गए। इस तरह से बजरंगबली को हनुमान और पवनसुत कहा जाने लगा। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए संकटमोचन, सुंदरकांड जैसे कई ग्रंथ हैं जिन्हें पढ़ने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा आप ऊँ हनुमते नमः के मंत्र का जाप करके भी इन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।
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