बहुत साल हो गए लेकिन आज भी अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर विवाद नहीं सुलझ पाया है। हर कोई इसके बारे में बात करता है लेकिन इस मुद्दे को आज तक कोई हल नहीं कर पाया। मोदी सरकार ने साल 2014 में सत्ता आने पर कहा था कि अब मंदिर वहीं बनेगा लेकिन इस बात को 5 साल बीत गए और केंद्र में उनकी दोबारा सरकार आ गई लेकिन मंदिर का मुद्दा आज भी चल रहा है। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि मुस्लिम ये बात साबित कर सकते हैं कि श्रीराम का जन्म वहां हुआ ही नहीं या पहले उस जगह पर उनका मंदिर था ही नहीं? क्या आपने भी वही सुना जो हमने सुना है, चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या हुआ है रामचरित मानस में जिक्र?
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद प्रॉपर्टी विवाद की सुनवाई साल 1992 से चली आ रही है। इन दिनों इसी की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के सामने बुधवार को 26वें दिन भी ये सुनवाई जारी रही। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दलील दी है कि रामचरित मानस में भी भगवान राम के जन्मस्थान के बारे में सही जगह नहीं बताई गई है। उसमें बस इतना कहा गया है कि भगवान राम अयोध्या नमें पैदा हुए थे। धवन ने कहा कि प्राचीन काल में भारत में मंदिरों पर हमला किसी धर्म से नफरत के कारण नहीं हुआ था बल्कि संपत्ति लूटने की मंशा के कारण हुआ था। सुनवाई के दौरान सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कई ऐतिहासिक किताबों का हवाला देते हुए ऐसी-ऐसी दलीले दीं जो बहुत से लोगों को समझ आईं लेकिन बहुत से लोगों को नहीं समझ आईँ।
धवन ने ऐसा भी कहा कि साल 1855 में हिंदू-मुस्लिम दोनों विवादित जगह पर पूजा करते थे। मुस्लिम अंदर नमाज पढ़ते थे और हिंदू बाहर पूजा किया करते थे। धवन ने बताया कि हिंदू पक्ष की तरफ से ऐसा भी कहा गया कि विलियम फिंच ने अयोध्या में विवादित जगह पर किसी मस्जिद के बारे में नहीं लिखा है, लेकिन एक विदेशी यात्री विलियम फॉर्स्टर ने विवादित जगह पर मस्जिद की बात की है। धवन ने इस बारे में ये साफ नहीं किया है कि मंदिर को मुस्लिम शासक बाबर ने तोड़ा था या औरंगजेब ने तोड़ा था। धवन ने एक गजेटियर का हवाला देते हुए बताया कि गजेटियर में भी चबूतरे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
18 अक्टूबर तक बहस पूरी करने का आदेश
दशकों पुराने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद प्रॉपर्टी विवाद में जल्द ही फैसला आने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है। हिंदू पक्ष की सुनवाई के बाद अब मुस्लिम पक्ष की सुनवाई चल रही है। ऐसा बताया जा रहा है कि 18 अक्टूबर तक अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी हो सकती है और जल्द ही इसपर किसी एक पक्ष के हक में फैसला आ सकता है। दशकों पुराने इस राम मंदिर और बाबरी मस्जिद प्रॉपर्टी विवाद में फैसला नंबर से पहले आ सकता है। इसके पीछे की वजह ये बताई गई है कि इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इसके संकेत दिए हैं कि उन्हें नवंबर में रिटायर होना है तो इसके पहले सारी दलीलें सुनकर फैसला लिया जाना है।