देश में जहां एक ओर धारा 370 हटने की खुशी मनाई जा रही थीं वहीं 7 अगस्त की रात में भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया। दिल्ली के AIIMS में सुषमा जी ने आखिरी सांस ली, जबकि ढाई घंटे पहले उन्होंने पीएम मोदी को ट्वीट करके धारा 370 हटाने की सफलता पर बधाई दी थी। हर कोई उनके निधन से स्तब्ध है और हर किसी का अपना लगाव सुषमा स्वराज से रहा है। उन्होने अपने कार्यकाल में बेहतरीन काम किया और व्यक्तिगत रूप से लोगों की खूब मदद की।
सुषमा स्वराज से जुड़ी कुछ बातें
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपने कोमल हृदय, क्रियाशीलता और दक्षता के लिए पहचानी जाती हैं। वे देश की लोकप्रिय नेताओं में एक रही हैं और अपने स्वभाव के कारण लोगों के दिलों में बसती हैं और आज हर आंखें इसी वजह से नम हैं।
सुषमा जी का जन्म 14 फरवरी, 1952 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था। इनके पिता आरएसएस के प्रमुख थे और देश के प्रति इनका समर्पण बचपन से ही देखने को मिलता था।
सुषमा स्वराज ने अंबाला के ही एसडीडी कॉलेज से बीए की पढ़ाई की और चंडीगढ़ वकालत की पढाई करने चली गई थीं। यहीं पर इनकी मुलाकार स्वराज कौशल के साथ हुई थी और पहली ही नजर में इन्होंने फैसला कर लिया था कि वे इनसे ही शादी करेंगी।
सुषमा जी के माता-पिता इस शादी के लिए तैयार नहीं थे और सुषमा जी की जिद थी कि वे स्वराज कौशल से ही शादी करेंगी। इसके लिए उन्होंने बहुत सारी मेहनत की अपने परिवार को मनाने की और साल 1975 में उनकी शादी स्वराज कौशल से हो गई।
स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट के पॉपुलर वकील हैं और उस समय वे युवा एडवोकेट जनलर बनकर सुर्खियों में आए थे। इनकी शादी के बाद इन्हें एक बेटी बांसुरी हुई और ये उनकी एकलौती संतान है।
साल 1971 में जब इंदिरा गांधी ने एमरजेंसी लगवा दी थी तब वे सुर्खियों में आईं क्योंकि इन्होने इसका विरोध प्रचार किया था। साल 1977 में उन्हें चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में एक मंत्री के तौर पर नियुक्त हुईं।
साल 1979 में 27 साल की उम्र में सुषमा जी ने जनता पार्टी ज्वाइन की और हरियाणा की अध्यक्ष बनी। फिर साल 1990 में सांसद बनकर लोगों के लिए खूब काम किया और साल 1990-96 तक वे राज्यसभा में रहीं। इसके अलावा वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रही हैं।
साल 1996 में 11वीं लोकसभा में अटल बिहारी बाजपेयी की तरह दिन की सरकार में वे सूचना प्रसारण मंत्री बनी। इसके बाद अगली सलकार में भई उन्हें इस पद को संभालने की जिम्मेदारी मिली। अक्टूबर, 1998 में सुषमा स्वराज केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा लेकर दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थी। इसके बाद वे विधानसभा चुनाव हुए और वो अपनी पार्टी से हर गई।
साल 2000 से 2004 तक एक बार फिर ये सूचना प्रसारण मंत्री बनी रहीं। साल 2009 में मध्यप्रदेश से राज्यसभा चुनी गईं और उन्हें लालकृष्ण आडवाणी की जगह पर नेता प्रतिपक्ष बनाया गया जिसे उन्होने अपनी खुशी से ये पद उन्हे दिया।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज मोदी सरकार की कैबिने़ट में शामिल हुईं और वे पहली महिला विदेश मंत्री बनी थी। सुषमा जी नरेंद्र मोदी की विश्वासपात्र कैबिनेट मंत्रियों में से एक थी जो मोदी जी के काफी करीबी रहीं।
सुषमा स्वराज राजनीति दल की पहली महिला प्रवक्ता, पहली भाजपा मुख्यमंत्री, पहली केंद्रीय केबिनेट मंत्री महासचिव और पहली महिला विदेश मंत्री बनकर राजनीति में अपना योगदान देती रहीं।