आज देश अपनी दमदार लीडर को खोने का गम मना रहा है और उनका नाम सुषमा स्वराज है जिनका निधन 7 अगस्त की शाम को दिल्ली के AIIMS अस्पताल में हो गया था। सुषमा स्वराज का नाम राजनीति में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा और भारतीय राजनीति के इतिहास में उनका योगदार अहम रहा है। सुषमा स्वराज हमेशा लोगों की मदद के लिए आगे रहती थीं और विदेशों में जो भारतीय फंस जाता था उन्हें भी अपनी पूरी कोशिश से आजाद करवाती थीं। सुषमा जी अपने अच्छे व्यक्तित्व के लिए पहचानी जाती थीं। लोगों को अगर सुषमा स्वराज अगर याद रहेंगी तो इसलिए कि वे अपने लोगों यानी भारतीयों के लिए हमेशा मदद करने को तैयार रहती थीं। राजनीति के बारे में बस इतना कहना चाहूंगी कि आज हर पार्टी का नेता उनके लिए आंसू बहा रहा है।
वैसे तो उनके कई किस्से फेमस हैं लेकिन एक मैं आपको बचाना चाहूंगी जब एक बार एक युवक ने खाड़ी के किसी देश से ट्वीट किया था और उस ट्वीट में लिखा था कि हमें भारत सरकार जल्दी निकाले यहाँ से नहीं तो आत्महत्या करना पड़ेगा। ट्वीट के जवाब में सुषमा स्वराज ने कहा कि आत्महत्या की बात नहीं सोचते ,हम हैं ना आपकी मदद जल्द से जल्द करेंगे। क़िस्सा चाहे हामिद का हो या कुलभूषण यादव का हमेशा ही सुषमा जी डट कर खड़ी रहीं, कहाँ, कैसे, किस तरह से जवाब देना है किसी को उन्हें इस बात का बख़ूबी ज्ञान था। पाकिस्तान को कई मौक़े पर उन्होंने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से धूल चटाई। ख़ैर भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। भारत ने आज एक जननेता को खोया है। इसी तरह वे दमदार भाषण के लिए भी लोगों को प्रिय रही हैं और अपने भाषणों से उन्होंने बहुत से लोगों का दिल भी जीता है।
सुषमा स्वराज के कुछ यादगार बयान
बटला हाउस एंनकाउटर के बाद सुषमा स्वराज ने तत्कालीन यूपीए सरकार का समर्थन करने पर ऐतराज जताया था। इसी पर उन्होंने आगे कहा था, ""अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनेंगी तो मैं अपना सिर मुडवा लूंगी।''
एक बार पाकिस्तान के बारे में कुछ बातें बोलते हुए सुषमा स्वराज जी ने कहा था, ''अगर पाकिस्तान आतंकियों की मदद ना करे तो शायद वहां भी डॉक्टर, इंजीनियर और आईटी क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा लोग दुनिया की दौड़ में शामिल हो सकते हैं।'
राज्यसभा में अपनी बात प्रस्तुत करते हुए सुषमा स्वराज ने विपक्ष नेताओं को देश के लिए कई सलाहें दी। उनमें से एक ये है कि 'जो सच में देश का भला चाहता है वो देश के प्रति कोई सरकार अच्छा काम करती है तो उसे सपोर्ट करना चाहिए। मगर यहां पर लोग यही करने में लगे रहते हैं कि दूसरी सरकार ने ऐसा किया है तो ये गलत है।'
साल 2015 में ललित मोदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विदेश मंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की थी। उसी दौरान सुषमा स्वराज ने एक बार फिर सोनिया गांधी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि अगर एक कैंसर पीड़ित महिला की मदद करना अपराध है तो मैं अपना गुनाह स्वीकार करती हूं।मगर मेरे सिर्फ एक सवाल का जवाब दिया जाए कि अगर सोनिया गांधी मेरी जगह होती तो क्या उसे मरने के लिए छोड़ देती?''