भारत में अंधविश्वास की कोई कमी नहीं है और यहां पर हमारे आपके बीच रहने वाले इंसान को भगवान बनाते देर नहीं लगती है। हालांकि पिछले कुछ सालों से कुछ धर्म की दुकान चलाने वाले बाबाओं की पोल खुली है और लोगों में थोड़ी जागरुकता आई है लेकिन ये जागरुकता इतनी भी नहीं और अगर हमेशा से रहती तो शायद आज लोगों में इतने भ्रम नहीं होते। एक दौर में परम पूज्य आसाराम बापू के नाम से पहचाने जाने वाले थे मगर जबसे इनके ऊपर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा तब से ये बहुत से लोगों के लिए आसाराम ही है। यहां हम आसाराम और पॉपुलर एक्टर अमरीश पुरी का एक किस्सा साझा करने जा रहे हैं जिसे जानने के बाद आप आसाराम का व्यवहार एक बार फिर जान सकेंगे।
आसाराम और अमरीश पुरी का मजेदार किस्सा
अमरीश पुरी को फिल्मों के अलावा कहीं भी ज्यादा देखा नहीं जाता था, कम दिखना ही उनके व्यक्तित्व को निखारता था। उनके इस अंदाज को ही लोग खूब पसंद करते थे लेकिन इस साल फरवरी में एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर आया जिसे देखने के बाद लोगों में एक बात आ गई कि ये भी आसाराम के भक्त रह चुके हैं। एक प्रोग्राम के दौरान आसाराम और अमरीश पुरी ने स्टेज शेयर किया और अमरीश पुरी मंच पर खड़े होकर जनता को संबोधित करने का काम कर रहे थे। ये जो वीडियो सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रहा था वो आसाराम के किसी प्रोग्राम का है और इसमें अमरीश पुरी भी शामिल है। उन्होंने आसाराम के साथ मंच शेयर किया और खुद को उनका भक्त भी बताया। इसके साथ ही आसाराम को थैंक्यू भी कहा। जैसे ही अमरीश पुरी मंच पर चढ़े आसाराम ने उनसे पूछा कि तुम कौन हो? हालांकि ये मजाक के टोन में था बाद में उन्होने लोगों को बताया कि वे कौन हैं। फिर जब अमरीश पुरी अपना इंट्रोडक्शन देने लगे तो आसाराम उनसे 5-6 बार पूछ रहा था कि बताओ तुम कौन हो। फिर जब अमरीश को लगा कि कुछ गड़बड़ हो रहा है तो उन्होंने मंच पर आसाराम और जनता के सामने कह दिया कि मैं विलेन हूं। इसके बाद उन्होंने साल 1987 में आई फिल्म मिस्टर इंडिय का डायलॉग भी बोला....'मोगैम्बो खुश हुआ..' इसके बाद जनता में अजीब सी हंसी गूंज उठी।
आपको बता दें अमरीश पुरी अमृतसर से मुंबई एक्टर बनने आए थे लेकिन उन्हें उनके चेहरे के कारण रिजेक्ट कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने कई जगह नौकरियां की और एलआईसी के एजेंट बनकर भी काम किया। मगर बाद में उन्होंने फिर ट्राई किया तो उन्हें विलेन के किरदार मिलने लगे और अमरीश पुरी ने सोचा ना से हां ही भला। अमरीश पुरी ने फिल्मों में काम शुरु किया और आखिरी समय तक काम करते रहे। साल 2005 में अमरीश पुरी का निधन हो गया था और इसका कारण दिल का दौरा बताया गया था। बता दें अमरीश पुरी ने बॉलीवुड में इंडिया, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, गदर एक प्रेम कथा, दामिनी, नायक, नगीना, दिलजले, करण-अर्जुन, मेरी जंग, कोयला, घायल, हलचल, घातक, परदेस, एलान, विरासत, गुंडाराज, फूल और कांटे, राम लखन, जान, जीत, त्रिदेव, एतराज, चाची 420, सौदागर, मशाल, ताल, गरदिश, कालापानी, अर्ध सत्या, सलाखें, बारूद, यतीम जैसी लगभग 300 फिल्मों में काम किया था।