साल 2014 से मोदी सरकार ने की सारी योजनाएं देश के हित में लेकर आए हैं लेकिन कुछ चीजें ऐसी इनकी सरकार में हो रही है जिससे ज्यादातर लोगों को सिर्फ परेशानी ही हो रही है। अब कारपोरेट सेक्टर से खबरें आ रही हैं कि मोदी सरकार कुछ कंपनियों को बेचने की तैयारी में है क्योंकि इससे भारत को मुनाफा हो सकता है और ऐसी खबर सामने आते ही जिनके-जिनके इसमें शेयर्स हैं उनका दिल धक-धक करने लगा है। इसकी शुरुआत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमेटिड के साथ होने लगी है।चलिए बताते हैं वे कौन सी कंपनियां हैं?
इन कंपनियों को बेचना चाहती है मोदी सरकार
भारत के पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने देश की दूसरी बड़ी पेट्रोलियम कंपनी-भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) को बेचने की मंजूरी दी है। 20 नवंबर, 2019 को हुई बैठक में BPCL के अलावा 4 दूसरी कंपनियों को भी बेचने की मंजूरी दी गई है और ये कंपनियां- शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI), THDC इंडिया लिमेटिड (THDCIL), नॉर्थ ईस्ट इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमेटिड (NEEPCO), कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CONCOR) है। इन पांचों कंपनियों को स्ट्रैटिजिक बायर यानी रणनीतिक खरीदारों को बेचने की योजना बनाई गई है। BPCL, SCI और CONCOR को बाज़ार में मौजूद कोई भी कंपनी खरीद सकती है और वहीं सरकार THDCIL और NEEPCO को NTPC के हवाले से ये सब कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन पांचों सरकारी कंपनियों के सौदे को स्ट्रैटिजिक डिसइन्वेस्टमेंट करार दिया है। स्ट्रैटिजिक डिसइन्वेस्टमेंट यानी रणनीतिक विनिवेश में हिस्सेदारी के साथ-साथ मैनेजमेंट का कंट्रोल भी रणनीतिक खरीदारों को सौंपा जाएगा और रणनीतिक खरीदार प्राइवेट कंपनियां भी हो सकती हैं और कोई सेंट्रल PSU की भी हो सकती है, इसके बारे में स्पष्टरूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है। यहां जानिए कौन सी कंपनी का कितना हिस्सा है?
BPCL
भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड में सरकार की 53.29 फीसदी हिस्सेदारी है। इस कंपनी से सरकार अपनी सारी हिस्सेदारी बेच रही है और BPCL की असम में एक सब्सिडरी कंपनी है जिसका नाम नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड है। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने केंद्र सरकार से इसे सरकारी कंपनी ही बनाए रखने गुज़ारिश की थी और उन्होंने इसका कारण बताया था कि ये कंपनी भारत सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के बीच हुए असम समझौते से बनी हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, नुमालीगढ़ रिफाइनरी कंपनी रणनीतिक विनिवेश का हिस्सा नहीं होगी. इसे किसी सरकारी तेल कंपनी को दिया जाएगा और वित्त वर्ष 2018-19 में BPCL ने 7,132 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया गया था।
SCI
शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार का हिस्सा 63.75 प्रतिशत है। सरकार इस कंपनी में अपना पूरा हिस्सा बेचने की तैयारी में है और SCI को वित्त वर्ष 2018-19 में 121 करोड़ नुकसान हो गया था, हालांकि 2015-2018 तक ये कंपनी को काफी फायदे भी हुए थे।
CONCOR
कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी 54.80 फीसदी है। सरकार 30.80 फीसदी हिस्सा ही बेचेगी और 24 फीसदी हिस्सा अपने पास रखने के विचार में है। वित्त वर्ष 2018-19 में CONCOR ने 1,215 करोड़ का मुनाफा कमाया था जो एक अच्छा मुनाफा बनकर बाजार में आया था।
THDCIL
भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की जॉइंट कंपनी के रूप में टिहरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक डेवलमेट कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड है। केंद्र सरकार का हिस्सा इस कंपनी में 74.23 फीसदी तक है और सरकार अपनी हिस्सेदारी NTPC को ही बेचेगी। वित्त वर्ष 2018-19 में THDC ने 1,255 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा कमाया था जिसमें सरकार सिर्फ अपना हिस्सा बेचने की योजना बनाई है।
NEEPCO
नॉर्थ ईस्ट इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड नॉर्थ ईस्ट में बिजली की जरूरतें पूरी करती है। NEEPCO में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सरकार इस पूरी कंपनी को NTPC को बेचेगी और वित्त वर्ष 2019-19 में 2.13 का मुनाफा कमाया था। इन 5 कंपनियों को बेचकर सरकार करीब 80 हजार करोड़ रुपये कमा सकती है। इनमें से बीपीसीएल सबसे बड़ी कंपनी है और बीपीसीएल की बाजार पूंजी करीब 1.16 लाख करोड़ रुपये है। सरकार अपना हिस्सा बेच देती है तो करीब 60 हजार करोड़ अकेले बीपीसीएल से बना लेगी। वित्त मंत्री ने हाल ही में बताया था कि सरकार बजट में तय 1.05 लाख करोड़ का निवेश तय है।