भारत में बहुत सारी ऐसी चीजें होती हैं जिनके बारे में आमतौर पर लोग समाज में बात करना पसंद नहीं करते हैं। जिसमें सेक्स, माहवारी और भी कुछ बातें होती हैं लेकिन असल में हम सबको इन्ही सबके बारे में बात करनी चाहिए, अगर इसमें कोई परेशानी है तो, खुलकर अपने दोस्तों ,पार्टनर और डॉक्टर्स से बात करें। इनमें सबसे अहम साल 2018 में आई फिल्म पैडमैन में अक्षय कुमार ने लोगों में पीरियड्स को लेकर जितनी गलत सोच थी उसे बदला है।भारत में माहवारी यानी पीरियड्स महिलाओं का वो सत्य है जिसे समझना हर किसी के बस की बात नहीं है इसे सिर्फ एक महिला ही जानती हैं लेकिन आंध्रप्रदेश के एक आदमी ने इसे समझा और महिलाओं के लिए सस्ता सेनेटरी पैड बनाया।इस पर अक्षय ने पूरी एक फिल्म बना दी और अब दिल्ली की इस लड़की ने महिलाओं के लिए इसके बारे में सोचा है। जो 'पैडगर्ल' बनकर माहवारी की परेशानी झेलने वाली महिलाओं के लिए ताकत बनी हैं।
दिल्ली की 'पैडगर्ल' ने शुरु की मुहीम
दिल्ली में रहने वाली सौम्या डाबरीवाल आज महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं। इन्होने एक ऐसा सेनेटरी पैड बनाया है जिसे डेढ़ साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। सौम्या में महिलाओं के प्रति इतना आदर भाव है कि महिलाओं को मुफ्त में पैड उपलब्ध करवाकर उनकी मदद का काम कर रही हैं। सौम्या देश के ऐसे व्यस्त शहर में रहती हैं जहां किसी को किसी के बारे में सोचने का समय नहीं मिलता है वहां रहकर सौम्या ने वो सोच लिया जो एक लड़की होने के नाते कोई नहीं सोच पाता। साल 2013 में सौम्या ब्रिटेन पढ़ाई करने गई थीं और स्टडी टूर के दौरान उन्हे अफ्रीकी देश घाना जाने का मौका मिला और वहां पर उन्होंने महिलाओं में माहवारी को लेकर जागरुकता का अभाव देखा। महिलाओं की ऐसी स्थिति देखकर इस विषय पर उन्हें गंभीरता से एहसास हुआ और भारत आकर उन्होंने सोच लिया कि दोबारा इस्तेमाल करने वाला सेनेटरी पैड किसी भी हाल में बनाना है। इसके लिए उन्होंने काफी प्रयास किया और टेस्ट करने के बाद उन्हें सफलतम कई बार यूज करने वाला पैड बना लिया।
सौम्या ने कुछ दोस्तों की मदद से अपना प्रोजेक्ट 'बाला' शुरु किया और वे हरियाणा, पंजाब, यूपी जैसे राज्यों में ग्रामीण क्षेत्र में सफलता हासिल कर चुकी हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण और गरीब तबके की महिलाओं को जमीन पर सोना पड़ता है इसलिए उन्होंने दोबारा इस्तेमाल करने के बारे में सोचा और अपनाया। सौम्या ने महिलाओं के लिए इस काम को आज भी जारी रखा है और अब तक 15 हजार सेनेटरी पैड को लोगों तक पहुंचा चुकी हैं। पैड के टेस्ट पास हो जाने पर सौम्या ने दिल्ली की एक कंपनी से संपर्क किया और वो पैड बनाने को तैयार हो गई है। ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करके भारत लौटी सौम्या का लक्ष्य गरीब और पिछड़े ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को इस विषय पर जागरुक करना ही है। वे दूर-दूर गांवों में जाती हैं और महिलाओं को जागरुक करने का काम करती हैं। अब बहुत से लोग सौम्या को 'पैडगर्ल' बुलाने लगे हैं, जब फिल्म पैडमैन आई थी तब वे ब्रिटेन में थीं और इस फिल्म को देखने के बाद उन्होंने सोचा वे भी कुछ ऐसा करेंगी जिससे लोगों का भला हो सके।