साल 1992 से राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद चल रहा है और इसपर आज तक कोई फैसला नहीं लिया गया। अयोध्या में उस स्थान पर मंदिर बनेगा या मस्जिद होगी ये कहा जाना अभी मुश्किल है लेकिन बहुत जल्द ऐसा समय आने वाला जब किसी एक के हक में फैसला आ जाएगा। अभी सुनवाई का दौर सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और इस संभावित फैसले को लेकर अयोध्या के जिलाधिकारी ने जिले में धारा 144 लागू कर दी है। जिलाधिकारी के निर्देश के अनुसार अयोध्या में 10 दिसंबर तक धारा 144 लागू की है।अयोध्या विवाद के संभावित फैसले के अलावा दीपोत्सव, चेहल्लुम और कार्तिक मेले को लेकर धारा 144 दो महीने तक अयोध्या जनपद में लागू रहने का आदेश दिया गया है।
अयोध्या में लागू हुई धारा 144
दशहरा की एक हफ्ते की छुट्टी के बाद उच्चतम न्यायालय में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी भूमि विवाद मामले पर सुनवाई की गई। इस सुनवाई को 14 अक्टूबर यानी आज अंतिम चरण पर प्रवेश में लाई गई और न्यायालय की संविधान पीठ 38वें दिन इस मामले पर सुनवाई करेगी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मुद्दे का हल निकालने के लिए कई नाकामियों के बाद 6 अगस्त को इसकी कार्यवाही शुरु की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के साल 2014 के फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय 14 अपीलों पर सुनवाई हो रही है। पीठ ने इस मामले में न्यायालय की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा के बारे में बाताया था और इसके लिए 17 अक्टूबर की तारिख तय की है। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूर्ण, न्यायामूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल हैं।
न्यायालय ने अंतिम चरण की दलीलों के लिए कार्यक्रम निर्धारित करने को कहा है कि मुस्लिम पक्ष 14 अक्टूबर तक अपनी सभी दलीलें पूरी करें। इसके बाद हिंदू पक्ष को भी अपनी सभी दलीलें 16 अक्टूबर तक पूरा करने को कहा गया है। इसके बाद 17 नवंबर को इस मुद्दे पर फैसला सामने आ जाने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है। आपको बता दें कि इसी दिन प्रधान न्यायाधीश गोगोई रिटायर्ड हो रहे हैं।
मुस्लिम समुदाय ने किया है विरोध
विश्व हिंदू परिषद ने इस बार गर्भगृह में विराजमान रामलला के साथ दीपावली मनाने का निर्णय लिया है और इसके साथ ही वे लोग वहां पर 51 हजार दीप जलाकर भगवान राम को समर्पित करना चाहते हैं। हिंदू जनमानस का ये विश्वास है कि मंदिर के हक में फैसला आएगा लेकिन दीपोत्सव की इस मांग को लेकर मुस्लिम समाज ने भी कड़ा रुख कर लिया है। मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने बताया कि विवादित परिसर में अगर विश्व हिंदू परिषद को दीपदान की अनुमति मिलेगी तो फिर मुस्लिम समाज भी विवादित परिसर में नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने की प्रक्रिया दर्ज कराएगा।