साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक जंग हुई जिसे कारगिल युद्ध का नाम दिया गया और फिर भारत ने पाकिस्तान पर जीत हासिल की। इसी के जश्न में 26 जुलाई को कारहिल युद्ध की जीत की खुशी में विजय दिवस मनाया जाता है। इस जंग में एक नहीं बल्कि कई जवान शहीद हुए थे। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस युद्ध में 542 जवान शहीद हुए थे और इन सभ सभी की शहादत को देश हर साल सलामी देता है। कारहिल युद्ध में शहीद होने वालों में एक जवान था पवित्र जो हरियाणा के मिल्कपुर से कुछ दूरी पर नारनौंद उपमंडल के गांव से था। मगर इस लडाई में उन्होंने खुद को न्यौछावर कर दिया क्योंकि बात भारत माता की थी और इसमें उन्होंने कोई समझौता नहीं किया।
कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे पवित्र
9 अगस्त, 1978 को एक फौजी के घर जन्में पवित्र के पिता स्व. किताब सिंह जब भी आर्मी से छुट्टी लेर घर आते थे तो पवित्र खिलौने में बंदूक मांगते थे। अपने पिता को आर्मी से देखने वाले पवित्र का सपना बचपन से ही सिपाही बनने का था। पिता से बंदूल लेने के बाद वे अपने पिता से कहते थे कि वे भी बड़े होकर पिता की तरह फौजी बनेंदे और उनकी तरह सरहद पर दुश्मनों को मारते हुए अपने देश की सेवा करूंगा। पवित्र ने गांव के ही एक सरकारी स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की और इसके बाद 11वीं की पढ़ाई के लिए उन्होंने राखी शाहपुकर की वोकेशनल में गए। पढ़ाई के साथ ही खेलों में पवित्र हमेशा आगे रहते थे और काफी मेहनत के बाद 29 फरवरी, 1996 को उनका सिलेक्शन भारतीय आर्मी में हो गया। इस तरह उनके बचपन का सपना पूरा हो गया था और वे इसे पाकर बहुत खुश हुए थे।
9 जुलाई, 1999 को 11 दुश्मनों को मौत के घाट उतनारने वाले पवित्र सिंह कारगिल युद्ध लड़ते हुए शहीद हो गए थे। यह इत्तेफाक ही था कि शहीद पवित्र की जन्म और शहादत की तारिख 9 थी और इनकी मां के साथ ही परिजन भी उनके जन्मदिन और शहादत वाले दिन हर साल कुछ ना कुछ कार्यमक्रम करवाते हैं। इसमें खेल प्रतियोगिता और गरीबों के भले के लिए काम किए जाते हैं। ये काम उनके गांव वाले सालों से करवाते आ रहे हैं जिसमें हरियाणा सरकार भी मदद करती है।
बचपन से था कुछ करने का जज्बा
पवित्र सिंह अपने कैंप के सबसे दिलचस्प इंसान हुआ करते थे। उनके साथ के लोग बताते हैं कि वे अपने देश के प्रति बहुत निष्ठावान थे और भारत माता से बहुत प्यार करते थे। बचपन से ही इनके अंदर देश सेवा करने का जज्बा था और इसलिए पढ़ते-पढ़ते ही आर्मी में भर्ती हो गए थे। 12वीं तक इनका सिलेक्शन हो गया था, ये अपने दोस्तों में भी यही रखते थे कि उन्हें देश की सेवा के लिए सरहद पर ही रहना है। पवित्र सिंह की मां सुजानी देवी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बात पर उन्हें गर्व होता है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ और जाने से पहले 11 दुश्मनों को मार गिराया था। इस बात को सोचकर ही उनकी छाती गर्व से चौड़ी हो जाती है। पवित्र जैसे बहादुर देश पर मर मिटने वाले बच्चे सभी माताओं की कोख से पैदा हों और अगर इसके लिए उन्हें भारत माता की गोद भी सोना पड़े तो कोई गम नहीं।