हिंदी फिल्मों में आपने कई ऐसी कहानियां देखी होगी जिसमें बच्चा बचपन में मां-पिता से बिछड़ जाता है और फिर बहुत ही गरीबी से जिंदगी गुजारता है। बाद में बड़ा होकर वो अपने परिवार से किसी और ही सूरत में मिलता है। ऐसा असल जिंदगी में भी हुआ जब एक करोड़पति माता-पिता का बेटा बिछड़ गया और जब बड़ा होकर मिला तो माहौल ही अलग रहा। मगर यहां स्थिति अलग रही क्योंकि यहां लड़का बड़ा होने के बाद माता-पिता से बिछला मगर सोचने वाली बात ये है कि गुजरात का रहने वाला लड़का शिमला की सड़कों पर बुरी हालत में मिला लेकिन वो वहां पहुंचा कैसे?
गुजरात का लड़का कैसे पहुंचा शिमला?
ये घटना है गुजरात की जहां वड़ोदरा के पाद्रा कस्बे में रहने वाले तेल व्यापारी का बेटा द्वारकेश ठक्कर 14 अक्टूबर को अपने घर से निकला और वापस नहीं आया। करोड़ों की प्रॉपर्टी के मालिक का बेटा द्वारकेश इंजीनियरिंग कर रहा था और कॉलेज जाने के लिए घर से निकला। TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसे पढ़ना या कॉलेज जाना पसंद नहीं था। एक दिन वो कॉलेज ना जाकर वडोदरा रेलवे स्टेशन पहुंच गया। वहां से दिल्ली आया और फिर गायब हो गया। उसके घरवालों ने पुलिस में शिकायत द्ज की तो पुलिस ने सीसीटीवी के जरिए उसे खोजने की कोशिश की। द्वारकेश अपना मोबाइल घर पर छोड़ गया तो उसे खोजना मुश्किल हो रहा था और इतना चल पाया कि वो वडोदरा रेलवे स्टेशन पर गया था। हफ्तों तक खोजने के बाद भी किसी को उसका पता नहीं चल पाया तो उसके घरवाले निराश हो गए। मगर 4 नवंबर को एक उम्मीद आई जब पाद्रा पुलिस को शिमला के एक होटल के मैनेजर ने कॉल किया। द्वारकेश वडोदरा से शिमला पहुंचा था और यहां सड़कों के किनारे बने होटलों में बर्तन धुलकर अपना गुजारा करता था। 4 नवंबर को वो एक होटल पहुंचा और काम मांगने लगा। मैनेजर को थोड़ा शक हुआ और उसने उससे बात की फिर आईडी मांगी। आई से मैनेजर ने पता लगाया कि पाद्रा का है। मैनेजर ने फिर चुपके से पुलिस स्टेशन में फोन किया और लड़के के बारे में बताया फिर उसकी आईडी कार्ड को भेजा। पाद्रा पुलिस ने आईडी देखकर द्वारकेश को पहचान लिया।
पाद्रा पुलिस ने आईडी देखकर द्वारकेश को पहचाना और फिर 4 नवंबर के दिन पुलिस थाने के दो पुलिसकर्मी अपने परिवार के साथ शिमला छुट्टी मनाने गए थे तो अधिकारियों ने उन्हें कॉल किया और द्वारकेश को खोजने का आदेश दिया। जब दोनों पुलिसकर्मी होटल पहुंचे तो द्वारकेश वहां से जा चुका था लेकिन मैनेजर ने पुलिसवालों को बता दिया। फिर रात में ही उसे खोजना चालू किया गया तो सड़क किनारे के होटलों में वहां के टैक्सी ड्राइवर्स को और बाकियों को तस्वीर दिखाई। आधी रात को एक टैक्सी ड्राइवर ने दोनों पुलिसवालों को फोन करके बताया कि उसके द्वारकेश को सड़क पर सोते देखा था। पुलिस वहां पहुंची तो द्वारकेश को अपनी आईडी कार्ड दिखाया और तुरंत उसके घरवालों को फोन किया। घरवाले भी जितनी जल्दी हो सका वहां पहुंच गए। इसी बीच द्वारकेश से पूछा गया कि उसने घर क्यों छोड़ा तो उसने बताया कि उसे पढ़ना पसंद नहीं है और घरवाले उससे उम्मीद लगाए थे तो वो भागना चाहता था। अब उसके परिवार वाले उसकी बात समझ गए हैं और अब वो उनके साथ है।