15 अगस्त के मौके पर लाल किला की प्राचीर से झंडा रोहण के बाद पीएम मोदी ने देश को ऊंचाईयों पर ले जाने की कई सारी बातें की। इसमें तकनीकी बदलाव से लेकर लड़कियों की सुरक्षा तक की बातों को प्राथमिकता दी गई और इन बातों को लोगों ने खूब पसंद किया। हर किसी को कुछ भी बोलने का हक है और अपने पीएम पर भरोसा करके दो मासूम बच्चियों ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा। धार में दो बहनों को स्कूल से सिर्फ इस वजह से निकाल दिया गया कि वे नेपाली हैं। यहां तक की उन्हें स्कूल में नेपाली-नेपाली कहकर चिढ़ाया जाता था, इसके बाद बच्चियों ने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी से मदद मांगी।
पीएम मोदी को लिखा बच्चियों ने पत्र
भारत में हर बात में रिश्ते बनाए जाते हैं, अगर किसी को कोई रिश्ता समझ नहीं आता तो भईया या दीदी कहकर संबोधित करते हैं। तभी तो भारत अपने पड़ो सी देश नेपाल को अपना छोटा भाई मानता है। दोनों देशों के बीच बेहतर सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक, आर्थिक रिश्ते कामय हैं लेकिन धार में दो बहनों के साथ इसी भारत में ज्यादतति हुई। दोनों बहनों को स्कूल से निकाल दिया गया क्योंकि वे नेपाली हैं और यहां के बच्चे भी उन्हें नेपाली-नेपाली कहकर चिढ़ाते हैं। इसके लिए बच्चियों के दिमाग में आइडिया आया और दोनों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा तब जाकर मामला सामने आया और इसके बाद अब स्कूल के प्रबंधक अपनी इज्जत बचाते फिर रहे हैं। वहीं सूकल प्रबंधन ब बच्चियों के माता-पिता के ऊपर अभद्र आरोप लगा रहे हैं। मामला धार का है जहां एमिनेंट पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाली दो नेपाली बच्चियों के साथ शिक्षक अच्छा व्यवहार नहीं करते थे। दोनों बच्चियां अवनिशा और अनुष्का नर्सरी से पढ़ती आ रही हैं लेकिन यहां इनके साथ दूसरे बच्चे और शिक्षकों का व्यवहार उनके प्रति सही नहीं होता था। बच्चियों ने बताया कि स्कूल में उन्हें सभी नेपाली-नेपाली कहकर चिढ़ाते हैं और जब स्कूल के शिक्षकों से इनके माता-पिता शिकायत करने आते हैं तो शिक्षक उनके पैरेंट्स से ठीक से बातचीत भी नहीं करते हैं। बस सभी तू-तू मै-मैन होने लगती है और इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने दोनों बच्चियों को कुरियस से टीसी भेज दी गई।
पीएम मोदी को लिखा पत्र
8वीं में पढ़ने वाली अवनिशा और उसकी बहन अनुष्का 5वीं में पढ़ती है और अब इन दोनों बच्चियों ने परेशान होकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्हें पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है और वहीं इनके माता-पिता का भी कहना है कि बच्चियों के साथ नेपाली होने के कारण स्कूल में भेदभाव क्यों किया जा रहा है ये नहीं पता लेकिन इसका असर उनकी बच्चियों पर ज्यादा पड़ रहा है। उनके पिता ने जिला अधिकारी को भी इस बारे में बताया है और न्याय के लिए वहां के चक्कर काटते हैं। वहीं इस मामले में जब स्कूल के प्राचार्य से बात हुई तो उन्होंने छात्राओं के पेरेंट्स पर ही अभद्रता का व्यवहार करने लगाए हैं। उन्होंने बताया कि जब छात्राओं के दोबारा प्रवेश देने से भी इंकार किया है और वहीं इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी व्यास से बात की गई तो उन्होंने साफ कहा है कि ऐसे मामलों में कई भी स्कूल बच्चों को टीसी नहीं दे सकता है। वे इस मामले की जांच करवाएंगी और छात्राओं को न्याय दिलाने का भी भरोसा दिलाया है।