भारत बलिदानों का देश यूहीं नहीं कहा जाता है, यहां पर ना जाने कितने वीरों ने अपनी जान दे दी आजादी के लिए और जब आजादी हुई तो पड़ोसी देश के हमलों से ही ना जाने कितने वीरों की जान चली गई। हमारे देश के जवानों मे यही खासियत है कि वे आखिरी समय तक डटे रहते हैं और भले अपनी जान खत्म कर दें लेकिन भारत पर आंच नहीं आने देते, जब तक जिंदा रहते हैं। ऐसे में हम आम नागरिकों का भी एक फर्ज होता है कि हमें उनके शहीद होने के बाद अगर उनके परिवार के आस-पास रहते हैं तो उनकी देख-रेख जरूर करनी चाहिए। उनके परिवार की जरूरतों को पूरा करना सरकार का काम है लेकिन अगर हम सभी में कोई आस-पास रहता है तो उन्हें हम सहारा तो दे ही सकते हैं। ऐसी ही एक मिसाल मध्यप्रदेश के कुछ लोगों ने किया है, जब एक शहीद के परिवार के लिए झोपड़े के मकान को पक्का मकान में बदल दिया।
शहीद के परिवार को गांववालों का खास तोहफा
मध्यप्रदेश के देपालपुर के पीर पीपलिया गांव में बीएसएफ के जवान मोहन सिंह त्रिपुरा में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उनके साथ ये घटना 27 पहले हुई थी और इतने सालों से परिवार एक झोपड़े में अपना गुजर-बसर कर रहा था। शहीद की पत्नी राजू बाई ने सरकार से इस बात के लिए गुहार लगाई क्योंकि बरसात और सर्दी में बच्चों के साथ वे भी बहुत परेशान हो जाती थीं और उनके घर में कोई ठोस चीज नहीं थी जिससे वे बचा सकें। शहीद की पेंशन भी सिर्फ 700 रुपये ही हर महीने आती है जिसमें तीन लोगों का गुजारा नहीं हो पाता था। ऐसे में फिर गांव के कुछ नौजवानों ने इसका बीडा उठाया और चंदा बटोरने लगे। पिछले साल रक्षाबंधन पर सभी ने शहीद की विधवा से राखी बंधवाई थी और कहा था कि अगले साल वे सभी उन्हें नायाब तोहफा देंगे। इसी साल उन्हें बच्चों सहित एक दो महीने के लिए गांव की एक महिला अपने घर ले गई और वहीं रखा। फिर जब इस साल 15 अगस्त के दिन राखी आई तो उनके घर के पास झंडा रोहण हुआ और घर की चाबी राजू बाई को देते हुए सभी ने एक स्वर में कहा कि ये उनका राखी का तोहफा अपनी बहन के लिए है।
इतना ही नहीं सभी ने अपने हाथों पर राजू बाई को चलाकर गृहप्रवेश करवाया और ये दृश्य देखने लायक था। एक साल में करीब 11 लाख का चंदा इकट्ठा हुआ था और फिर उन्होंने वो घर राजू बाई को देकर एक नायाब तोहफा अपनी बहन को दिया। सभी ने एक बार फिर शहीद मोहन सिंह को याद किया और उनके परिवार की रक्षा करने का प्रण लिया। सभी चाहते हैं कि जिस मार्ग में उनका घर है वो मोहन सिंह मार्ग और जिस स्कूल में मोहन सिंह ने पढ़ाई की थी उसका नाम मोहन सिंह इंटर कॉलेज सरकार द्वारा हो जाए। अब उनकी ये इच्छा पूरी हो ना हो लेकिन देश के हर शहीद के परिवार वालों का देश के लोगों का ऐसे ही साथ मिले तो कोई भी सरहद पर जाने से पहले सोचेगा नहीं।