भारत का सबसे पुराना और चर्चित अयोध्या मामला 9 नवंबर को खत्म कर दिया गया। 1 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक लगातार ओवर शिफ्ट में काम करके चीफ जस्टिस सीजेआई रंजन गोगाई ने पूरी सुनवाई खत्म की और 8 नवंबर तक फैसले के सभी दस्तावेज तैयार कर लिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 17 नवंबर को गोगई रिटायर्ड होने वाले थे और इसके बाद नये चीफ जस्टिस की नियुक्ति होनी थी। 17 नवंबर को नये चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने अपनी कुर्सी संभाल ली है। चलिए बताते हैं इनके बारे में कुछ बातें..
कैसे हैं नये चीफ जस्टिस अरविंद बोबडे
जस्टिस शरद अरविंद बोबडे भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश बने। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 29 अक्टूबर को उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। जस्टिस बोबडे सीजेआई रंजन रोगाई तीन अक्टूबर 2018 को देश के 46वें चीफ जस्टिस बने थे और 17 नवंबर को वे रिटायर हो गए। अब जस्टिस एसए बोबडे ने मुख्य न्यायाधीश की शपथ ले ली है। उनका कार्यकाल 23 अप्रैल, 2021 तक रहेगा और लगभग 18 महीने तक वे इस पद पर कार्यरत रहेंगे। 18 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था और परंपरा के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में अपने बाद सीनियर जस्टिस एसए बोबडे को अपना उत्तराधिकारी बनने के लिए सिफारिश की थी।
नागपुर के रहने वाले बोबडे का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को हुआ था। इनका फैमिली बैकग्राउंड वकीलों का ही रहा है और इनके पिता अरविंद बोबडे महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल रहे हैं। इनके बड़े भाई स्वर्गीय विनोद अरविंद बोबडे सुप्रीम कोर्ट में प्रसिद्ध वरिष्ठ वकील रहे हैं। जस्टिस बोबडे ने नागपुर यूनिवर्सिटी से बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की और साल 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र में इनरोल्ड हो गए थे। अपल न्यायाधीश के रूप में 29 मार्च, 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ का हिस्सा थे। एसए बोबडे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे और अप्रैल, 2013 में इन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति मिली थी।
इन बेंचो का हिस्सा रहे बोबडे
1. जस्टिस शरद उस बैंच में रहे हैं जिसमें आदेश दिया गया कि आधार कार्ड ना रखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को सरकारी फायदों से वंचित नहीं किया जा सकता है।
2. डाउन संड्रोम से पीड़ित एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा से मदद की गुहार लगाई थी। उसने अपने भ्रूण को समाप्त करने की याचिका दायर की थी और जस्टिस बोबड़े ने इस याचिका को खारिज किया था, क्योंकि तब तक भ्रूण 26 हफ्ते का हो गया था। डॉक्टरों ने कहा था कि जन्म के बाद नवजात के जीवित रहने की संभावना हो सकती है।
3. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी। जनवरी 2018 में जस्टिस बोबडे ने जस्टिस गोगोई, जे चेलमेश्वर, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ के बीच मतभेदों को निपटाने में काफी खास किरदार निभाया था।
4. मई, 2018 में जब कर्नाटक में चुनाव हुए और किसी को बहुमत नहीं मिला तो राज्यपाल ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का फैसला सुनाया। कांग्रेस इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची और रात 2 बजे से सुनवाई शुरू हुई थी। फिर फैसला येदियुरप्पा के पक्ष में आया था। येदियुरप्पा के पक्ष में फैसला देने वाले बेंच में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे।
5. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगाने का फैसला सुनाया था जिस बैंच में बोबडे भी शामिल थे।
6. कर्नाटक की लेखिका मेट महादेवी की किताब बसावा वाचना देवी पर कर्नाटक सरकार ने बैन कर दिया था। मेट महादेवी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, जहां उनकी याचिका खारिज़ हुई और इस बेंच में भी बोबडे ही थे।
7. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने ये आरोप लगाए गए थे और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन हाउस पैनल बनाया था। इस पैनल ने जस्टिस गोगोई को क्लिनचिट दी गई थी और जस्टिस बोबड़े उस हाउस पैनल का हिस्सा रहे हैं। इनके अलावा इस पैनल में एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल थीं।