साल 2016 में योगी सरकार ने बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश में अपनी जगह बनाई। योगी सरकार ने इन तीन सालों में बहुत से काम किए लेकिन सबसे ज्यादा इन्होंने हिंदुत्व को बचाने वाले काम किए हैं। वैसे तो योगी सरकार ने हर धर्म के लिए कुछ ना कुछ किया है लेकिन ज्यादातर उनका फोकस उत्तर प्रदेश के उन शहरों पर है जिनके नाम मुगलों ने बदले थे। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और मुगलसराय का नाम पं. दीनदयाल उपाध्याय रखा है, वहीं अब खबर है कि अलीगढ़ का नाम योगी सरकार में सुगबुगाहट है।
क्या बदल जाएगा अलीगढ़ का नाम
योगी सरकार ने आगरा का नाम बदलने की चर्चा रही है और भाजपा जनप्रतिनिधियों ने भी अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने का प्रस्ताव दिया है। अलीगढ़ का नाम बदलने की पहल सबसे पहले साल 1992 में कल्याण सिंह ने की थी जब वे मुख्यमंत्री पद पर थे लेकिन केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने के कारण उनका ये मकसद कामयाब नहीं हो पाया है। शहरों के नाम बदलने में आगरा को अग्रवन करने की मांग भी फिर से शुरु कर दी गई है और इसके साथ ही पिछले काफी समय से अलीगढ़ को हरिगण बनाने की मांग की जा रहीहै। योगीराज में साल 2018 में आजमगढ़ का नाम आर्यमगढ़ करने का प्रस्ताव देने की तैयारी हुई थी और इसरे बाद सांसद सतीश गौतम व शहर विधायक संजीव राजा ने अलीगढ़ को हरिगढ़ करने की मांग शासन स्र पर की थी। मगर इससे पहले साल 2015 में विश्व हिंदू परिषद ने अलीगढ़ में एक प्रदेशव्यापी बैठक में प्रस्ताव पास करके अलीगढ़ को हरिगढ़ करने की बात उठाई थी।
सूबे की तत्कालीन सीएम मायावती ने अपने अलग-अलग कार्यकाल में नए जिले बनाकर उनका नाम दलित व पिछड़े वर्ग से जुड़े संतों और महापुरुषों के नाम किया था और उस समय भाजपा ने इसका भरपूर विरोध किया था। सांसद सतीश गौतम ने इस पर कई बार अपनी बात कही लेकिन हाल ही में उन्होंने कहा, पूर्व में भी अलीगढ़ को उसके प्राचीन नाम हरिगढ़ करने की मांग करते हुए भाजपाई ही खड़े हुए हैं। शासन स्तर पर भी अवगत कराया गया और इसका नाम हरिगढ़ ही होना चाहिए। वहीं शहर के विधायक संजीव राजा ने कहा, पुरातन समय में हरिगढ़ नाम से ही होना चाहिए लेकिन मुगलकाल में इस शहर को अलीगढ़ किया गया था। पुराना स्वरूप वापस लाने का समय अब आ गया है।