जो भी इंसान इस दुनिया में आया है उसे जाना ही है और यही दुनिया का प्रावधान है। मगर जब कोई लेजेंड इस दुनिया से जाता है और यहां हम बात एक ऐसे गणितज्ञ की करने जा रहे हैं जिन्होंने 14 नवंबर को आखिरी सांस ली। महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने 74 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांस ली। काफी समय से बीमारी के कारण उन्होंने 14 नवंबर की सुबह आखिरी सांस ली। पटना के मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल उन्हें लाया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन पर बिहार के सीएम ने श्रद्धांजलि जताई है और कहा है कि वशिष्ठ जी का जाना बहुत ही दुख की बाद है क्योंकि वे एक महान आदमी थे।
महान गणितज्ञ नहीं रहे हमारे बीच
2 अप्रैल, स1942 को बिहार में जन्में वशिष्ठ नारायण सिंह भारत के महान गणितज्ञ थे। इन्होंने पटना साइंस कॉलेज से पढ़ाई की और आगे की पढ़ाई कैलिफॉर्निया से की है, मगर अब इनके निधन की खबर आ गई है। वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर बहुत से लोगों को दुख हुआ है। जहां एक ओर सीएम ने वशिष्ठ नारयण को श्रद्धांजलि दी वहीं दूसरी ओर PMCH की बड़ी लापरवाही भी देखने को मिली। वशिष्ठ नारायण का शव अस्पताल के बाहर बहुत देर तक स्ट्रेक्चर पर पड़ा रहा और उनके परिवार वाले भी देर तक अस्पताल के सामने खड़े रहे। अस्पताल वालों ने बहुत देर तक एंबुलेंस मुहैया नहीं कराया और इस लापरवाही को मीडिया ने सबके सामने दिखाया। जब बात ज्यादा बिगड़ने लगी तब जाकर अस्पताल वालों ने एंबुलेंस की व्यवस्था की थी।
अस्पताल की लापरवाही के कारण वशिष्ठ नारायण के छोटे भाई उनका शव लेकर देर तक ब्लड बैंक के बाहर खड़े रहे। उनके भाई ने बताया कि वशिष्ठ जी के निधन के बाद ना तो कोई अधिकारी आया और ना ही कोई राजनेता ही हमारे दुख में शामिल हुआ। वशिष्ठ नारायण के भाई ने मीडिया को बताया, 'हम अपना किराया लगाकर अपने भाई का शव लेकर जाएंगे। किससे कहें, किसके सामने रोएं। अंधे के सामने रोना, अपने दिल का खोना। कहने से कोई सुनने वाला भी नहीं है।'
हालांकि जब वशिष्ठ नारायण सिंह के शव के साथ होने वाले ऐसे दुर्व्यवहार की खबरें मीडिया में आईं तो अस्पताल की तरफ से एक्शन लिया गया। तुरंत एंबुलेंस बुलाया गया और फिर उनके शव को उनके पैतृक गांव बसंतपुर लेकर गए। वशिष्ठ नारायण सिंह का अंतिम संस्कार आरा में होगा।