9 नवंबर को अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और ये भी बताया कि उस जमीन पर मालिकाना हक हिंदू कमेटी का है जिसपर 3 महीने के अंदर मंदिर बनना चाहिए। इसके अलावा मुस्लिम कमेटी के साथ कोई नाइंसाफी करते हुए उन्हें अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया। इस फैसले के आने के बाद हिंदू-मुस्लिम सभी खुश हैं और हर किसी को ये फैसला तहे दिल से स्वीकार है। इसपर फिल्मी दुनिया के कई बड़े दिग्गजों का भी बयान आ रहा है लेकिन इन्हीं में एक फिल्म निर्देशक को ये फैसला बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा।
फिल्म निर्देशक ने फैसले पर जताया एतराज
सलीम खान और जावेद अख्तर ने अयोध्या मामले में फैसले का स्वागत किया लेकिन फिल्म निर्देशक आनंद पटवर्धन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बहुत ही निराशा भरा बताया है। आनंद पटवर्धन ने दिसंबर, 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने से ठीक तीन महीने पहले 'राम के नाम' से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी इसमें बाबरी मस्जिद के स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिए छेड़ी गई मुहीम और इससे भड़की हुई हिंसा को दिखाया था। एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए पटवर्धन ने आनंद पटवर्धन ने दावा किया कि बाबरी मस्जिद को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा चुका है और ये केवल मुसलमानों की नहीं बल्कि भारतीयों की भी धरोहर थी।
आनंद पटवर्धन ने बताया कि बाबरी मस्जिद को तोड़ने वाले नेता कभी जेल नहीं गए हैं बल्कि उन्हें राष्ट्रीय सम्मान दिया गया है। धर्मनिरपेक्ष भारत तभी बन सकता है जब हम अपने स्वतंत्रता के मूल्यों को फिर से अपनाएंगे। 'राम के नाम' डॉक्यूमेंट्री अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद द्वारा चलाए गए एक अभियान पर आधारित है। ये खबर सामने आते ही लोगों ने इनके इस बयान का विरोध किया और हर कोई इन्हें दूसरी दुनिया से आया प्राणी बताया है।