डर अब इन लहरों से।
सागर संग लहरे है, नदी लहरों संग बहती है।
हवा संग फसल लहराए, साँप बीन सपेरा संग।
लहराए ऊँचा तिरंगा, जो बना देश की जान।
लहराते हुए सरपट, लौहपथ में भागती रेल है।
राजनीति लहर, मोदी की चली थी सन 2014 में।
एक गाना भी चला, लहरों संग किनारे है।
पहली लहर, दूसरी लहर अब डर लगने लगा तीसरी लहर से, जो देश विदेश में कोरोना संग आई।
कर वार इंसानों पर, अपनी लहरों में सिमटने लगी।
लॉकडाऊन ने दुनियाँ को, प्रवासी लहर बना दिया।